खेती-किसानी ने बदली किसानों की किस्मत…छत्तीसगढ़ में कृषि क्रांति के लिए विष्णुदेव साय की सरकार ने लिए कई बड़े फैसले

 

 

रायपुर 15 अगस्त 2024 देश की जीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार भी कृषि ही है और ये धान का कटोरा कहलाता है। इसलिए राज्य के बजट में भी कृषि के साथ-साथ ग्रामीण विकास को फोकस किया गया है। यहां धान और किसान एक-दूसरे के पर्याय हैं। राज्य में लगभग 32 लाख हेक्टेयर में धान की बोनी होती है और 24 लाख से अधिक किसान समर्थन मूल्य पर धान का विक्रय किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने 10 महीने की अल्पावधि में राज्य के किसानों के हित में कई फैसले लिए हैं, इससे राज्य में खेती-किसानी को नया सम्बल मिला है। किसान बेहद खुश है। उनके मन में एक नई उम्मीद जगी है। छत्तीसगढ़ किसानों को धान की सबसे ज्यादा कीमत मिलने के लिए भी जाना जाता है। नई सरकार ने छत्तीसगढ़ की इस ताकत को और मजबूत करने के लिए नए बजट में अनेक प्रावधान किए हैं।

छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी तथा दो साल के बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए का भुगतान करके एक ओर जहां अपना संकल्प पूरा किया है, वहीं दूसरी ओर किसानों से बीते खरीफ विपणन वर्ष में 144.92 लाख मीट्रिक टन धान की रिकार्ड खरीदी की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने संकल्प के मुताबिक समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान में प्रति क्विंटल 917 रूपए के मान से अंतर की राशि भी दे दी है। किसानों को प्रति क्विंटल के मान से 3100 रूपए के भुगतान की यह राशि देश में सर्वाधिक है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस साल के बजट में कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत 10 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है। किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 31,914 करोड़ रूपए का भुगतान एवं किसान समृद्धि योजना के माध्यम से मूल्य की अंतर की राशि 13,320 करोड़ का भुगतान करके यह बता दिया है कि छत्तीसगढ़ की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का रास्ता खेती-किसानी से ही निकलेगा। राज्य सरकार द्वारा किसानों को खेती-किसानी की प्रारंभिक जरूरतों को पूरा करने तथा खेती-किसानी में सहूलियत प्रदान करने के उद्देश्य से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना प्रारंभ किए गए हैं। इसके अलावा किसानों को साहूकारों के चंगुलों से बचाना इसका एक प्रमुख उद्देश्य था। वर्तमान समय में इस योजना के माध्यम से प्रदेश के लाखों किसान इससे लाभान्वित हो रहे हैं। किसानों को प्रारंभिक और खेती-किसानी की जरूरतों के लिए न सिर्फ राहत मिली है, बल्कि फसलों के उत्पाद में लगातार वृद्धि भी हो रही है।

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पूरी कर रहे किसानों से किए वादों की गारंटी

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने मोदी जी की गारंटी पर अमल करते हुए छत्तीसगढ़ में कृषि और किसानों की उन्नति के लिए तत्परता के साथ अनेक कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 13 दिसंबर को शपथ लेने के बाद 25 दिसंबर को ही मोदी की गारंटी पूरी करते हुए 12 लाख से अधिक किसानों के खाते में दो साल के बकाया धान के बोनस के रुप में 3716 करोड़ रुपए की राशि अंतरित की। मुख्यमंत्री ने कृषक उन्नति योजना के तहत किसानों को समर्थन मूल्य और 3100 रुपए प्रति क्विंटल की अंतर की राशि प्रदान करने का ऐलान किया है। खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में किसानों ने 21 क्विंटल प्रति एकड़ और 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 24.72 लाख किसानों से 144.92 लाख मीटरिक टन धान की खरीदी की गई है। किसानों को वर्तमान में समर्थन मूल्य का भुगतान किया गया है। कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को अंतर की राशि के रुप में लगभग 13 हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर राज्य सरकार एक और वायदा पूरा किया।

 

