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CG: आदिवासी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़, SDO और मानिचित्रकार मिलकर आश्रम और छात्रावास भवन निर्माण में कर रहे खुलेआम भ्रष्टाचार,कार्रवाई की जगह संरक्षण देने में जुटा जिला प्रशासन

कोरबा 8 दिसंबर 2023। छत्तीसगढ़ में सत्ता भले ही बदल गया है, लेकिन सूबे के कई जिलों में भ्रष्टाचार आज भी खुले आम जारी है। बात आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला की है, जहां आदिवासी बच्चों के लिए बनने वाले छात्रावास और आश्रम के नाम पर विभाग के अधिकारी ही खुलेआम भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे है और जिला प्रशासन के जवाबदार अफसर कार्रवाई करने के बजाये ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को पूरा संरक्षण दे रहे है। बताया जा रहा है सत्ता बदलते ही आदिवासी विभाग के सहा.मानचित्रकार और एसडीओं मिली भगत कर गुणवत्ताहीन आधे अधूरे कार्यो के बिलों का पूरा भुगतान कर रहे है। बावजूद इसके इस मनमानी पर एक्शन लेने के बजाये जिला प्रशासन की चुप्पी ने अब कई सवाल खड़े कर दिये है।

आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला एक बार फिर चर्चाओं में है। पहले कोयला घोटाला और अन्य मामलों को लेकर कोरबा जिले का नाम प्रदेश भर में सुर्खियों में रहा। अब आदिवासी बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ और सरकार से मिलने वाले करोड़ों रूपये में खुलेआम भ्रष्टाचार को लेकर आदिवासी विभाग चर्चाओं में है। दरअसल पूरा मामला आदिवासी विभाग से जुड़ा हुआ है। विभाग में कांग्रेस कार्यकाल में जमकर धांधली की गयी। तत्कालीन आदिवासी सहायक आयुक्त माया वारियर के कार्यकाल में केंद्र सरकार से मिले 5 करोड़ रूपये के फंड का बोगस बिल भुगतान का मामला काफी चर्चाओं में रहा। इस पूरे प्रकरण पर जांच भी बैठायी गयी। लेकिन जांच को लेकर कलेक्टर ने कभी भी गंभीरता नही दिखायी।

यहीं वजह है कि केंद्र सरकार से मिले फंड में की गयी मनमानी और गड़बड़झाला की पूरी फाइल विभाग से गायब है। इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब विभाग के सहायक मानचित्रकार ऋषिकेश बानी और एसडीओं अजीत तिग्गा की मनमानी की बानगी विभाग में देखी जा रही है। बताया जा रहा है कि जिले में आदिवासी बच्चों के बेहतर भविष्य और अच्छी आवासीय शिक्षा के लिए नये छात्रावास और आश्रम भवन बनाये जा रहे है। करीब 32 करोड़ रूपये से अधिक की लगात से तैयार किये जा रहे इन छात्रावासों के निर्माण में खुलकर मनमानी और गुणवत्ताहीन काम किया जा रहा है। भवन के प्लीथ बीम में 16 mm की राॅड की जगह 10 mm का राॅड लगाकर प्लींथ बेस में बगैर पीसीसी किये ही ढलाई कर दिया गया है।

साफ है कि एसडीओं और मानचित्रकार के संरक्षण में ठेका कंपनी के द्वारा गुणवत्ताहीन भवन का निर्माण किया जा रहा है। बावजूद इसके खुलेआम हो रहे इस गुणवत्ताहीन कार्य पर रोक लगाने की जगह सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी और एसडीओं अजीत तिग्गा साठगांठ कर बिल का भुगतान कर दिया गया। आपको बता दे कि इससे पहले भी सहा.मानचित्रकार ऋषिकेश बानी के विरूद्ध विभाग में लिखित शिकायत के साथ ही विभाग फर्जी बिल भुगतान कर विभाग और शासन को लाखों रूपये की चपत लगाने का आरोप लग चुका है। लेकिन कांग्रेस सरकार होने के कारण ऋषिकेश बानी पर न तो विभाग ने एक्शन लिया और ना ही कलेक्टर ने इस पूरे मामले में कोई संज्ञान लिया।

यहीं वजह है कि सरकार बदलने के बाद भी आदिवासी विभाग के सहा.मानचित्रकार लगातार ठेकेदारों का बिल बनाकर मोटी कमीशन लेने में जुट गये है। बताया जा रहा है कि सरकार बदलने के बाद से ही सहा.मानचित्रकार द्वारा काम पूरा हुए बगैर ही कई साइड के बिलों का भुगतान कर चुके है। गौरतलब है कि सूबे में सत्ता परिवर्तन होने के तुरंत बाद पूर्व सीएम डाॅ.रमन सिंह ने अधिकारियों को चेताते हुए बैकडेट पर बिल या फिर कोई भी आदेश जारी करने से बचने की बात कही थी। लेकिन कोरबा में ऐसा जरा भी होता नजर नही आ रहा है।ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि सत्ता परिवर्तन के बाद भी आदिवासी विभाग में पदस्थ सहा.मानचित्रकार की मनमानी जारी रहेगी या फिर कलेक्टर इस पूरे मामले में कोई एक्शन लेंगे। ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

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