पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और खेती में अधिक मुनाफा कमाने के लिए खेतो में उगाये ये फसले 

पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और खेती में अधिक मुनाफा कमाने के लिए खेतो में उगाये ये फसले 

पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और खेती में अधिक मुनाफा कमाने के लिए खेतो में उगाये ये फसले डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता द्वारा बताया गया की चरी की खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है।  पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान चरी की फसल की बड़े पैमाने में खेती करते हैं, जिससे उनको लाखों रुपये की इनकम होती है।

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पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और खेती में अधिक मुनाफा कमाने के लिए खेतो में उगाये ये फसले 

चरी की खेती के लिए किसानों को 40 प्रतिशत का अनुदान प्रदान किया जाता है ,इसके लिए किसानों को अपना आधार कार्ड, बैंक पासबुक और खतौनी के साथ कृषि रक्षा इकाई केंद्र पर संपर्क करना होता है।

कुछ फसलें गर्मी के मौसम की हैं, जिन्हें लगाकर किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा सकेंगे। इनमें से एक चरी की फसल है, जो किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हुई हैं , इसके साथ ही किसान हरे चारे के रूप में बड़े पैमाने पर इसकी खेती से हजारों रुपये प्रतिदिन कमाते हैं। इसके अलावा सबसे दूध देने वाले जानवर को खिलने से दूध उत्पादन की वृद्धि होती है , जानवर भी कई बीमारियों से मुक्त हो होते है।

किसान तक से बातचीत में वरिष्ठ कृषि एक्सपर्ट डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता ने बताया कि गेहूं की कटाई के बाद चरी की फसल किसानों के लिए काफी कारगर है।  गेहूं की फसल काटने के बाद दो बार ट्रैक्टर से जुताई कर किसान अपने खेत में चरी के बीज की बुवाई कर सकते है जिससे फसल 1 महीने में तैयार हो जाएगी।

चरी की फसल हरी खाद के रूप में किसानों के काम आती है ,इसके साथ ही किसान हरे चारे के रूप में बड़े पैमाने पर इसकी खेती से हजारों रुपये प्रतिदिन कमा सकेंगे। इस फसल से किसानों को डबल फायदा होता है ,क्योंकि दूध देने वाले जानवरों के लिए ये चारा बेहद फायदेमंद है इससे जानवरों में दूध उत्पादक की क्षमता बढ़ जाती है।

कृषि एक्सपर्ट डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता ने बताया कि इसका तना मोटा, अधिक रस वाला तथा अधिक समय तक हरा रहता है। पूसा चरी संकर-109, बहुकटाई वाली संकर किस्म है जो 55-60 दिनों में पहली कटाई के लिए तैयार होती है,यह विभिन्न बीमारियों के लिए प्रतिरोधी होती है।

बुवाई करते समय छोटे दाने वाली किस्मों के लिए बीजदर 10-12 किग्रा. प्रति हैक्टेयर रखें ,उन्होंने कहा कि किसान बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25 सेमी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10-12 सेमी. पर लगये जिससे बुवाई के समय बीज की गहराई 1.5-2.0 सेमी. उपयुक्त होंगी।

डॉ. दीपक मेहंदीरत्ता ने बताया की बताते हैं कि चरी की खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इसकी खेती करके किसानो को कई सारे लाभ होते है जिससे उनको लाखों रुपये की इनकम होती है साथ ही पशुओं के लिए चारे की किल्लत नहीं आती है।

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NW News