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जिम्मेदार नागरिक बनने के साधन के रूप में मौलिक कर्तव्य ,न मानने पर कौन सा दंड मिलेगा..

दिल्ली 26 जनवरी2024|26 जनवरी 2024 को भारत अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। आज के ही दिन साल 1950 में हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। देश के पहले राष्‍ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण किया और भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। किया था। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हमारा का संविधान अपने नागरिकों को हर प्रकार से आजादी और अधिकार देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों के साथ ही मौलिक कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं। इन मौलिक अधिकारों का पालन न करने पर आपको सजा भी हो सकती है। आइए जानते हैं क्या है ये मौलिक अधिकार और इन्हें न मानने पर दंड का प्रावधान।

ये रही मौलिक कर्तव्यों की लिस्ट
1.संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रीय गान का आदर करें।
2.स्वतंत्रता के लिये राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखें और उनका पालन करें।
3.भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें तथा उसे अक्षुण्ण रखें।
4.देश की रक्षा करें और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
5.भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा व प्रदेश या वर्ग आधारित सभी प्रकार के भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं।
6.हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्त्व समझें और उसका परिरक्षण करें।
7.प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्यजीव आते हैं, की रक्षा और संवर्द्धन करें तथा प्राणीमात्र के लिये दया भाव रखें।
8.वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
9.सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
10.व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करें जिससे राष्ट्र 11.प्रगति की और निरंतर बढ़ते हुए उपलब्धि की नई ऊँचाइयों को प्राप्त किया जा सके।
12.छह से चौदह वर्ष की आयु के बीच के अपने बच्चे बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना (इसे 2002 द्वारा जोड़ा गया)।

क्या हैं सजा के प्रावधान?
भारत के संविधान में मौलिक कर्तव्यों को शामिल करने का उद्देश्य नागरिकों के गिल में देश-हित की भावना को जागृत करना है। इन कर्तव्यों का पालन न करने पर सीधे तौर पर किसी दंड का प्रावझान नहीं किया गया है। नागरिकों से ये अपेक्षित है कि वे कर्तव्यों का पालन करें। हालांकि, कई मौलिक कर्तव्य विशेष कानून से संरक्षित भी है। उदाहरण के लिए राष्ट्रध्वज भारतीय झंडा संहिता कानून के तहत संरक्षित है। इसका अपमान करने पर 3 साल की जेल, जुर्माना या फिर दोनों ही हो सकते हैं।

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