बिग ब्रेकिंग

VIDEOः शिक्षक ब्रेकिंग- CM भूपेश के सामने शिक्षक ने रखी वरिष्ठता प्रभावित होने की बात.. बोले- परेशान हैं शिक्षक, अभी भी पंचायत का नियम… फिर मुख्यमंत्री ने….

बिलासपुर 18 जनवरी 2023। मुख्यमंत्री के सामने आज शिक्षकों की सीनियरिटी प्रभावित होने का भी मुद्दा उठा। भेंट मुलाकात कार्यक्रम में तखतपुर पहुंचे मुख्यमंत्री के सामने तबादले की वजह से शिक्षकों की सीनियरिटी प्रभावित होने का मुद्दा उठा। बिलासपुर के तखतपुर विधानसभा के ग्राम खैरी में भेंट मुलाकात की चौपाल में वरिष्ठता से प्रभावित शिक्षक विजय कुमार ने मुख्यमंत्री के सामने वरिष्ठता प्रभावित का मुद्दा रखा।

विजय कुमार ने कहा कि 2018 में शिक्षकों का संविलियन पंचायत विभाग से शिक्षा विभाग में किया गया है। लेकिन संविलियन के बाद भी शिक्षकों पर पंचायत विभाग का भी आदेश लागू किया जा रहा है। शिक्षक ने बताया कि इसकी वजह से प्रदेश के 27 हजार शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। प्रभावित शिक्षक मानसिक तनाव में जी रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रभावित शिक्षक से इसकी पूरी जानकारी ली।

मुख्यमंत्री को शिक्षक ने कहा कि संविलियन के बाद शिक्षा विभाग में आने के बाद उन्हें 20-24 साल की सीनियरिटी को नहीं माना जा रहा है। मुख्यमंत्री शिकायत को गंभीरता से सुना और फिर पदोन्नति का लाभ नहीं मिलने के मुद्दे पर आवश्यक कार्रवाई का आश्वसन दिया। शिक्षक ने कहा कि …

हमलोगों का संविलियन 2018 में हुआ था, संविलियन के पहले हमलोग पंचायत के कर्मचारी थे, लेकिन संविलियन के बाद भी हमलोगों पर पंचायत विभाग का ही आदेश लागू किया जा रहा है। इससे हमलोग मानसिक रूप से परेशान हैं, हमलोगों की भी समस्या सनिये सर, हमलोग 27 हजार शिक्षक हैं”

विजय कुमार, शिक्षक

क्या है वरिष्ठता प्रभावित होने का मुद्दा

दरअसल प्रदेश में 2018 से पहले शिक्षाकर्मी के तौर पर काम कर रहे हजारों शिक्षकों ने अलग-अलग वजहों से तबादला कराया था। पंचायत विभाग के तत्कालीन नियमों के मुताबिक जो शिक्षाकर्मी तबादले के बाद जिस ब्लाक या जिला में ज्वाइनिंग के लिए पहुंचे, वहां उनकी सीनियरिटी उस दिन दिन से मानी गयी, जिस दिन से उन्होंने तबादले के बाद से ज्वाइनिंग की। इस वजह से प्रदेश के 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों की सीनियरिटी अपने जूनियर से भी नीचे हो गयी। ऐसे अब जब प्रमोशन की प्रक्रिया चल रही है तो वो हजारों शिक्षक प्रमोशन से वंचित हो गये हैं। आलम ये है कि कई शिक्षक अपने ही जूनियर शिक्षक के अंडर में काम करने को मजबूर हैं।

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