क्लोनिंग से पैदा हुई दीपआशा का होगा डीएनए टेस्ट; पता चलेगा वनभैंसा है कि मुर्रा भैंस…
रायपुर 23 नवंबर 2023। 9 साल पहले 12 दिसंबर 2014 को क्लोनिंग से पैदा हुई दीपआशा के बारे में अभी तक यह पता नहीं लग पाया है कि वह वन भैंसा है या मुर्रा भैंस? इसलिए अब वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के पास डीएनए सैंपल भेज कर पता लगाया जाएगा कि दीप आशा वन भैंसा है या मुर्रा भैंस।
मुर्रा भैंस ही है दीपआशा सिर्फ वीवीआईपी ही देख सकते हैं, 5 साल से बंधक है दीपआशा
अगस्त 2018 में रायपुर लाने के बाद दीपआशा सात परदे के पीछे कैद है वीवीआईपी के अलावा उसे कोई नहीं देख सकता। वन विभाग के अधिकारियों को मालूम है कि दीपआशा मुर्रा भैंस है अगर आधिकारिक रूप से घोषित हो जाए कि वह मुर्रा भैंस है, वन भैसा नहीं है, तो वन विभाग की बहुत बदनामी होगी क्योंकि करोडों खर्च कर जब वह पैदा हुई थी तो अंतर्राष्ट्रीय खबर बनवाई गई थी कि दुनिया में पहली बार छत्तीसगढ़ ने वन भैंसे की क्लोनिंग कराई। दीपआशा जिस बाड़े में रखी गई है उसकी लागत डेढ़ करोड़ बताई जाती है। बदनामी से बचने के लिए वन विभाग नहीं चाहता कि कोई टेस्ट ही जिससे पता चल जाये कि दीपआशा वन भैंसा नहीं है।
2 साल पहले सीसीएमबी हैदराबाद भेजा जा चुका है दीपआशा का डीएनए सैंपल, सेटिंग के कारण रिपोर्ट नहीं आ रही?
पैदा होने के 4 साल बाद जब दीपआशा मुर्रा भैंस दिखने लग गई तब अधिकारियों को होश आया कि डीएनए टेस्ट कर लेना चाहिए। निर्णय लिया गया कि सीसीएमबी हैदराबाद और वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून को डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल भेजना चाहिए। परन्तु सैंपल सिर्फ सीसीएमबी हैदराबाद भेजा गया। जहां से आज तक रिपोर्ट नहीं आई है और ना ही अधिकारियों ने रिपोर्ट लाने में रुचि दिखाई। सिंघवी ने आरोप लगाया कि वन विभाग ने जानबूझ कर रिपोर्ट रुका रखी है, जब कि असम से 2020 में जब वन भैंसें लाने थे तो 10 दिन में सीसीएमबी हैदराबाद डीएनए टेस्ट करा लिया गया था, 2023 में भी असम से वन भैंसा लाते समय भी 10 दिनों में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से डीएनए टेस्ट करवा लिया।
वन्यजीव प्रेमी ने आपति जताई तो वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया भेजने के लिए अब लिया सैंपल
रायपुर के वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी पिछले दो साल से प्रयत्नशील है कि वन भैंसा दीपआशा साधारण मुर्रा भैंसा है, उससे ना तो प्रजनन कराया जा सक रहा है, ना ही उसे जंगल में छोड़ा जा सकता है। सिंघवी ने मांग कि है कि उसे अपना प्राकृतिक जीवन जीने का हक प्रदान किया जाना चाहिए, इसलिए उसे छोड़ देना चाहिए। सिंघवी ने जुलाई 2023 में मांग की कि सीसीएमबी हैदराबाद से रिपोर्ट नहीं आ रही तो वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से डीएनए टेस्ट करवाया जाये तो अब 9 नवम्बर को दुबारा सैंपल लिया गया है। सिंघवी ने आशा की कि बदनामी को दरकिनार कर अधिकारी दीपआशा के साथ न्याय करेंगें।