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खेती-किसानी में गौमूत्र का ऐसे उपयोग कर आमदनी के साथ साथ पैदवार बढ़ा सकते हैं किसान….

रायपुर 08 अगस्त 2022 : भारतीय अर्थव्यवस्था में गायों का एक अहम रोल है। ग्रामीण इलाकों में गाय पालन एक कमाई का बहुत बड़ा जरिया है। अब तक किसान केवल गाय के दूध का व्यवसाय करके मुनाफा कमाते थे, लेकिन अब वे गोबर और गौमूत्र को भी बढ़िया आमदनी हासिल कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के बाद अब छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में तो गौमूत्र खरीदा भी जा रहा है। हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने 4 रुपये प्रति लीटर गौमूत्र खरीदने का फैसला किया है। सरकार के मुताबिक इससे प्राकृतिक कीटनाशक और उर्वरक बनाएं जाएंगे, जिससे खेतों में रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल में कमी आएगी। इसके अलावा फसल भी बढ़िया होगा, जिससे पशुपालकों और किसानों की आय में इजाफा भी होगा।

बता दें कि गौमूत्र में नाइट्रोजन, गंधक, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फास्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीस, कार्बोलिक एसिड़ जैसे तत्व पाए जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक दयाशंकर श्रीवास्तवा के मुताबिक ये सारे तत्व फसलों के बेहतर विकास के लिए काफी जरूरी होते हैं।

गौमूत्र का इस्तेमाल बीजों के उपचार करने के लिए भी किया जा सकता है। इससे फसलों में बीज जनित रोग कम होने की संभावनाएं रहती हैं।
रासायनिक कीटनाशकों की जगह गौमूत्र से बने जैव कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे जमीन की उर्वरकता को नुकसान नहीं होगा और फसलों को खराब करने वाले कीड़े भी दूर रहेंगे।
फसलों को फंगी से बचाने के लिए इनपर गौमूत्र का छिड़काव करना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
गौमूत्र से जीवामृत और बीजामृत भी बनाया जाता है। जो बीजों के उपचार और फसलों के लिए काफी अच्छा माना जाता है।

बता दें कि रासायनिक उर्रवकों और कीटनाशकों की वजह से खेती की जमीनों की उत्पादकता पर बेहद बुरा असर पड़ता है। हाल के कुछ सालों से सरकार भी किसानों के बीच कई योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है। गौमूत्र से बने कीटनाशकों के इस्तेमाल से यह सरकार की इन योजनाओं को भी बेहद फायदा होगा।

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