इन नस्लों की भैंस पालकर रातो रात चमक उठेगी किस्मत, महीने भर में होगा तगड़ा मुनाफा
इन नस्लों की भैंस पालकर रातो रात चमक उठेगी किस्मत, महीने भर में होगा तगड़ा मुनाफा
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इन नस्लों की भैंस पालकर रातो रात चमक उठेगी किस्मत, महीने भर में होगा तगड़ा मुनाफा जल्द ही सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस को अपने बाड़े में शामिल करके कमाए ढेरो पैसा भैंस के दूध की कीमत गाय के दूध से कहीं ज्यादा इसका कारण भैंस के दूध में वसा की मात्रा अधिक होना है।
देश में बड़ी संख्या में पशुपालन किया जाता है ,जिससे कई किसान अच्छा खासा मुनाफा कमाते है।मुर्रा नस्ल की भैंस अधिक दूध देने वाली नस्ल है। इस भैंस की दूध देने की क्षमता अन्य नस्लों की तुलना में अधिक होती है। मुर्रा नस्ल की भैंस काले रंग की होती है , इसके सींग भी घुमावदार होते हैं।
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इन नस्लों की भैंस पालकर रातो रात चमक उठेगी किस्मत, महीने भर में होगा तगड़ा मुनाफा
मुर्रा नस्ल की भैंस द्वारा दूध उत्पादन
मुर्रा भैंस मुख्य रूप से हरियाणा के जिलों में पाई जाती है, जिसे काला सोना कहते है। मुर्रा नस्ल की भैंस को दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में सबसे अच्छा माना गया है और भारत के अलावा दुनिया के विभिन्न देशों में पशुपालकों द्वारा पालते है। भैंस की अन्य नस्ल दूध उत्पादन के मामले में इसका दूर-दूर तक मुकाबला नहीं कर पाति है ।ये मुर्रा भैंस में प्रतिदिन 20 से 30 लीटर दूध देने की क्षमता होती है। देश में लगभग 5 करोड़ मुर्रा भैंसें किसानो द्वारा पाली जाती है।
मुर्रा नस्ल की भैंस की पहचान
मुर्रा भैंस को काला सोना खा जाता है ,इसका रंग काला होता है। इस मुर्रा भैंस शरीर का आकार अन्य भैंसों की नस्लों की तुलना में काफी बड़ा होता है।और इसके सींग जलेबी की तरह घुमावदार तथा इसकी पूंछ लंबी होती है। इन मुर्रा भैंस की आंखें काली और चमकदार, सिर पतला और गर्दन लंबी होती है। इसके शरीर का औसत वजन 350-700 किलोग्राम तक रहता है। मुर्रा भैंस का बछड़ा आमतौर पर काले रंग का होता है और उसका सिर छोटा होता है। मुर्रा भैंस की उम्र 26 साल तक होती है।
मुर्रा नस्ल की भैंस की खासियत
आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ एनिमल जेनेटिक रिसोर्सेज द्वारा पंजीकृत यह भैंस अपनी शारीरिक ताकत, रोग प्रतिरोधक क्षमता और अधिक दूध देने के कारण पशुपालकों के बीच काले सोने के नाम से काफी प्रसिद्ध मणि जाती है। मुर्रा भैंस का दूध वसा से भरपूर और उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पाद पैदा होता है। अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता के दम पर अपनी पहचान बनाने वाली मुर्रा भैंस कठिन से कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता होती है। इन भैंसों को मुख्य रूप से अच्छे दूध उत्पादन और मांस व खाल के लिए पाला जाता है।