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Navratri 5 Puja: आज की जाएगी मां स्कंदमाता की पूजा, इस दिन का जानें शुभ रंग, मंत्र और पूजा विधि…

रायपुर 30 सितंबर 2022: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। 26 सितंबर से नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। 30 सितंबर को पांचवीं नवरात्रि है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं।

स्कंदमाता का स्वरूप मन को मोह लेने वाला है। इनकी चार भुजाएं हैं। दो हाथों में इन्होंने कमल लिए हैं। मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद बाल रूप में विराजित हैं। मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। शेर पर सवार होकर मां दुर्गा अपने पांचवें स्वरूप यानी स्कंदमाता के रूप में भक्तजनों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।

मां स्कंदमाता का स्वरूप

स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है। मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।

मां स्कंदमाता को प्रिय हैं ये चीजें
मां की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें। मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

स्कंद का अर्थ
स्कंद का अर्थ होता है ज्ञान को व्यवहार में लाते हुए कर्म करना और स्कंदमाता ऊर्जा का वो रूप है जिसकी उपासना से ज्ञान को व्यवहारिकता में लाकर पवित्र कर्म का आधार बनाया जा सकता है। इस तरह है ये इच्छा शक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रिया शक्ति का समागम है। शिव तत्व का मिलन जब त्रिशक्ति के साथ होता है तो स्कंद ‘कार्तिकेय’ का जन्म होता है।

स्कंदमाता से मिलता है संतान सुख
मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं। मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है।

मां स्कंदमाता की पूजा
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर मां को उनका प्रिय पुष्प अर्पित करें। मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। मां को भोग के रूप में मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं। मां का ध्यान करें.मां का ध्यान करने के बाद मंत्र का जाप करें। मां की आरती करें.मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें।

मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

नवरात्र की पंचमी तिथि का शुभ मुहूर्त
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आरंभ सुबह 12 बजकर 10 मिनट से शुरू।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि समाप्त रात 10 बजकर 34 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक।

नवरात्रि के पांचवे दिन पहने सफेद रंग
नवरात्रि का 5वां दिन स्कंदमाता का होता है। ये रंग माता को पसंद है। इसलिए मां को खुश करने के लिए सफेद रंग के कपड़े पहनें।

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