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हाईकोर्ट : लेक्चरर भर्ती गड़बड़ी में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब … आयुष विभाग में चयन के दौरान नियुक्ति प्रक्रिया की हुई थी अनदेखी…

रायपुर 9 नवंबर 2022। आयुर्वेदिक लेक्चरर पद पर भर्ती में गड़बड़ी मामले में हाईकोर्ट ने 3 सप्ताह में पीएससी और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। चयन प्रक्रिया से नाराज कई अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की बेंच में सुनवाई हुई। इसके बाद कोर्ट ने तीन सप्ताह में पीएससी और राज्य सरकार के साथ-साथ संबंधित पक्ष से जवाब तलब किया है। दरअसल लोक सेवा आयोग की तरफ से जून महीने में चिकित्सा शिक्षा (आयुष) विभाग में लेक्चरर पर रिक्तियां निकाली गयी थी। कुल 13 पदों पर होने वाली भर्तियों के लिए 90 से ज्यादा आयुष डाक्टरों ने आवेदन किया था। अभ्यर्थी चयन की प्रक्रिया, आरक्षण रोस्टर की अनदेखी सहित अन्य बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज करायी थी।

लोक सेवा आयोग में आपत्तियां दर्ज कराने के बावजूद और नियुक्ति संबंधित जानकारी RTI से मांगे जाने पर आयोग के रूख से नाराज अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। डॉ सागर शर्मा, डा पायल शर्मा, डा कीर्ति मिश्रा ने हाईकोर्ट में इस मामले में अधिवक्ता विनय पांडेय के माध्यम से याचिका दायर की थी। याचिका में लेक्चरर नियुक्ति नियमावली ना होने, चयन प्रक्रिया में विसंगति और पीएचडी धारक के शोध पत्र को भी इंटरव्यू के दौरान तवज्जो नहीं दिया गया।

इस मामले में पिछले महीने 18 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी, जिसमें राज्य सरकार और पीएससी के साथ-साथ संबंधित पक्ष से जवाब मांगा है। जवाब आने के बाद अब इस मामले में कोर्ट आगे की सुनवाई करेगा।

क्या थी अभ्यर्थियों की शिकायत

दरअसल आयुष लेक्चरर पद पर भर्ती को लेकर कई स्तर की गड़बड़ियां थी, फिर चाहे बात चयन प्रक्रिया की हो, लेक्चरर नियुक्ति नियमावली की हो या फिर आरक्षण रोस्टर के पालन की हो। दरअसल भर्ती विज्ञापन में उल्लेख था कि अभ्यर्थियों की संख्या ज्यादा होने पर परीक्षा के माध्यम से चयन होगा, नहीं तो इंटरव्यू के जरिये चयन होगा। लेकिन विज्ञापन में इसका उल्लेख नहीं था कि कितने गुणा अभ्यर्थी के आवेदन के बाद परीक्षा का निर्णय लिया जायेगा। अभ्यर्थियों के मुताबिक साक्षात्कार में भी कई स्तर की गड़बड़ियां थी। इंटरव्यू पैनल में दो नन टेक्निकल मेंबर को शामिल किया था, जबकि सिर्फ 1 ही संबंधित विषय के विशेषज्ञ थे। इंटरव्यू पैनल में कोर्स और सिलेबस के आधार पर सवाल जवाब के बजाय छत्तीसगढ़ से संबंधित विषयों पर सवाल जवाब हुए। सबसे गंभीर बात तो ये यही थी, जिसका जिक्र कोर्ट ने भी किया कि लेक्चरर भर्ती नियम ही छत्तीसगढ़ में नहीं बना है। वहीं आरक्षण निरस्त होने के बाद रिजर्वेशन की मौजूदा परिस्थिति के आधार पर रोस्टर नहीं तैयार किया गया, संवैधानिक तौर पर गलत था। हैरान की बात ये है कि इस मामले में जब अभ्यर्थियों ने लोक सेवा आयोग सूचना के अधिकार के जरिये जानकारी मांगी तो गोलमोल जवाब दिया गया। लिहाजा अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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