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CG: DMF पर ED की नजरें टेढ़ी, ब्यूरोक्रेसी में बढ़ने लगी चिंता, कई विभागों में फाइल गायब, ED के रडार पर अफसर व सप्लायर !

रायपुर 6 अगस्त 2023। छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में सत्ता में वापसी के लिए एक तरफ राजनीतिक दल चिंतन और मंथन में जुटी हुई हैं। वहीं दूसरी तरफ इसी चुनावी साल में प्रवर्तन निदेशालय की जांच ने ब्यूरोक्रेसी की चिंता एक बार फिर बढ़ा दी हैं। दरअसल कोयला और शराब के बाद अब ईडी ने डीएमएफ की जांच शुरू कर दी हैं। प्रदेश के 33 जिलों से डीएमएफ मद से हुए कार्यो का लेखा-जोखा ईडी ने मांगा हैं। ईडी से जारी पत्र के बाद जहां कई विभाग में पुराने रिकार्ड गायब हैं, तो वही कई विभागों में करोड़ो रूपये की हुई खरीदी को लेकर अफसरों के साथ ही सप्लायर की नींच उड़ी हुई हैं।

गौरतलब हैं कि छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनावी साल में ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई भी राजनीतिक मुद्दा बन गया हैं। एक तरफ जहां बीजेपी ईडी की कार्रवाई को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस के काले कारनामों का खुलासा करने की बात कह रही हैं, तो वही दूसरी तरफ सत्ताधारी कांग्रेस ईडी की इस पूूरी कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बता रही हैं। लिहाजा चुनावी साल में राजनीतिक दलों के चुनावी संग्राम में उतरने के साथ ही ईडी भी अपनी कार्रवाई से सबकी नजर अपनी ओर खीच रही हैं। कोयला और शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी ने अब डीएमएफ का नया पन्ना उलटना शुरू कर दिया हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने प्रदेश के सभी 33 जिलों के कलेक्टर्स को पत्र जारी कर डीएमएफ मद से साल 2016 से अब तक हुए सभी कार्यो की जानकारी मांगी हैं। ईडी के इस पत्र से डीएमएफ से अनुदान प्राप्त होने वाले जिलों को तो थोड़ी राहत हैं, लेकिन खनिज बाहुल्य वाले जिलों के अफसरों की चिंता जरूर बढ़ गयी हैं।

मतलब पुराने अफसरों ने जो किया उसका लेखा-जोखा मौजूदा अफसर को देनी पड़ रही हैं। जानकारों की माने तो पिछले 4 सालों में डीएमएफ से सर्वाधिक कार्य शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्यानिकी विभाग के साथ ही बीज निगम में हुए। इन विभागों में अफसरों ने करोड़ों रूपयें के सप्लाई आर्डर जारी कर खरीदी की गयी। बताया तो ये भी जा रहा हैं कि काम होने के बाद कई जवाबदार अफसरों ने तबादला के बाद जाने से पहले कई फाइलों को जला दिये या फिर अपने साथ ही उसे ले गये, ताकि उनके कारनामों का खुलासा ना हो सके। ऐसे में ईडी के पत्र के बाद ऐसे ही कई विभाग के अफसर फाइलों को ढूंढ-ढूंढकर हलाकान हो रहे हैं, लेकिन उन्हे पुराने कार्यकाल की फाइले मिल नही रही हैं।

खैर कलेक्टर के आदेश के बाद विभाग के अफसर किसी तरह भी आधे अधूरे रिकार्ड दुरूस्त कर ईडी के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले वक्त में ईडी की जांच तेज हुइर्, तो तय हैं कि मौजूदा अफसर के साथ ही पुराने कार्यकाल के अफसर तो ईडी की रडार पर रहेंगे ही, इसके साथ ही बड़े सप्लायरों को भी ईडी रडार पर लेगी। लाजमी हैं ईडी की इस जांच और कार्रवाई से अलग-अलग विभाग के अफसरों के साथ ही उन ब्यूरोक्रेटस की भी चिंता बढ़ा दी हैं, जिन्होने डीएमएफ मद से कार्यो की स्वीकृति दी थी।

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