33 फीसदी बढ़ाया कृषि बजट

किसानों का मानना है कि राज्य सरकार के अब तक के फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार किसानों की हितैषी है। खेती-किसानी ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। कृषि के क्षेत्र में सम्पन्नता से ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और विकसित राज्य बनाने का सपना साकार होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने इस साल कृषि के बजट में 33 प्रतिशत की वृद्धि की है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई अभिनव पहल की जा रही है। जशपुर जिले के कुनकुरी में कृषि व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र तथा बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर में पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट एवं प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी महाविद्यालय, सूरजपुर जिले के सिलफिली एवं रायगढ़ में शासकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, तथा मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के खडगंवा में कृषि महाविद्यालय खोलने की व्यवस्था बजट में की है। कृषि में आधुनिक उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय की स्थापना एवं राज्य स्तरीय नवीन कृषि यंत्र परीक्षण प्रयोगशाला के भवन का निर्माण, दुर्ग एवं सरगुजा जिले में कृषि यंत्री कार्यालय तथा रासायनिक उर्वरकों की जांच के लिए सरगुजा जिले में गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी।

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1700 करोड़ की सिंचाई योजनाएं

छत्तीसगढ़ में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, सौर सुजला योजना के माध्यम से सिंचित रकबे में बढ़ोत्तरी का प्रयास किया जा रहा है। नवीन सिंचाई योजना के लिए 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं के लिए 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिंचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए एवं एनीकट तथा स्टाप डेम निर्माण के लिए 262 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है। केलो सिंचाई परियोजना की अधूरी नहरों को पूरा करने के लिए 100 करोड़ रुपए, जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन हेतु डिजिटल सूचना प्रणाली विकसित करने के लिए राज्य जल सूचना केन्द्र की स्थापना हेतु 01 करोड़ 56 लाख का प्रावधान किया गया है। सिंचाई रकबे के विस्तार के लिए नवीन सिंचाई परियोजनाओं हेतु 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं हेतु 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए तथा एनीकट एवं स्टॉपडेम निर्माण हेतु 262 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। सिंचाई बाधों की देखभाल एवं मरम्मत के लिए राज्य बांध सुरक्षा संगठन को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा।

 

7300 करोड़ ब्याज मुक्त कर्ज का लक्ष्य

राज्य के किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 7 हजार 300 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। भूमिहीन कृषि मजदूरों की सहायता हेतु दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के तहत भूमिहीन परिवारों को प्रतिवर्ष 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता देने के लिए बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ में किसानों एवं भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार, कृषि एवं सहायक गतिविधियां के लिए समन्वित प्रयास पर राज्य सरकार का फोकस है। चालू वित्तीय वर्ष कृषि बजट 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 13 हजार 435 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 8500 करोड़ रूपए की साख सीमा छत्तीसगढ़़ सरकार ने तय की है।

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13.07 लाख मीट्रिक टन खाद बांटे

प्रदेश में चालू खरीफ सीजन के लिए किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण जारी है। 03 सितम्बर 2024 की स्थिति में किसानों को लगभग 13.07 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया जा चुका हैं, जो लक्ष्य का 96 प्रतिशत है। वितरित किए गए उर्वरकों में 6 लाख 44 हजार 128 मीट्रिक टन यूरिया, 2 लाख 77 हजार 281 मीट्रिक टन डीएपी, 1 लाख 67 हजार 588 मीट्रिक टन एनपीके, 53 हजार 912 मीट्रिक टन पोटाश तथा एक लाख 64 हजार 559 मीट्रिक टन सुपर फास्फेट का वितरण शामिल है। चालू खरीफ सीजन के लिए राज्य में सहकारिता एवं निजी क्षेत्र के माध्यमों से किसानों को 13 लाख 68 हजार मीट्रिक टन खाद वितरण का लक्ष्य निर्धारित है, जिसके विरूद्ध अब तक 15.68 लाख मीट्रिक टन रासायनिक खाद का भण्डारण करा लिया गया है। भण्डारण के विरूद्ध लगभग 13.07 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किसानों को किया जा चुका है। किसानों को सुगमता पूर्वक खाद का वितरण सोसायटी और निजी विक्रेताओं द्वारा किया जा रहा है। किसानों को किसी प्रकार से परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा खाद-बीज वितरण पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

 

8.92 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज बांटे

प्रदेश के किसानों को चालू खरीफ सीजन में विभिन्न फसलों की बोनी के लिए सहकारी समितियों एवं निजी क्षेत्र के माध्यम से सुगमता के साथ प्रमाणित बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अब तक किसानों को विभिन्न खरीफ फसलों के 8 लाख 92 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज वितरण किए गए हैं, जो कि राज्य में बीज की मांग का 91 प्रतिशत है। राज्य में खरीफ की विभिन्न फसलों के प्रमाणित बीज की कुल मांग 9 लाख 78 हजार क्विंटल है, इसके विरूद्ध 9 लाख 31 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज भण्डारण किया जा चुका है। किसानों को अब तक 8.92 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज का वितरण किया गया है, जो मांग का 91 प्रतिशत है।

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