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हाईकोर्ट : व्याख्याता ट्रांसफर को लेकर हाईकोर्ट ने अभ्यावेदन निराकरण के दिये निर्देश….

हाईकोर्ट ने व्याख्याता के ट्रान्सफर संबंधी अभ्यावेदन के निराकरण के दिए निर्देश

बिलासपुर 10 सितंबर 2022। राज्य के तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग के अवर सचिव द्वारा महासमुन्द जिले के शासकीय पॉलीटेकनीक कॉलेज में पदस्थ व्याख्याता (इलेक्ट्रिकल) नीलकमल साहू, का स्थानान्तरण शासकीय पॉलीटेकनीक कॉलेज बालोद किए जाने का आदेश जारी किया गया था। इस स्थानान्तरण आदेश पर हाईकोर्ट में श्री साहू द्वारा पेश सेवा याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस व्याख्याता के अभ्यावेदन को चार सप्ताह में निराकृत करने के निर्देश विभाग को दिए हैं।

श्री साहू की प्रारम्भिक नियुक्ति बस्तर के शासकीय पॉलीटेकनीक कॉलेज सुकमा में व्याख्याता (इलेक्ट्रिकल) के पद पर वर्ष 2017 में की गई थी। माह अगस्त 2019 में इस व्याख्याता का ट्रान्सफर सुकमा से महासमुन्द कर दिया गया था।

तकनीकी शिक्षा विभाग के अवर सचिव द्वारा 22 जुलाई 2022 को श्री साहू, का स्थानान्तरण शासकीय पॉलीटेकनीक कॉलेज महासमुन्द से शासकीय पॉलीटेकनीक कॉलेज बालोद कर दिया गया स्थानान्तरण आदेष से परिवेदित होकर नीलकमल साहू ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेन्द्र मेहेर के माध्यम से एक याचिका पेश की। याचिका में यह आधार लिया गया था कि याचिकाकर्ता की पत्नि वर्तमान में सहायक अभियन्ता के पद पर छ.ग. विद्युत वितरण कम्पनी मर्या में ही सेवारत है, इसीलिए याचिका में 27 जून 2019 वाली एक अन्य स्थानान्तरण नीति का हवाला देते हुए तर्क किया गया था कि नीति के पदखण्ड 1.10 में निर्धारित नीति के अनुसार पति-पत्नि एक ही स्थान पर पदस्थापना पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर यथासम्भव प्रशासकीय सुविधा एवं जनहित को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक ही स्थान पर पदस्थापित किए जाने का प्रयास किया जा सकेगा।

उच्च न्यायालय के समक्ष यह आधार भी विषेष रूप से उठाया कि शासकीय पॉलीटेकनीक कॉलेज महासमुन्द में व्याख्याता (इलेक्ट्रिकल) के तीन पद स्वीकृत हैं, जिसमें से एक व्याख्याता अध्ययन अवकाश में दूसरा मातृत्व अवकाश तथा तीसरा व्याख्याता याचिकाकर्ता जिसका स्थानान्तरण महासमुन्द से बालोद कर दिया गया है। उपरोक्त कारणों से अध्यापन संबंधी कार्य प्रभावित होगा, बल्कि प्राचार्य ने भी तकनीकी शिक्षा संचालनालय को भी पत्र प्रेषित करते हुए याचिकाकर्ता के स्थानान्तरण को निरस्त करने की अनुशन्सा की थी।

याचिका की सुनवाई जस्टिस एन.के. व्यास की कोर्ट में हुई, जिसमें न्यायमूर्ति ने याचिका का निराकरण करते हुए आदेश पारित किया कि याचिकाकर्ता दो सप्ताह के अन्दर अभ्यावेदन उत्तरवादी विभाग के समक्ष पेश करें, जिसका निराकरण विभाग द्वारा चार सप्ताह के भीतर विधि अनुसार किया जाना होगा।

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