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जनता परेशान हुई – हड़ताल रहा असफल… संजय शर्मा बोले, “संघर्ष व चुनौती तो अभी शुरू ही हुआ था और लौट भी गए”…. कर्मचारियों का मजबूत गठजोड़ क्यों गिरा गया

रायपुर 2 सितंबर 2022। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि हड़ताल शुरू होने का दिन और आज का दिन, कर्मचारी वही खड़े है, जहाँ वे थे, 6% लंबित DA के आदेश होने व HRA पर शीघ्र निर्णय लेने सहित वित्तीय स्थिति के आधार पर दीपावली तक DA जारी करने की बात हड़ताल शुरू होने के पूर्व ही मुख्यमंत्री की ओर से आता रहा है।

मुख्यमंत्री से किसी मुद्दे पर मिलने के बाद हड़ताल किया जावे, तो उसकी लंबी व अनुशासित प्लानिंग जरूरी है, यह हड़ताल मुद्दे पर कम बल्कि जिद पर ज्यादा केंद्रित रही है। फेडरेशन ने 25 जुलाई से जो निश्चितकालीन हड़ताल किया था वही सबसे बेहतर अवसर था कि उसे अनिश्चितकालीन हड़ताल में तब्दील किया जाता क्योकि सभी कर्मचारी हड़ताल में थे ही और 6% महंगाई भत्ता का आदेश नही हुआ था, उस समय कम से कम 12% महंगाई भत्ता का आदेश संभावित था।

जिसके पास शिष्टता नही वे गलत शब्दो मे हमारी आलोचना करेंगे, परन्तु हम आगे देखकर – आगे बढ़ते है, 6% आदेश के बाद सरकारी माहौल बदल चुका था और हम जिद पर हड़ताल कर कर्मचारियों को नही फंसाते। इस हड़ताल के पंडाल में पहले 3 दिन शासन के खिलाफ आक्रोश दिखा, उसके बाद 3 दिन जो हड़ताल में नही थे उन्हें कोसते हुए बिताया गया फिर 2 दिन तीज त्योहार में कटा और अंतिम दिनों में संगीत व नाच का कार्यक्रम हुआ, हर पंडाल में हर दिन अलग प्रदर्शन हुए, जो दिशाहीन हड़ताल जैसे था, अत्यधिक संघ थे इसीलिए मंच व कार्यक्रम पर नियंत्रण व एकरूपता नही थी।

बात कर्मचारी मांग की करें तो विभागीय मांग तो छूट गया, जिसके लिए कब और कैसे संगठन अपनी कार्ययोजना बनाएंगे? क्या चुनाव के पूर्व वर्ष में विभागीय समस्या को हल कराने की आवश्यकता नही होगी, मुख्यमंत्री से संवाद, अगर बात नही बना तो हड़ताल, वही कर्मचारी वर्ग फिर वही अनिश्चितकालीन हड़ताल, कैसे जनता के बीच छवि बनेगी, यह सब भविष्य के गर्भ में रह गया है, पर यह सत्य है कर्मचारियों की विभागीय मांगे अब तक लंबित है।

इस हड़ताल से कर्मचारियों को क्या मिला, किसी को बोलने – बताने की जरूरत नही है, यह हड़ताल ही खड़ा किया गया था कि कर्मचारियों के स्वाभिमान व सम्मान की लड़ाई है, इस बात पर। मुख्यमंत्री शुरू से अपील कर रहे थे, आज भी अपील पर है, 2 सितम्बर को डयूटी ज्वाइन करने का अंतिम दिन था और हड़ताल वापस हो गया, हर हड़ताल को वापस तो होना ही है, पर स्वाभिमान व सम्मान की स्थिति क्या है सोचने की आवश्यकता है।

बेशक हम इस हड़ताल से हम बाहर थे, किन्तु 6% जारी DA में हमारी बड़ी भूमिका है, कर्मचारियों के पास संघर्ष ही एक रास्ता है, यह अस्त्र भी यहाँ बेकार चला गया, कितने कर्मचारियों का वेतन कटा, किसका वेतन रुका, कितने को नोटिस जारी हुआ, किसका ब्रेक इन सर्विस हो गया, निलम्बन व बर्खास्तगी किसकी हुई? अभी ही तो संघर्ष शुरू हुआ था, चुनौती तो अभी शुरू हुआ था और लौट भी गए, कर्मचारियों का इतना मजबूत गठजोड़ भरभरा कर गिर गया। खाली समय मे नेतृत्व व कर्मचारियों को चिंतन करना होगा कि इस बड़े हड़ताल की सफलता क्या है और हमने इस हड़ताल में क्या खोया, क्या पाया, जनता परेशान हुई।

  

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