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यासीन मलिक की पेशी पर कोर्ट की नाराजगी: जेल प्रशासन ने बिठाई जांच, तीन दिन में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने इस मामले में एक उपाधीक्षक और दो सहायक अधीक्षकों सहित चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इस बात की जानकारी जेल अधिकारी ने दी है। 

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी को लेकर शुक्रवार को नाराजगी जताई थी और कहा था कि जब कोई ऐसा आदेश पारित नहीं हुआ था तो उसे कोर्ट क्यों लाए? बता दें कि आतंकियों की फंडिंग के मामले में यासीन मलिक उम्र कैद की सजा काट रहा है, इस बीच जब उसे कोर्ट में लाया गया तो हड़कंप मच गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यासीन को जेल से बाहर लाया जाना उच्च जोखिम वाला हो सकता था। इस मामले में एक आदेश पारित हो चुका है।

दरअसल, आतंकी फंडिंग मामले में आजीवन सजा काट रहा यासीन मलिक इस वक्त तिहाड़ जेल नंबर-7 में बंद है। मलिक को जम्मू कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत में पेश किया जाना था। कैदी की वर्चुअल पेशी भी संभव है। बावजूद इसके मलिक को शुक्रवार सुप्रीम अदालत में पेश किया गया। जेल सूत्रों की मुताबिक, इस पर शीर्ष अदालत ने सख्त नाराजगी जाहिर की। मामला संज्ञान में आने पर तिहाड़ जेल प्रशासन के होश उड़ गए। आला अधिकारियों ने कनिष्ठ अधिकारियों को फटकार लाई।

मामले की संजीदगी को देखते हुए पूरे मामले की जांच के आदेश दिए। डीजी ने इसकी जिम्मेदारी राजीव सिंह को दी है। अधिकारिक सूत्र बताते हैं कि मामले की जांच भी शुरू हो गई है। शुरुआती जांच में पता चला है कि जेल नंबर सात के अधिकारियों ने इसमें चूक की है। उनने वर्चुअल पेशी की संभावना पर काम नहीं किया। इसकी जगह उसे व्यक्तिगत रूप में अदालत में पेश किया। सूत्रों का कहना है कि तीन दिन में जांच रिपोर्ट्र मिलने के बाद इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो सकती है।

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