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खबर चुनावी है : इस जिले में मृत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जारी कर दिया चुनाव प्रशिक्षण का आदेश, जब नही पहुंचे तो जारी कर दी नोटिस

जांजगीर 7 अप्रैल 2024। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के साथ ही जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर है। लेकिन जांजगीर जिला में जिला निर्वाचन विभाग द्वारा चुनाव प्रशिक्षण को लेकर मृत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पत्र जारी करने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि हद तो तब हो गयी, जब रिटायर्ड और मृत हो चुके कर्मचारी प्रशिक्षण कार्यक्रम में नही पहुंचे, तो उन्हे बकायदा कारण बताओं नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब मांगा गया है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में अचार संहिता लगने के साथ ही जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा लगातार हर बैठकों में निर्वाचन संबंधी कार्यो को गंभीरता से करने की हिदायत दी जाती है। लेकिन इन सारी हिदायतो के बाद भी एक छोटी चूक कई बार भारी पड़ जाता है। कुछ ऐसा ही मामला जांजगीर जिला में सामने आया है। यहां लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के प्रशिक्षण के लिए 1 से 4 अप्रैल तक अलग-अलग केंद्रो में प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया था। इस प्रशिक्षण में अधिकारी-कर्मचारियों को मतदान कराने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद उनकी परीक्षा भी ली गई। मगर प्रशिक्षण के लिए कुछ ऐसे कर्मचारी व शिक्षकों को भी पत्र जारी कर कर दिया गया, जिनकी या तो मृत्यु हो गई है या जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

बात यहीं तक नहीं खत्म नही हुई, बल्कि मृत व सोवानिवृत्त कर्मचारी जब प्रशिक्षण में नहीं पहुंचे, तो उनके नाम से बकायदा जिला पंचायत सीईओं ने कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया गया। बताया जा रहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सहायक ग्रेड 2 रहे राकेश कुमार राठौर की मृत्यु हो गई है। इसकी जानकारी संबंधित कार्यालय को दी जा चुकी है। बावजूद इसके उनके नाम से प्रशिक्षण के लिए पत्र जारी किया गया। इस पत्र को लेने भी कोई नहीं पहुंचे और उन्हें 3 अप्रैल को प्रशिक्षण में अनुपस्थित होने पर जिला पंचायत सीईओ एवं नोडल अधिकारी प्रशिक्षण द्वारा अब नोटिस जारी किया गया है। इसी तरह नवागढ़ ब्लाक के शासकीय हाईस्कूल खोखसा की व्याख्याता एलबी गायत्री शर्मा 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो चुकी है।

उनको भी प्रथम चरण के प्रशिक्षण में 3 अप्रैल को उपस्थित होने का पत्र जारी किया गया। प्रशिक्षण में उपस्थित नहीं होने पर उन्हें भी कारण बताओ नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब मांगा गया है। इसके अलावा कई अन्य लोग हैं,जो सेवानिवृत्त हो गए हैं उनको भी प्रशिक्षण के लिए पत्र भेजा गया और उपस्थित नहीं होने पर उन्हें नोटिस जारी कर दिया गया है। ये पूरा मामला सामने आने के बाद अब जिला पंचायत सीईओं जानबूझकर ऐसा नही करने की दलील दे रहे है। उन्होने बताया कि पीपीईएस साफ्टवेयर में नाम होने से ड्यूटी लग गई है। संबंधित विभाग द्वारा अगर उनका नाम हटवा दिया जाता, तो ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती। हमारे संज्ञान में इस तरह का प्रकरण सामने आते ही तत्काल ऐसे कर्मचारियों का चुनाव ड्यूटी से नाम कटवा दिया गया है।

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