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शिक्षक से BJP नेता : शिक्षक दिनेश आज से बन जायेंगे भाजपा नेता …प्रदेश अध्यक्ष की मौजूदगी में भाजपा की लेंगे सदस्यता… विधानसभा चुनाव लड़ने की अटकलें

रायपुर 3 सितंबर 2022। नौकरी छोड़कर शिक्षक दिनेश राजपूत अब नेता बनेंगे। भाजपा कार्यालय तखतपुर में प्रदेश अध्य़क्ष अरूण साव की मौजूदगी में दिनेश सिंह राजपूत भाजपा का दामन थामेंगे। दिनेश सिंह राजपूत के साथ 300 अन्य समर्थक भी भाजपा प्रवेश लेंगे। NW न्यूज 24 से बात करते हुए दिनेश सिंह राजपूत ने बताया कि वो आज अपने समर्थकों के साथ तखतपुर भाजपा कार्यालय में भाजपा प्रवेश करेंगे। राजनीतिक पारी शुरू करने से पहले ही शिक्षक नेता ने 3 जुलाई को तखतपुर में अपना शक्ती प्रदर्शन किया, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

शिक्षक नेता व शालेय शिक्षक संघ के बिलासपुर जिलाध्यक्ष दिनेश सिंह राजपूत ने उच्च वर्ग शिक्षक पद से इस्तीफा दे दिया था। दिनेश सिंह राजपूत ने अपना इस्तीफा BEO के माध्यम ये शासकीय नियमानुसार तीन माह पूर्व 5 अप्रैल को दे दिया था। खबर तो ये भी है कि वो तखतपुर से बीजेपी से चुनाव भी लड़ सकते हैं। NW न्यूज से बात करते हुए दिनेश सिंह राजपूत ने कुछ दिन पहले ही बताया था कि उनकी फैमली राजनीति से जुड़ी रही है। लेकिन अब वो खुद भी राजनीति में आ रहे हैं।

दिनेश सिंह राजपूत ने 5 अप्रैल को इस्तीफा दिय़ा था। तीन महीने का नोटिस पीरियड 5 जुलाई को पूरा हो रहा था, उससे पहले ही विभाग ने उनका इस्तीफा स्वीकार लिया है। अभी दिनेश सिंह राजपूत तखतपुर में संकुल समन्वयक के पद पर पदस्थ थे। उन्होंने 5 अप्रैल को तखतपुर BEO के माध्यम से अपना इस्तीफा दिया था। दिनेश सिंह राजपूत पहले संजय शर्मा के एसोसिएशन में बतौर ब्लाक अध्यक्ष तखतपुर के रूप में संगठन का काम देख रहा थे। लेकिन वर्ग-2 की मांगों पर कुछ मतभेद उभरने के बाद उन्होंने टीचर्स एसोसिएशन को छोड़ दिया और विरेंद्र दुबे के साथ शालेय शिक्षक संघ में जुड़ गये। विरेंद्र दुबे ने उन्हें शालेय शिक्षक संघ का बिलासपुर जिलाध्यक्ष बनाया।

दिनेश सिंह राजपूत NW न्यूज 24 से बात करते हुए आगे बताया था कि…

देखिये, मेरे खून में ही राजनीति है, छात्र था तो भी कालेज में छात्र राजनीति करता था। बाद में नौकरी में आया तो शिक्षक राजनीति करने लगा, आगे अब भविष्य की बात पता नहीं… लेकिन मैं बता रहा हूं, मेरा परिवार बीजेपी से जुड़ा है। मैंने हमेशा शिक्षक राजनीति भी मुद्दों पर आधारित की है। मुझे अपने पुराने गुट में रहकर ये लगा कि मैं जिन वर्ग-2 के शिक्षकों की राजनीति करता हूं, उनके साथ मेरा संगठन न्याय नहीं कर रहा है, तो मैंने उस शिक्षक संगठन को छोड़ दिया। कहने का मतलब ये है कि मेरी यही तासीर रही है। जिसके लिए लड़ना है, जी जान से लड़ना है। आगे भी आप यही देखियेगा।

1995 में शिक्षक पद पर ज्वाइन करने वाले दिनेश कुमार राजपूत की पत्नी भी शिक्षिका है। 27 साल की नौकरी की पहली ज्वाइनिंग उनकी 1995 में दुर्ग जिला के सीधा कटौतिया गांव में हुई थी। शादी के बाद उनका तबादला बिलासपुर हो गया। वो तखतपुर के करनकांपा पूर्व माध्यमिक शाला में पदस्थ थे। वो 13 साल तक बीआरसी भी रहे। 2018 में जब वो संजय शर्मा के एसोसिएशन के अलग हुए तो उनके साथ 1500 से ज्यादा शिक्षकों ने इस्तीफा दिया था। वो अभी संकुल समन्वयक के तौर पर पदस्थ थे। साथ ही वो पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष मोर्चा के जिला संयोजक के पद पर भी काबिज थे।

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