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IAS Dr. Gaurav Kumar Singh biography : आईएएस डॉ.गौरव सिंह का जीवन परिचय

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रायपुर 23 अप्रैल 2024  डॉ.गौरव सिंह साल 2013 बैच के IAS अफसर हैं. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में रायगढ़ असिस्टेंट कलेक्टर, सरायपाली में SDM के पद पर सेवाएं देने के बाद वे साल 2016 को नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा के जिला पंचायत CEO बनाए गए थे. उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पर्यटन से लेकर तमाम सारे काम किए. महिला समूहों को रोजगार देने गारमेंट फैक्ट्री खोलने, पालनार को कैशलेज ट्रांजेक्शन विलेज बनाने, नक्सल इलाके के बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार देने प्रदेश का पहला बीपीओ कॉल सेंटर दंतेवाड़ा में खोलने, महिलाओं को ई रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग देकर उपलब्ध कराने जैसे कई क्षेत्रों में ऐसा काम किया. इससे नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिला में बदलाव नजर आने लगा था.

गौरव कुमार सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले से हैं. गौरव यहां मल्लावां क्षेत्र के देवमनपुर गांव के रहने वाले हैं. गौसगंज के पीबीआर इंटर कालेज के प्रिंसीपल रहे शिवराज सिंह के 3 पुत्रों और चार पुत्रियों के परिवार में गौरव, शुरू से ही मेधावी छात्र रहे. गौरव सिंह की शुरुआती शिक्षा, सरस्वती शिशु मंदिर में हुई और फिर पीबीआर इंटर कॉलेज गौसपुर से बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की. बता दें कि गौरव सिंह ने आईआईटी दिल्ली से सोलर ऊर्जा में पीएचडी की है और 2013 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.

नक्सलियों के गढ़ में नक्सलियों के विरोध के बीच ग्रामीणों के लिए पीएम आवास बनवाए. लंच विद कलेक्टर सहित अन्य कामों से खूब सुर्खियां बंटोरी थी. अपने कार्यकाल में न केवल आम जनों से नजदीकियां बढ़ाई बल्कि दंतेवाड़ा की बदली तस्वीर पर पीएम एक्सीलेंस अवार्ड सहित 4 नेशनल अवार्ड भी मिले . अपने बेहतर काम को लेकर डॉ.गौरव काफी सुर्ख़ियों . नतीजा यही था कि इनके ट्रांसफर पर विदाई समारोह में जिलेवासियों का हुजूम उमड़ पड़ा था. इतना ही नहीं दंतेवाड़ा में हुए इन कामों से कमजोर पड़ रहे नक्सलवाद के कारण नक्सलियों को भी पर्चा जारी करने मजबूर होना पड़ा था. दंतेवाड़ा में तात्कालिक कलेक्टर सौरभ कुमार और डॉ. गौरव सिंह के जुगलबंदी से हुए कामों की खूब चर्चा हुई थी.

 

दंतेवाड़ा में करीब ढाई साल सेवा देने के बाद गौरव धमतरी , दुर्ग, रायपुर जिला पंचायत सीईओ के पद पर सेवाएं दे चुके हैं. राजधानी रायपुर में कोरोना काल में उन्होंने आगे आकर कई सारे काम किए थे. इसकी काफी सराहना हुई थी. वे मुंगेली जिले में महज़ दो महीने के लिए कलेक्टर बनाए गए थे. तब 2 महीने में 100 गांवों में चौपाल लगाने का रिकॉर्ड बनाया था. लोगों के बीच पहुंची उनकी समस्याएं सुनी और उनका निराकरण भी किया था. बालोद और सूरजपुर में भी बतौर कलेक्टर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इनकी कार्यशैली को लोग खूब पसंद करते हैं.

इंजीनियर से बने IAS
IAS डॉ. गौरव सिंह उत्तरप्रदेश के हरदोई जिले के रहने वाले हैं. स्कूली शिक्षा गांव की ही स्कूल में हुई थी. इंजीनियरिंग की पढ़ाई Sultanpur से की. Delhi IT से मास्टर्स किया. इन्हें जर्मनी की DAAD फेलोशिप भी मिली थी. लेकिन वे जर्मनी नहीं गए. दिल्ली में उन्होंने पीएचडी (Doctor of Philosophy ) की. यहां रहकर UPSC की तैयारी की. साल 2012 को परीक्षा दिलाई और IAS बन गए. इनकी सारी पढ़ाई हिंदी मीडियम से ही हुई है..

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