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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामला एवं विभागीय जांच एक साथ नहीं चल सकता, हाईकोर्ट ने लगायी रोक

बिलासपुर 26 अगस्त 2023। आपराधिक मामला और विभागीय जांच एक साथ नहीं चल सकता। कांस्टेबल की याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने जवान के खिलाफ दी गयी विभागीय जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। दरअसल ग्राम-आमाकोनी, तहसील-जैजैपुर, जिला-शक्ती निवासी ईश्वर प्रसाद लहरे जिला जांजगीर चाम्पा में पुलिस कान्सटेबल के पद पर पदस्थ हैं।

उनके विरूद्ध पुलिस थाना- जांजगीर में एक अपराध पंजीबद्ध हुआ एवं न्यायालय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जिला जांजगीर चाम्पा में ट्रायल विचाराधीन है। इसी दौरान पुलिस अधीक्षक, जांजगीर चाम्पा द्वारा ईश्वर प्रसाद लहरे को निलंबित कर उन्ही आरोपों पर उनके विरूद्ध विभागीय जांच कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई। उक्त विभागीय जांच कार्यवाही से क्षुब्ध होकर ईश्वर प्रसाद लहरे द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं घनश्याम शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई।

अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं घनश्याम शर्मा द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट बैंक ऑफ इंण्डिया एवं अन्य विरूद्ध नीलम नाग एवं अन्य इसके साथ ही अविनाश सदाशिव भोसले विरूद्ध युनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य के बाद में यह निर्णय दिया गया है कि यदि किसी शासकीय कर्मचारी के विरूद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया गया है एवं समान आरोपों पर उसके विरूद्ध विभागीय जांच कार्यवाही संचालित की जा रही है। दोनों मामलों में अभियोजन साक्षी समान है तो समस्त अभियोजन साक्षियों का पहले सक्षम न्यायालय में आपराधिक मामले में परीक्षण किया जाना चाहिये, उक्त नियम का पालन ना किये जाने से सम्पूर्ण ट्रायल पूर्वाग्रह से ग्रसित हो जाएगा एवं यह प्राकृतिक न्याय सिद्धान्त का घोर उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता के मामले में पुलिस अधीक्षक, जांजगीर चाम्पा द्वारा विभागीय जांच कार्यावाही संचालित कर उक्त न्याय दृष्टांत का घोर उल्लंघन किया जा रहा है। उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका को स्वीकार कर याचिकाकर्ता पुलिस कान्सटेबल ईश्वर प्रसाद लहरे के विरूद्ध संचालित की जा रही विभागीय जांच कार्यवाही पर स्थगन (स्टे) कर विभागीय जांच कार्यवाही पर रोक लगा दिया गया।


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