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CG-पत्रकार की हत्या: पत्रकार की हत्या कर शव को जलाया… बाइक को जंगल में गाड़ मोबाइल से पुलिस को किया कंफ्यूज…फिर ऐसे एक फोन कॉल से खुला मौत का राज

कवर्धा 24 दिसंबर 2022। जिस पत्रकार विवेक चौबे को लापता मानकर पुलिस तलाश कर रही थी, दरअसल उसकी हत्या कर दी गयी है। पुलिस ने घटना के करीब डेढ़ महीने बाद मर्डर मिस्ट्री का खुलासा किया। पत्रकार व RTI एक्टिविस्ट विवेक की हत्या सरपंच ने की थी और फिर उसे अपने साथियों की मदद से उसे जला दिया। हत्या और जलाने के बाद पत्रकार की बाइक को जमीन में ही गाड़ दिया। पुलिस ने आरोपी सरपंच और उसके साथियों को धर दबोचा है। दरअसल विवेक चौबे के लापता होने की शिकायत पिछले महीने 16 नवंबर को पुलिस थाने में दर्ज करायी गयी थी।

मामले पर कवर्धा एसपी डॉ. लाल उमेद सिंह ने एएसपी मनीषा ठाकुर रावटे को जांच के निर्देश दिये। सायबर सेल से गुमशुदा के मोबाईल नंबर की जांच एवं उसके आने-जाने वाले रास्ते में लगे सीसीटीव्ही कैमरा की जांच की गयी, वहीं कॉल डिटेल भी खंगाले गये, लेकिन कुछ ज्यादा जानकारी नहीं मिली। मोबाईल नंबर की कॉल डिटेल प्राप्त कर विश्लेषण करने विवेक चौबे का 12 नवंबर को ग्राम कुण्डपानी थाना चिल्फी की ओर जाना और 13 नवंबर को उसका मोबाईल करीबन् 02/00 बजे बोड़ला क्षेत्र के सुकवापारा में बंद होने की जानकारी मिली। इस जानकारी ने पुलिस को और भी उलझा दिया।

बोड़ला पुलिस ने विवेक की तलाश के लिए डोर टू डोर सर्च आपरेशन चलाया और फोटो दिखाकर हर घर जाकर उसके बारे में जानकारी इकट्ठा की। इसी बीच 21 नवंबर को गुमशुदा की बहन ने पुलिस को बताया कि किसी अज्ञात मोबाईल नंबर से इसके पास विवेक चौबे के संबंध में फोन कॉल आया है। मोबाईल नंबर के आधार पर फोन करने वाले तक पुलिस पहुंची तो पता चला कि मोबाईल मालिक से किसी दो अनजान ने फोन मांगकर बात किया था। मोबाइल मालिक ने उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात कही। 21 नंबर को आये फोन कॉल से पुलिस को शक हुआ कि विवेक के साथ कुछ गलत ना हो गया हो, लिहाजा जिले के घनघोर वनाचंल एवं नक्सली क्षेत्र ग्राम बोक्करखार, कुण्डपानी के क्षेत्र में सर्च आपरेशन चलाया गया।

पुलिस अधीक्षक कबीरधाम ने फिर से अलग-अलग पुलिस टीम गठित कर तकनीकी विश्लेषण एवं सूचना तंत्रो से प्राप्त जानकारी को अद्यतन किये जाने पार्टी बनाई गई। टीमों द्वारा हर सीसीटीव्ही कैमरा का विश्लेषण किया गया, जिससे गुम इंसान के संबंध में जानकारी प्राप्त हो सके तथा एक टीम वनांचल के अलग-अलग घनघोर जंगलो में गुम इंसान के संबंध में जानकारी प्राप्त किये जाने का प्रयास किया गया तथा विभिन्न व्यक्तियो, चारवाहो से गुम इंसान की हुलिया एवं फोटो दिखाकर पुछताछ किया गया। जिन्होने भी गुमशुदा के संबंध में कोई जानकारी नहीं होना बताया। इसी बीच पुलिस टीम को विशेष मुखबिर से सूचना मिली कि धवईपानी से कुण्डपानी की ओर जाने वाले रास्ते पर फारेस्ट के पेट्रोलिंग कैम्प के अंदर जंगल पहाड़ी की ओर जले हुए राख का ढेर है, जिसमें हड्डियो के टुकड़े दिखाई दे रहे हैं।

