शिक्षक/कर्मचारी

प्रमुख सचिव के “निकम्मा” शब्द से भड़का फेडरेशन….सहायक शिक्षक फेडरेशन ने पूछा, 3 महीने वाली कमेटी 9 महीने में सौंप नहीं पायी रिपोर्ट, अब निकम्मा कौन ?…..माफी मांगे प्रमुख सचिव नहीं, तो करेंगे सीएम से शिकायत

रायपुर 3 जुलाई 2022। प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला के शिक्षकों पर टिप्पणी मामले में शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा है। अलग-अलग शिक्षक संगठनों की तरफ से प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला के खिलाफ आक्रोश जताया जा रहा है। कुछ संगठनों ने जहां प्रमुख को सचिव को हटाने की मांग की है, तो वहीं कुछ संगठन की तरफ से माफी मांगने को लेकर भी सोशल मीडिया में लिखा जा रहा है। प्रमुख सचिव के बयान पर सहायक शिक्षक फेडरेशन की तरफ से भी नाराजगी जतायी गयी है। फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने कहा है कि निकम्मा जैसी शब्दावली किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मनीष मिश्रा ने इस मामले में तत्काल प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला से अपने कहे शब्दों को वापस लेने की मांग की है।

मनीष मिश्रा ने कहा कि शिक्षक पूरी इमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाता है। विभाग के हर आदेश का पालन शिक्षक करता है। फिर चाहे वो काम गैर शैक्षणिक ही क्यों ना हो, ऐसे में शिक्षक को निकम्मा कहा जाता और उनके खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी करना अनुचित है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सप्ताह के छह दिन और कभी कभी तो पूरे सातों दिन शिक्षक को काम करना पड़ता है। मनीष मिश्रा ने सवाल उठाया कि शिक्षकों को मनगढंत आकलन के आधार पर प्रमुख सचिव निकम्मा बता रहे हैं, लेकिन उनकी अगुवाई में गठित सहायक शिक्षकों की मांगों पूरा करने वाली कमेटी ने अपनी तक अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं दी है। ऐसे में निकम्मा किसे कहा जायेगा?

फेडरेशन की तरफ से कहा गया है कि अगर विभाग ने अन्य कामों से दूर कर सिर्फ शिक्षकों को पढ़ाने के लिए लगाया होता तो उसका परिणाम कुछ और होता । उसके बाद भी अगर परिणाम नहीं आता तो प्रमुख सचिव कहने का हक रखते थे, लेकिन आज के वक्त में खुद ही विभाग ने शिक्षकों पर गैर शिक्षकीय कामों का इतना बोझ डाल दिया है, कि शिक्षकों को अपने मूल काम से मजबूरी में दूर होना पड़ रहा है। मनीष मिश्रा ने कहा कि हम बच्चों के हितैषी हैं, अगर अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं आता है तो दुख हमें अधिकारियों से ज्यादा होता है, लेकिन बच्चों का परिणाम उम्मीद के अनुरूप नहीं आता है तो उसके पीछे की वजह तलाशनी चाहिये, ना कि शिक्षकों पर पूरा ठीकरा फोड़ा जाना चाहिये।

फेडरेशन ने इस मामले में तत्काल प्रमुख सचिव को माफी मांगने को कहा है। फेडरेशन ने साफ कहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों इस पर रणनीति तैयार की जायेगी और मुख्यमंत्री से शिकायत की जायेगी। शिक्षक हमेशा की तरह ही मेहनत करता है और पूरी ईमानदारी से काम करता है। प्रदेश में शिक्षा का बेहतर स्तर और उसकी बदौलत देश में मिले कई अवार्ड प्रमाण हैं कि यहां का शिक्षक निकम्मा नहीं बल्कि ईमानदार और अपने कर्त्वयों के प्रति जागरूक है।

फेडरेशन की तरफ से शिव मिश्रा, सुखनंदन यादव, अजय गुप्ता, सी.डी. भट्, सिराज बक्स, बलराम यादव, बसंत कौशिक, कौशल अवस्थी, रंजीत बनर्जी, अश्वनी कुर्रे, रवि प्रकाश, लोह सिंह, विकास मानिकपुरी, हुलेश चन्द्राकर, उमा पांडे, आदित्य गौरव साहू, छोटे लाल साहू, चंद्र प्रकाश तिवारी, राजकुमार यादव, खिलेश्वरी शांडिल्य, शेषनाथ पांडे, सुरेंद्र प्रजापति, राजू लाल टंडन, मिलेश्वर देशमुख, बसंत कुमार यादव, संजय प्रधान, राजाराम पटेल, मनोज अंबष्ट, शैलेश गुप्ता, बीपी मेश्राम, एलन साहू, यादवेंद्र गजेंद्र, दुर्गा वर्मा, राजकुमारी भगत, रीता भगत, गायत्री साहू, शांति उईके, जयंती उसेंडी, शकुंतला साहू, राजू यादव, नोहर चंद्रा, राजेश प्रधान, बनमोती भोई, तरुण वैष्णव, सुमन प्रधान, विश्व कांत शर्मा, जलज थवाईत, संतराम साहू, आशा कोरी, इंदु यादव, आशा पांडेय, उत्तम बघेल, गोवर्धन शारके, छवि पटेल, संजय प्रधान, अनीता दुबे, लक्ष्मी बघेल, बसंत कुमार, यादव योगेंद्र ठाकुर, केसरी पैकरा, सत्यनारायण यादव, नीलिमा कन्नौजे, भूपेश पाणीग्रही, अजय साहू, प्रभा साहू, दीप्ति बिसेन, सरोज वर्मा, गरिमा शर्मा, चमेली ध्रुव संकीर्तन नंद, हेमेंद्र चंद्रहास, राजवीर किरार, संत कुमार साहू, विनीता साहू, जयंती उसेंडी,पूर्णिमा पांडे और हजारों की संख्या में महिला शिक्षिकाएं एवं सभी जिलाध्यक्ष गण ब्लॉक अध्यक्ष गण और समस्त सहायक शिक्षक उपस्थित हुए उपरोक्त जानकारी प्रदेश मीडिया प्रभारी राजू टंडन द्वारा जारी प्रेस नोट में दी गई है।

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