पॉलिटिकलहेडलाइन

CG POLITICS : “आज जूदेव होते तो सबसे ज्यादा खुशी उन्हे ही होती”,मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का सरपंच से सांसद बनने तक के सफर में स्व.जूदेव की रही अहम भूमिका

रायपुर 10 दिसंबर 2023। आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ को अंततः आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के रूप में मिल ही गया। जशपुर से राजनीतिक की शुरूवात करने वाले विष्णुदेव साय और स्व.दिलीप सिंह जूदेव के राजनीतिक सफर की कहानी काफी दिलचस्प है। बीजेपी के सबसे मजबूत और कद्दावर नेता रहे दिलीप सिंह जूदेव मुख्यमंत्री बनते-बनते रहे गये थे। लेकिन आज उनके सबसे विश्वसनीय मित्रों में से एक विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया गया है। विष्णुदेव साय को सक्रिय राजनीति में लाने का श्रेय दिलीप सिंह जूदेव को ही जाता है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का सरल और सहज आम लोगों से लेकर राजनेता के दिलो-दीमाग पर एक अलग ही छाप छोड़ता आया है। विष्णुदेव साय की इसी सादगी के दीवाने जशपुर राज घराना और बीजेपी के कद्दावर नेता दिलीप सिंह जूदेव भी थे। बात साल 1990 की है जब विष्णुदेव साय जिले के कांसाबेल ब्लाक के ग्राम पंचायत बगिया के सरपंच थे। इसी दौरान दिलीप सिंह जूदेव से विष्णुदेव साय की मुलाकात हुई थी। राजशाही ठाठ और अपने अलग अंदाज से पहचाने जाने वाले जूदेव को विष्णुदेव साय के सरल और मिलनसार व्यवहार ने काफी प्रभावित किया।

फिर क्या था दिलीप सिंह जूदेव ने विष्णुदेव साय को साल 1990 के विधानसभा चुनाव में सबसे पहले तपकरा विधानसभा सीट से भाजपा का प्रत्याशी बनाया था। जूदेव के विश्वास पर खरा उतरते हुए विष्णुदेव साय ने 24 हजार 732 वोट से रिकार्ड जीत दर्ज कर अविभाजित मध्यप्रदेश के विधानसभा पहुंचे थे। विधायक रहते हुए विष्णुदेव साय के काम से दिलीप सिंह जूदेव काफी प्रभावित थे। लिहाजा उन्होने साल 1999 में रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से एक बार फिर विष्णुदेव साय के नाम को आगे बढ़ाते हुए चुनाव मैदान में उतारा। दिलीप सिंह जूदेव के इस भरोसे पर साय हमेशा खरे उतरे और लगातार 2014 तक तीन बार इसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर नेतृत्व किया।

साल 2013 में दिलीप सिंह जूदेव के निधन के बाद भी जशपुर राजपरिवार से विष्णुदेव साय का संबंध पूर्ववत और काफी मजबूत बना हुआ है। विष्णुदेव साय की साफ और बेदाग छवि,पार्टी के प्रति अनुशासित रहना उनके इमेज को और भी मजबत करता गया। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2014 में लोकसभा चुनाव में टिकट काटे जाने के बाद साय ने पार्टी के निर्णय को सहर्ष स्वीकार किया। इसी तरह साल 2022 में प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद भी साय ने पार्टी हाईकमान के निर्णय को स्वीकार कर संगठन के कार्यो में लगे रहे।

लगातार 15 साल तक सांसद रहने और लगभग 2 साल तक केन्द्रीय इस्पात खान राज्य मंत्री रहने के बाद साय की बेदाग छवि और उनकी पार्टी के प्रति कर्तव्य निष्ठा ही उन्हें आज मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही। रविवार की दोपहर जब आदिवासी नेता विष्णुदेव साय के नाम पर मुख्यमंत्री की मुहर लगी तो पार्टी के साथ ही आदिवासी समाज और पूरे प्रदेश में खुशी देखी गयी। लेकिन बात ये भी सामने आयी कि अगर आज दिलीप सिंह जूदेव होते, तो विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने की सबसे ज्यादा खुशी उन्हे ही होती, क्योंकि जिस मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचकर जूदेव चूक गये थे। आज उसी कुर्सी पर उनका सबसे विश्वसनीय और करीबी मित्र विष्णुदेव साय बैठ रहे है।

Back to top button