इस सूचना की तस्दीकी हेतु विषेष टीम गठित कर मौके पर भेजा गया। जहां प्रथम दृष्टया मानव हड्डी जैसे प्रतीत हुआ व किसी को जलाये जाने की आषंका व्याप्त हुई। जिस पर मौके में ही शून्य पर मर्ग कायम कर जांच में लिया जाकर शव पंचनामा कार्यवाही उपरांत हड्डियो के परीक्षण के लिए मेकाहारा रायपुर भेजा गया। इसी संबंध मे सूचना तंत्र के माध्यम से यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि गुमशुदा विवेक चौबे को बोक्करखार सरपंच अमित यादव ने संभवतः हत्या कर जला दिया है, कि उक्त सूचना के आधार पर वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में गठित टीम द्वारा मुखबीर के बताये जानकारी के आधार पर संदेही सरपंच अमित यादव, नंदलाल मेरावी, सुखसागर यादव एवं जगदीश धुर्वे को तलब कर अलग-अलग पुछताछ किया गया। गुनाह कबूल करने के बाद 4 को गिरफ्तार कर लिया गया है।

हालांकि संदेहियो ने काफी घंटे तक पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया तथा उनके बताये कड़ियो के आधार पर सभी तथ्यों को एक साथ जोड़कर फिर गहनता से उनसे पुछताछ करने पर – सरपंच अमित यादव ने बताया कि 12 नवंबर को लगभग शाम 5 बजे पत्रकार विवेक चौबे उससे मिलने ग्राम बोक्करखार आया था। शाम-रात तक साथ में रहे, रात्रि के समय आपसी बातचीत में दोनों के मध्य विवाद होने से गुस्से में आकर उसे मुक्का से मारा, जिससे वह अपने मोटर सायकल से गिर गया। फिर विवेक चौबे उठने का प्रयास किया तो पास रखे लाठी/गेड़ा से उसके पैर व सिर में जोरदार प्रहार किया, जिससे वह फिर गिर गया। जिसे पास जाकर देखा तो उसकी श्वांस नहीं चली रही थी। जिससे वह घबरा कर अपने भाई सुखसागर यादव एवं अपने गांव के अन्य नंदलाल मेरावी और जगदीश धुर्वे को बुलाकर पत्रकार विवेक चौबे के शव को ठिकाना लगाने के लिए गांव से दूर जंगल की ओर ले जाकर पहाड़ी में उसके शव को पास पड़े लकड़ियो के मदद से जला दिया।

उसके बाद उसके मोटर सायकल को भी छिपाने के लिए अपने साथियों को बोला। जिस पर सुखसागर यादव और नंदलाल मेरावी ने मोटर सायकल को जंगल में और दूर ले जाकर गड्डा खोदकर गाड़ी को गड्डे में डाल कर दबा दिया। वहीं मोबाईल को अपने पास रख लिया। फिर रात को जंगल खेत में ही बने स्थान में रूककर सुबह अपने घर आ गया। दूसरे दिन 13 नवंबर को अपने गांव के अन्य व्यक्ति को कवर्धा में काम है, कहकर अपने साथ लेकर आया और ग्राम कुण्डपानी, चिल्फी होते हुए बोड़ला आये वहां अमित यादव ने पत्रकार विवेक चौबे के मोबाईल से वकील को पुलिस को गुमराह करने के लिए कॉल किया फिर कवर्धा आकर रूक कर दूसरे दिन अपने गांव गया। अमित यादव के उक्त बातों की तथ्य को अन्य संदेहियो ने भी इसी तरह बताया। संदेहियो द्वारा बताये गये उक्त तथ्य के आधार पर तथा उनके बताये गये स्थान से गुमशुदा के शव की हड्डियां एवं मोटर सायकल को दुरगम वनांचल क्षेत्र से विधिसंगत् जप्ती कार्यवाही किया गया।

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