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CG : DMF की राशि से वन विभाग में भ्रष्टाचार की सड़क : WBM सड़क बनाने फारेस्ट एरिया में हुआ जमकर अवैध खनन,DFO ने कहा मुझे कोई जानकारी नहीं !

कोरबा 6 जनवरी 2023। जंगल में मोर नाचा किसने देखा….ये कहावत आपने जरूर सुनी होगी। लेकिन इस कहावत को कोरबा जिले का वन विभाग चरितार्थ करता नजर आ रहा है। जीं हां जिला खनिज न्यास मद से मिलने वाले करोड़ों रूपये के फंड को अफसर कैसे बंदरबांट करते है….इसकी बानगी देखनी है,तो कोरबा चले आईये। यहां वनांचल क्षेत्र में वन विभाग ने ऐसे मार्ग पर WBM सड़क का निर्माण कराया है, जिस मार्ग पर कोई गांव ही नही है। लिहाजा अनुपयोगी इस मार्ग के लिए फारेस्ट एरिया से जमकर जहां अवैध खनन किया गया, वही मजदूरों को दिये जाने वाली मजदूरी के नाम पर फर्जी मस्टर रोल बनाकर जमकर धांधली की जा रही है। इस पूरे मामले पर जब डीएफओं से जानकरी चाही गयी, तो उन्होने कोई जानकारी नही होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।

औद्योगिक नगरी कोरबा जिला एक बार फिर DMF फंड के दुरूपयोग के नाम से चर्चाओं में है। ताजा मामला कोरबा वन विभाग का है, साल 2022-23 में जिला प्रशासन द्वारा करोड़ों रूपये का फंड वन मंडल कोरबा को आबंटित किया गया था। वन विभाग ने अधिकारियों ने डीएमएफ मद से मिले इस फंड में भ्रष्टाचार करने के लिए ग्राम पंचायत बेला अंतर्गत आने वाले दूधीटांगर से फुटका पहाड़ तक करीब 15 किलोमीटर सड़क बनाने का एस्टीमेट तैयार किया गया। गौर करने वाली बात है कि इस पूरे मार्ग में न तो एक भी गांव है और ना ही कोई बसाहट। बावजूद इसके तत्कालीन डीएफओं प्रियंका पांडे ने नेचुरल ट्रैक के नाम पर डब्लूबीएम सड़क के लिए करोड़ों रूपयें खर्च कर दिये। बताया जा रहा है कि सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार करने के लिए बकायदा 2-2 किलोमीटर के सड़क के लिए 48-48 लाख रूपये का पार्ट-पार्ट में काम कराया गया।

वनांचल क्षेत्र होने के साथ ही पूरे मार्ग में आबादी नही होने के कारण रेंजर और ठेकेदार द्वारा मिलीभगत कर फारेस्ट एरिया से ही मुरूम और बोल्डर का अवैध खनन कर सड़क में लगा दिया गया। बताया जा रहा है कि इस भ्रष्टाचार के खेल के दौरान ही प्रियंका पांडेय और क्षेत्र के रेंजर संजय लकड़ा का तबादला हो गया। कोरबा वन मंडल में नये डीएफओं अरविंद पी. और बालकों रेंजर के पद पर जयंत सरकार की पोस्टिंग हुई। लेकिन इस सूनसान मार्ग पर नेचुरल ट्रैक के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल जारी रहा। बताया जा रहा है कि नये अफसरों द्वारा भी डीएमएफ मद से जारी कार्य की उपयोगिता जानने का प्रयास नही किया गया और फंड का भुगतान कर दिया गया। बताया जा रहा है कि वन विभाग के रिकार्ड में सड़क निर्माण का काम पूर्ण बता दिया गया है।

लेकिन इस पूरे काम को मजदूरों की जगह मशीन से कराये जाने के कारण लेबर पेमेंट का पेंच फंसा हुआ है। जिसके लिए बकायदा वन विभाग के अफसर फर्जी मस्टर रोज तैयार पेमेंट निकालने की जुगत में लगे हुए है। इस पूरे मामले पर जब बालको रेंज के रेंजर जयंत सरकार से जानकारी जाननी चाही, तो बताया कि उनकी पोस्टिंग एक साल पहले ही हुई है, जबकि सड़क का काम दो साल पहले से चल रहा था। इसलिए उन्हे इस सड़क निर्माण की जानकारी नही है। वहीं उनके रेंज के वन क्षेत्र में हुए अवैध खनन के संबंध में जानकारी चाही गयी, तो उन्होने गोलमोल जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद जब कोरबा डीएफओं अरविंद पी. से जानकारी चाही गयी, तो उन्होने भी इस मामले की खास जानकारी नही होने की बात कही।

बालकों रेंज में सड़क निर्माण के लिए हुए अवैध खनन के संबंध में पूछ जाने पर डीएफओं ने जानकारी नही होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। जांच कराने के सवाल पर डीएफओं ने कहा कि शिकायत आने पर जांच करा ली जायेगी। खैर सड़क निर्माण के नाम हुए करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार ने एक बार फिर DMF मद की बर्बादी और वन विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा कर दिया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि जिस मार्ग पर दूर-दूर एक भी गांव नही है, उस मार्ग पर करोड़ों रूपये खर्च कर सड़क बनाने का उद्देशय क्या है ? कांग्रेस की सरकार में हुए इस भ्रष्टाचार की सड़क पर क्या मौजूदा सरकार संज्ञान लेगी ? क्या जनहित से हटकर अपने हित के लिए DMF मद के करोड़ों रूपये की बर्बादी करने वाले अफसरों पर सूबे की साय सरकार एक्शन लेगी ? या फिर वन विभाग में ये भर्रासाही भविष्य में भी जारी रहेगी…….ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

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