अध्यातम

ऋषि कौन थे ? क्या आज भी कोई ऋषि बन सकता है? पढ़िए हमारी ये ख़ास खबर

अमित उपाध्याय

रायपुर 13 नवंबर 2022 मेरे बेटे की स्कूल में असेंबली के बाद रोज़ एक विद्यार्थी “दिन की खबर”सुनाता है। एक दिन उसने खबर सुनी कि ऋषि सुनक ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने वाला है जो भारतीय मूल के हैं। रात को उसने मुझसे इस बारे में पूछा तो मैनें उसको ऋषि सुनक की फ़ोटो दिखाई। उसको देखकर उसने PJ मारा कि ये ऋषि नही हो सकता क्योंकि इसकी तो लंबी सफेद दाढ़ी-मूंछ(श्मश्रु) ही नही है।

ये एक सच्चाई है कि जब भी हम ऋषि की कल्पना करते हैं तो बढ़ी हुई श्मश्रु,सर पर जटाजूट वाला व्यक्ति ही कल्पना में आता है जो यज्ञ वेदी पर बैठे हुए स्वाहा-स्वाहा बोलता रहता है। इसके लिए काफी हद तक TV धारावाहिक ज़िम्मेदार हैं।

उज्जैन में जो नया “महालोक” बना है वो अद्भुत है। महादेव के विभिन्न रूप,अवतार,उनकी बारात ,समुद्र मंथन,गंगा अवतरण इत्यादि की भव्य विशाल प्रतिमाएं देखते ही बनती हैं। हर प्रतिमा के साथ उसका विवरण भी लिखा है।

हम तो दिन में ही जा पाए पर रात को प्रकाशित विशाल मूर्तियां तो और विहंगम लगती होंगी।मेरा तो मन प्रसन्न हो गया,साथ मे जितने बालक वृन्द थे सबको इनकी कथा बताने का काम मेरा ही था।

उधर सप्तऋषियों की भी भव्य प्रतिमाएं लगी हैं। हर युग के सप्तऋषि अलग माने जाते हैं। इनके विवरण में भी लिखा है कि अधिकतर ऋषि ग्रहस्थ,योद्धा और वैज्ञानिक भी थे।

उज्जैन के महालोक एक बार तो अवश्य जाएं। मोदी सरकार आने से यही बदलाव आया है कि देश मे एक राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चेतना की लहर चल रही है। देश मे हर चीज का बजट होता है, अब पैसा सही जगह खर्च हो रहा है जो आसानी से कई गुना वसूल भी हो जाएगा।

उज्जैन मध्यप्रदेश में आता है। आज मेरी मातृभूमि मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस है।

वाल्मीकि रामायण का ये श्लोक याद आता है।

अपि स्वर्णमयी लंका न मे रोचति लक्ष्मण,जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।

साभार : quora.com

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