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आदित्य-एल1 : धरती से 9.2 लाख किमी दूर पहुंचा आदित्य-एल१,,चंद्रयान के बाद अब आदित्य-L1 मिशन ने दी खुशखबरी…

आदित्य-एल1 30 सितंबर 2023|भारत के सूर्यमिशन को लेकर इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने शनिवार (30 सितंबर) को बड़ी जानकारी साझा की. इसरो ने ट्वीट कर बताया कि आदित्य-एल1 मिशन के तहत भेजा गया अंतरिक्ष यान पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक निकलकर 9.2 लाख किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर चुका है. आदित्य-एल1 का अंतरिक्ष यान अपने नए घर लैग्रेंज प्वाइंट 1 की ओर लगातार बढ़ रहा है.

इसरो ने आदित्य-एल1 मिशन की जानकारी देते हुए कहा कि अब ये यान सन-अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) की ओर अपना रास्ता तलाश रहा है. ट्वीट में कहा गया है कि ये लगातार दूसरी बार है, जब इसरो किसी अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर भेज सका. पहली बार ऐसा मंगल ऑर्बिटर मिशन के दौरान किया गया था. आदित्य एल1 स्पेसक्राफ्ट को दो सितंबर को लॉन्च किया गया था.

इसरो का आदित्य एल-1 मिशन 6 जनवरी 2024 को अपने निर्धारित लैग्रेंज प्वाइंट 1 तक पहुंचने की संभावना है. यह भारत का पहला मिशन है और पूरी दुनिया के अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस पर नजर बनाए हुए हैं. चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत को अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में उभरती हुई ताकत के तौर पर पेश किया है. सोलर मिशन की कामयाबी इस क्षेत्र में भारत के कदम और मजबूत करेगी. अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिहाज से देश के लिए यह साल महत्वपूर्ण रहा है. 

लैंग्वेज प्वाइंट का क्या मतलब है? 
अंतरिक्ष विज्ञान की भाषा में जब दो बड़े ऑब्जेक्ट की ग्रेविटी उनके बीच में मौजूद किसी छोटे ऑब्जेक्ट को थामे रखती है उसे ही Gms लैग्रेंज प्वाइंट वन लोकेशन कहा जाता है. इसे किसी स्पेस मिशन के लिए अहम पड़ाव की तरह मान सकते हैं, क्योंकि इस जगह पर स्पेसक्राफ्ट को बहुत कम फ्यूल की जरूरत पड़ती है. पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज प्वाइंट (एल1 से एल5) हैं. लैग्रेंज प्वाइंट 1 वह जगह है जहां से सूरज पर नजर रखी जा सकती है. 

आदित्य एल1 के साथ होंगे ये ‘दोस्त’
आदित्य एल1 मिशन पृथ्वी-सूर्य के एल1 प्वाइंट के करीब ‘हैलो ऑर्बिट’ में चक्कर लगाएगा. पृथ्वी से इस प्वाइंट की दूरी लगभग 15 लाख किलोमीटर है. भारत के इस मिशन का मकसद सूर्य के फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और कोरोना पर नजर रखना है, ताकि उससे जुड़ी अहम जानकारियों को पृथ्वी पर भेजा जा सके. 

लैग्रेंज प्वाइंट वन पर आदित्य-एल1 अकेला नहीं होगा, बल्कि यहां पर उसे कुछ दोस्तों का साथ भी मिलने वाला है. उसके साथ ‘इंटरनेशनल सन-अर्थ एक्सप्लोरर’ (ISEE-3), जेनेसिस मिशन, यूरोपियन स्पेस एजेंसी का लीसा पाथफाइंडर, चाइना का चांग-5 लूनर ऑर्बिटर और नासा का ‘ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर रिकवरी (GRAIL) मिशन’ भी मौजूद रहने वाले हैं. वर्तमान में नासा का विंड मिशन सूर्य का अध्ययन कर रहा है. इसके जरिए भेजा गया डाटा कई सारे स्पेस मिशन के लिए बेहद जरूरी है.

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