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गर्व के 4 साल : CM भूपेश के शानदार चार साल…. राह नहीं थी आसान, लेकिन हर चुनौतियां की स्वीकार, हर वर्गों का रखा ख्याल…तभी बना पाये लोगों के दिलों में जगह

रायपुर 17 दिसंबर 2022। भूपेश बघेल ने आज बतौर मुख्यमंत्री कार्यकाल के शानदार चार साल पूरे कर लिये हैं। चुनौतियों, उम्मीदों और कामयाबी से भरे इस चार साल को छत्तीसगढ़ के स्वर्णिम दौर के तौर पर भी आप कह सकते हैं। एक ऐसा दौर जब किसानों के चेहरे पर मुस्कान है…युवाओं के चेहरों पर उम्मीदें हैं…बेरोजगारों के चेहरे पर आशाएं है….गरीबों व पिछड़ो के चेहरे पर विश्वास है। साल 2018 में आज की ही वो तारीख थी, जब गौधुली बेला में मुख्यमंत्री ने रायपुर के इंडोर स्टेडियम में सूबे के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। आज पूरा छत्तीसगढ़ गौरव दिवस मना रहा है। गौरव, छत्तीसगढ़िया होने का…गौरव, अच्छे दिन आने का…गौरव, किसानों-गरीब-गुरबों के स्वाभिमान जगाने का।

भूपेश बघेल के इन चार सालों को देखें तो कामकाज के दृष्टिकोण से उन्हें मौका सिर्फ दो साल का ही मिला। दो साल का वक्त कोरोना की चुनौतियों का सामना करते हुए गुजरा। हालांकि कोरोना से जिस अंदाज में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुकाबला किया, वो भी देश में काफी चर्चाओं में रहा। कई राज्यों में इसकी सराहना की है। आज छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा हर तरफ है। फिर चाहे वो जीरो बेरोजगारी दर की हो, किसानों के खाते में पैसा डालने की बात हो, गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कवायद हो, वनवासियों को वनोपज का उचित मूल्य दिलाने की बात हो या किसानों के कर्जमाफी की बात हो, भूपेश मॉडल की देश भर में चर्चा हो रही है।

इस बात में तो कोई शक भी नहीं कि चार साल में छत्तीसगढ़ का वैभव बढ़ा है। छत्तीसगढ़ की ग्लोबल ब्रांडिंग हुई है। अब मुख्यमंत्री भूपेश और उनके कामों की प्रधानमंत्री मोदी खुले तौर पर पर तारीफ करते हैं। छत्तीसगढ़ की योजनाओं को केंद्र अपनाता है। छत्तीसगढ़ के मॉडल से अब चुनाव में जीत और हार तय होती है। हिमाचल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां 10 गारंटी में छत्तीसगढ़ में लागू चार योजनाओं को शामिल किया और नतीजा कांग्रेस सत्ता में वापस लौट पायी।

स्कूल से लेकर स्वास्थ्य तक में हुए काम

मुख्यमंत्री के कार्यकाल का बड़ा फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था रहा है। मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कई दफा ये बातें कही है कि किसान के जेब में पैसा रहेगा तो अर्थव्यवस्था का पूरा सर्किल चलता रहेगा। लिहाजा नरवा, गुरवा, बाड़ी पर फोकस कर कई योजनाए शुरू की गयी, जिनसे गांव, गौठान और ग्रामीण समृद्ध हुए। हर बच्चे को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए स्वामी आत्मानंद स्कूल खोले जा रहे हैं। हाट बाजार क्लिनिक योजना का विस्तार कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही है। जेनरिक दवा दुकानों से लोगों को 72 फीसदी तक कम कीमत में दवाइयां मिल रही है। कुपोषण में हम 7 फीसदी कमी आयी है। बस्तर और सरगुजा में भी कुपोषण का दर काफी कम हुआ है।

हर वर्ग का रखा ख्याल

छत्तीसगढ़ में नई उद्योग नीति से राज्य में नया औद्योगिक और आर्थिक वातावरण बना है। तीन सालों में राज्य में 1564 नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं। औद्योगिक क्षेत्र में 18 हजार 882 करोड़ रूपये की पूंजी निवेश से राज्य की तस्वीर बदली है। आम लोगों को लगातार बढ़ती महंगाई के दौर में सस्ती दवाओं के माध्यम से राहत देने की योजना भूपेश सरकार ने लागू की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह सस्ती जेनेरिक दवाओं के लिए श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर योजना शुरू की। इस मेडिकल स्टोर में जेनेरिक दवाएं 50 से 70 फीसदी सस्ते दामों पर मिल रही है। बिजली बिल में रियायत देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गयी हाफ बिजली बिल योजना से निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों को काफी राहत मिली है। 400 यूनिट तक बिजली की खपत पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी का लाभ 40 लाख उपभोक्ताओं को पहुंचा है। छत्तीसगढ़ में नजर आ रही बदलाव के बयार से समझ आता है कि इन योजनाओं के जरिये भूपेश सरकार निश्चित तौर पर जनता का भरोसा जीतने में कामयाब रही है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ध्यान रखकर तैयार की गयी योजनाएं

ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक मजबूती के लिए नई दिशा में कामकाज किया गया है। स्वरोजगार और आजीविका संबंधी गतिविधियों पर फोकस किया गया है। यही कारण है कि मंदी के दौर में भी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था टिकी रही। वहीं, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना के जरिये हितग्राहियों के खाते में नगद हस्तांतरण से अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिली। ग्रामीणों के जीवन में अब बदलाव आने लगा है। किसान जैविक खेती की ओर लौटने लगे हैं। जैविक खेती से लागत हुई आधी, उत्पादन भी दो से तीन गुना तक बढ़ने लगा है। साल 2020-21 में राज्य गठन के बाद सर्वाधिक 92 लाख मीट्रिक टन से अधिक की धान खरीदी का कीर्तिमान बना है। सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ को कृषि कर्मण पुरस्कार भी मिल चुका है। वनोपजों के समर्थन मूल्य में वृद्धि का फैसला भी आदिवासियों के लिए हितकारी रहा है। वनोपज संग्रहण में छत्तीसगढ़ पिछले तीन सालों में लगातार पूरे देश में अव्वल है। वनोपज से आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है।

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