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CG- बिजली संकट : हालात नहीं सुधरे तो छत्तीसगढ़ में गहरा सकता है बिजली संकट…… सूबे में 3 से चार दिन का कोयला ही शेष……सरकार रख रही है करीबी नजर…

रायपुर 11 अक्टूबर 2021। हालात नहीं सुधरे तो जल्द ही छत्तीसगढ़ में बिजली को लेकर संकट गहरा सकता है। प्रदेश के ताप बिजली घरों में केवल तीन से चार दिन के कोयले का स्टॉक बचा है। इन बिजली घरों को रोजाना 29 हजार 500 मीट्रिक टन कोयले की जरूरत होती है, लेकिन उन्हें 23 हजार 290 मीट्रिक टन की आपूर्ति ही हो पा रही है। आशंका गहरा रही है कि या तो छत्तीसगढ़ को पावर कट का सामना करना होगा या फिर बिजली संकट से प्रदेश को गुजरना होगा। 6000 मिट्रिक टन की कमी ने चिंताएं तो बढ़ायी है, लेकिन सरकार इस पर करीबी नजर रखे हुए हैं। सेंट्रल सेक्टर के दो प्लांट जो एनटीपीसी के हैं जिसमें सीपत और लारा शामिल हैं, वे रख रखाव के लिए नियमों के अनुरुप एक महिने के लिए बंद होते हैं और इस समय बंद हैं। लेकिन उम्मीद है कि लारा प्लांट अधिकतम परसों तक चालू हो जाएगा।

मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में राज्य विद्युत कंपनियों के अध्यक्ष एवं ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव अंकित आनंद ने बताया, अभी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र कोरबा ईस्ट में 3 दिन और 8 घंटे का कोयला उपलब्ध है। इसी तरह हसदेव ताप विद्युत संयंत्र कोरबा वेस्ट में 3 दिन और 2 घंटे का कोयला है। केवल मड़वा ताप विद्युत संयंत्र में 7 दिनों की आवश्यकता भर का कोयला उपलब्ध है।

केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण मानक के अनुसार 5 दिनों की आवश्यकता से कम कोयले की उपलब्धता को क्रिटिकल स्थिति माना जाता है। छत्तीसगढ़ में पीक अवर को मिला लिया जाए तो खपत 4100 मेगावाट है,और राज्य के प्लांट सेंट्रल सेक्टर और मढ़वा प्लांट से इतना पॉवर आ जा रहा है कि बिजली संकट नहीं हो रहा है, जो थोड़ी कमी पड़ती है तो उसे एक्सचेंज में ख़रीदा जाता है।हालाँकि प्रदेश में मौजूद मड़वा प्लांट से उत्पादित बिजली तेलंगाना को देने का अनुबंध है लेकिन फ़िलहाल उससे उत्पादित बिजली छत्तीसगढ खुद इस्तमाल कर रहा है, ताकि प्रदेश में बिजली आपूर्ति निर्बाध जारी रहे।

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