CG : DEO पर लगा गंभीर आरोप : फर्जी प्रमाण पत्र प्रकरण में 10 शिक्षकों पर होनी थी कार्रवाई, DEO ने 4 पर गिराई निलंबन की गाज, 6 पर मेहरबानी का आरोप

कोरबा 8 अगस्त 2024। कोरबा जिले में बोर्ड की फर्जी सर्टिफिकेट पर शिक्षक की नौकरी करने का मामला एक बार फिर गरमाता जा रहा है। आरोप है कि कोरबा में शिक्षा विभाग द्वारा फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी कर रहे शिक्षकों को सालों से संरक्षण दिया जा रहा है। इस खुलासे के बाद बकायदा कोरबा जनपद सीईओं ने बीईओं और डीईओं को जांच कर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया। लेकिन जिला शिक्षाधिकारी ने ऐसे 10 प्रधान पाठकों में से महज 4 पर निलंबन की कार्रवाई की गयी, जबकि 6 पर आज भी कार्रवाई लंबित है। शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई के बाद अब डीईओं और बीईओं पर शेष 6 शिक्षकों को संरक्षण दिये जाने का गंभीर आरोप लग रहा है।

गौरतलब है कि कोरबा जिला में एक बार फिर फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी का मामला सामने आया है। आरटीआई से निकली जानकारी में खुलासा हुआ है कि कोरबा में पिछले करीब 17 सालों से फर्जी सर्टिफिकेट से करीब 10 शिक्षक नौकरी कर रहे थे। ये सभी शिक्षक शिक्षाकर्मी वर्ग 3 की भर्ती के वक्त 12वीं बोर्ड के साथ ही अन्य फर्जी प्रमाण प्रत्र लगाकर मेरिट लिस्ट में अपना स्थान बना लिया था। अब जांच में इन सभी 10 शिक्षकों का सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया है। जब इस मामले में शिकायत हुई और जांच में मामला सही पाया गया, तब कोरबा जनपद सीईओं ने बकायदा 22 मई 2024 को कोरबा सभी 10 शिक्षकों के दस्तावेज बीईओं संजय अग्रवाल को कार्रवाई के लिए प्रेषित किया गया।

जनपद सीईओं के उक्त पत्र में बकायदा सभी 10 शिक्षकों के नाम पर उनके पदनाम का उल्लेख कर उनके द्वारा जमा किये गये फर्जी सर्टिफिकेट की जानकारी भी अंकित की गयी थी। लेकिन इस पूरे प्रकरण में जिला शिक्षाधिकारी टी.पी.उपाध्याय ने सूची में दर्ज 10 शिक्षकों में महज 4 शिक्षकों पर 25 जून को निलंबन की कार्रवाई की गयी, जबकि शेष 6 अन्य शिक्षक आज भी नौकरी में बने हुए है। ऐसे में आरटीआई से इस भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले RTI कार्यकर्ता अब शिक्षा विभाग पर सवालिया निशान लगा रहे है। उनका आरोप है कि इस मामले की सूक्ष्मता से जांच की जाये तो साल 2007 में हुए भर्ती प्रक्रिया में शामिल कई अधिकारी फसेंगे। यहीं वजह है कि जहां अधिकारी अपनी कलम बचाने के लिए इस मामले पर लीपापोती कर रहे है। वहीं आरोप ये भी है कि इस पूरे मामले में दोषी 6 अन्य शिक्षक अपनी नौकरी बचाने शिक्षा विभाग के अफसरों से मिलीभगत कर इस मामले को दबाने में जुटे हुए है।

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इस पूरे प्रकरण को लेकर अब जिला शिक्षाधिकारी के साथ ही कोरबा बीईओं की भूमिका संदिग्ध बन गयी है। ऐसे में इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यहीं है कि जब जनपद सीईओं के पत्र पर जिला शिक्षाधिकारी ने 4 प्रधान पाठकों पर एक्शन लिया गया, तो फिर शेष 6 शिक्षकों पर कार्रवाई क्यों नही की गयी ? आखिर इस पूरे प्रकरण पर बीईओं संजय अग्रवाल और डीईओं टी.पी.उपाध्याय कुछ भी खुलकर बोलने से क्यों बच रहे है ? ये वो सवाल है जो शिक्षक भर्ती मेें हुए धांधली के इस प्रकरण पर शिक्षा विभाग के जवाबदार अफसरों पर ही सवालिया निशान लगा रहा है। ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि इस पूरे प्रकरण पर जिला प्रशासन स्तर पर समय रहते एक्शन लिया जाता है, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

 

 

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