हेडलाइन

CG : आदिवासी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़- सहा.मानचित्रकार कर रहे खुलेआम भ्रष्टाचार,समय सीमा खत्म होने के बाद भी छात्रावासों का काम अधूरा,आखिर कैसे संवरेगा आदिवासी बच्चों का भविष्य !

कोरबा 3 नवंबर 2023। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला में आदिवासी बच्चों के भविष्य के साथ ही खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां आदिवासी विभाग द्वारा 22 नये छात्रावास भवन का निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन तय समय सीमा खत्म होने के बाद भी अधिकांश छात्रावास भवन के काम आज भी अधूरे है। बताया जा रहा है कि सिविल इंजीनियर की जगह विभाग के सहा.मानचित्रकार के भरोसे कराये जा रहे इन 22 छात्रावास भवनों में गुणवत्ताहीन काम कराये जाने की शिकायत है। बावजूद इसके तय समय पर भवन का काम पूरा नही करने वाले ठेका कंपनियों को न तो जवाबदार सहा.मानचित्रकार ने नोटिस जारी किया गया और ना ही आदिवासी विभाग ने संज्ञान लेकर कोई एक्शन लेना जरूरी समझा। लिहाजा अधिकारियों की मनमानी का दंश आदिवासी बच्चे झेलने को मजबूर है।

छत्तीसगढ़ में मौजूदा वक्त में विधानसभा चुनाव का जोर है। आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में राजनीतिक पार्टियां आदिवासी के मुद्दे पर जमकर राजनीति भी कर रहे है। लेकिन सरकार और राजनेताओं के दावे से इतर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। जीं हां आदिवासी बच्चों के भविष्य से कैसे खिलवाड़ किया जाता है….अगर इसकी बानगी देखनी है, तो कोरबा चले आईये। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला में आदिवासियों के उत्थान और आदिवासी बच्चों के बेहतर शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई दावे किये जाते है। लेकिन ग्राउंड जीरों पर विभाग के अफसर इन सारे दावों को पलीता लगाते हुए सिर्फ और सिर्फ केंद्र और राज्य सरकार से आने वाले करोड़ों रूपये के फंड में सेंधमारी करने में ही व्यस्त है। ताजा मामला आदिवासी बच्चों के लिए बनने वाले छात्रावास भवन से जुड़ा हुआ है।

शासन द्वारा कोरबा जिला के पांच विकासखंड में आदिवासी बच्चों के बेहतर रहवास और अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए 22 छात्रावास भवन निर्माण के लिए करीब 30 करोड़ रूपये का फंड जारी किया गया था। लेकिन आदिवासी विभाग द्वारा सिविल इंजीनियर होने के बाद भी विभाग में पदस्थ सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी को छात्रावास भवनों के निर्माण कराने की जवाबदारी दे दी गयी। विभाग के इस गैर जिम्मेदराना निर्णय का ही नतीजा है कि सहा.मानचित्रकार के भरोसे तैयार हो रहे अधिकांश छात्रावास भवन का काम निर्माण अवधि पूर्ण होने के बाद भी अधूरे है। जिसका खामियाजा आज आदिवासी बच्चों को जर्जर छात्रावास भवन में रहकर भुगतना पड़ रहा है। विभाग की माने तो तय समय सीमा में कार्य पूर्ण नही करने पर बकायदा विभाग द्वारा ठेका कंपनी को नोटिस जारी करने और फिर बिल के भुगतान में 6 प्रतिशत रकम काटने का प्रावधान है।

लेकिन समय सीमा खत्म होने के महीनों बीत जाने के बाद भी जवाबदार सहा.मानत्रित्रकार ऋषिकेश बानी द्वारा एक भी ठेका कंपनी को नोटिस जारी नही किया गया। इस संबंध में जब सहा.आयुक्त श्रीकांत कसेर से जानकारी चाही गयी, तो उन्होने बताया कि सभी छात्रावास भवनों के कम्लीशन की समयावधि नियमानुसार तय है। उन्होने बताया कि सारे कार्य उनकी पदस्थापना के पूर्व से ही शुरू है। यदि समय सीमा समाप्त होने के बाद भी कार्य अधूरा है, तो नोटिस जारी करने की जवाबदारी साइड इंचार्ज की होती है। इसके बाद जब नोटिस जारी करने की जानकारी चाही गयी, तो उन्होने साफ किया कि शायद किसी भी ठेका कंपनी को अब तक नोटिस जारी नही हुआ है। सहायक आयुक्त श्रीकांत कसेर ने सहा.मानचित्रकार को इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब लेने की बात कही है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी के खिलाफ कई गंभीर शिकायत के साथ ही फर्जी एस्टिमेट, बगैर काम कराये बिल भुगतान और राॅयल्टी के नाम पर शासन के राजस्व में लाखों का चूना लगाने का मामला सामने आ चुका है। लेकिन विभाग के अफसरों द्वारा सहा.मानचित्रकार के विरूद्ध आज तक एक भी विभागीय जांच शुरू नही किया जा सका। इससे साफ है कि विभाग की मेहरबानी के दम पर ही सहा.मानचित्रकार खुलकर मनमानी करने के साथ ही आदिवासी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने से बाज नही आ रहे है। ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि आदिवासी छात्रावास निर्माण के नाम पर की जा रही मनमानी पर विभाग कोई एक्शन लेता है, या फिर सहा.मानचित्रकार को एक बार फिर अभयदान दे दिया जाता है, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

Back to top button