हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, रिटायरमेंट के बाद नहीं हो सकती विभागीय जांच, हाईकोर्ट ने अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच की निरस्त

High court News: यदि सेवानिवृत्ति के पहले विभागीय जांच प्रारंभ नहीं की गयी है, तो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक विनियम 2010 के अनुसार सेवानिवृत्ति के बाद छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच नहीं की जा सकती। हाईकोर्ट ने इस आधार पर सेवानिवृत्ति बैंक अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच माननीय उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया। कोर्ट ने 45 दिवस के अंदर समस्त लंबित सेवानिवृति देयक भुगतान करने का निर्देश दिया। साथ में यह भी निर्णय दिया है कि विभागीय जांच आरोप पत्र देने के दिनांक से ही संस्थित होता है, न कि विभागीय जांच प्रारंभ करने के सूचना से।

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के अंतर्गत स्केल -3 आफिसर के पद पर कार्यरत रविंद्र कुमार कुकरेजा 31.05.2014 को सेवानिवृत्त हो गये। रिटायरमेंट के दो दिन पूर्व 29.05.2014 को उन्हें सूचित किया गया कि उनके खिलाफ विभागीय जांच संस्थित करने का निर्णय लिया गया है। उनकी सेवानिवृत्ति का लाभ रोक दिया गया। इसके बाद दिनांक 26 जुलाई 2014 को उन्हें आरोप पत्र दिया गया। जिसे उन्होंने  उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से चुनौती दी। याचिकाकर्ता ने कहा कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (अधिकारी तथा क्रमचारी) विनियम 2010 के तहत् यदि विभागीय जांच सेवानिवृत्ति के पहले आरंभ की गयी है तो वह सेवानिवृत्ति के पश्चात चालू रहेगी, किंतु विभागीय जांच सेवानिवृत्ति के बाद संस्थित नहीं की जा सकती एवं विभागीय जांच आरोप पत्र देने के दिनांक से संस्थित होती है।

इस प्रकरण में विभागीय जांच प्रारंभ करने कि निर्णय की सूचना सेवानिवृत्ति के दो दिन पूर्व दिया गया, किन्तु अरोप पत्र 26 जुलाई अर्थात दो माह बाद दिया गया, जो कि सेवानिवृत्ति के बाद का है। इसलिये विभागीय जांच नहीं की जा सकती। बैंक की ओर से बताया गया कि सेवानिवृत्ति के पूर्व ही याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस दिया गया था, जिसके जवाब के पश्चात निर्णय लेकर 29.05.2014 को सेवानिवृत्ति के पहले याचिकाकर्ता को सूचित कर दिया गया था। साथ ही विभागीय जांच संस्थित करने का निर्णय लिया गया। अतः विभागीय जांच सेवानिवृत्ति के पूर्व संस्थित किया जाना माना जायेगा।

दोनों पक्षों के सुनवाई पश्चात न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल के एकलपीठ ने निर्णय किया गया की क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (अधिकारी तथा क्रमचारी) विनियम 2010 के विनियम 45 के तहत् यदि सेवानिवृत्ति के बाद विभागीय जांच संस्थित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इस प्रकरण में मात्र विभागीय जांच संस्थित करने का निर्णय सेवानिवृत्ति के दो दिन पूर्व लिया गया था। किंतु विभागीय जांच के लिए आरोप पत्र दिनांक 26.07.2014 को दिया गया था, जो कि सेवानिवृत्ति के दो माह बाद का है। विभागीय जांच आरोप पत्र जारी करने का दिनांक से ही संस्थित होता है, अतः प्रस्तुत प्रकरण में याचिकाकर्ता के विरूद्व विभागीय जांच को निरस्त किया जाता है। साथ ही  इस कारण से लंबित समस्त सेवानिवृत्ति देयक 45 दिनो के अनदर भुगतान करने के निर्देश दिया गया है।

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