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जानिये कौन हैं पूर्व IAS अनिल टुटेजा, जिसे शराब घोटाले में किया गया गिरफ्तार, रहे थे PSC के टॉपर, शतरंज के भी थे नेशनल चैंपियन, नान घोटाले में भी थे आरोपी

Ex IAS Officer Anil Tuteja Arrest: 21 अप्रैल को छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले (Chhattisgarh liquor scam) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा (Anil tuteja) को गिरफ्तार किया है। अनिल टुटेजा के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत कार्रवाई हुई। यह गिरफ्तारी अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश को जांच एजेंसी द्वारा रायपुर में पूछताछ के लिए बुलाए जाने के एक दिन बाद हुई है।

क्या है कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाला और अनिल टुटेजा पर क्या आरोप?

कथित शराब घोटाला छत्तीसगढ़ के शराब उद्योग में भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित है, जिसमें अधिकारियों और प्रभावशाली पदाधिकारियों के भी शामिल होने के आरोप हैं।ईडी के अनुसार, ये मामला 2019 और 2022 के बीच कुछ अनियमितताएं का है, जब राज्य संचालित शराब रिटेलर सीएसएमसीएल के अधिकारियों ने डिस्टिलर्स से रिश्वत ली. पिछले साल जुलाई में, जांच एजेंसी ने मामले में आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि 2019 में शुरू हुए कथित ‘शराब घोटाले’ में भ्रष्टाचार कर 2,161 करोड़ रुपये की उगाही की गई. ईडी के मुताबिक, पैसा सरकारी खजाने में जाना चाहिए था।

MPPSC के टॉपर रहे थे अनिल टुटेजा

1989 MPSC के टॉपर रहे अनिल टुटेजा प्रमोट होकर IAS बने थे। उन्हें 2003 बैच आवंटित हुआ था। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर अनिल टुटेजा छत्तीसगढ़ के चर्चित नान घोटाले के भी आरोपी थे। पिछली सरकार में वो भूपेश सरकार के काफी करीबी अफसरों में थे। मूलत: बिलासपुर के रहवासी अनिल टुटेजा मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में टॉप कर चर्चा में आए। उन्होंने डिप्टी कलेक्टर के रूप में कई जिलों में अपनी सेवाएं दी। वो आरडीए सीईओ, भिलाई और राजनांदगांव के नगर निगम कमिश्नर व रायपुर संभाग के उपायुक्त रहे। राज्य गठन के बाद पंचायत ग्रामीण विभाग में बतौर संचालक के पद पर पदस्थ किए गए।

प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद सीएम सचिवालय में उप सचिव के पद पर काम करते हुए ग्राम सुराज अभियान जैसे कई कार्यक्रमों के अहम किरदार रहे।टुटेजा को आईएएस अवॉर्ड होने के बाद नागरिक आपूर्ति निगम का एमडी बनाया गया । इस दौरान यहां एक शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू-एसीबी की छापेमारी ने राजनीतिक रंग ले लिया। उन पर संस्थान को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा। उन्हें तत्कालीन प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला के साथ आरोपी बना चालान पेश कर दिया गया। इसके बाद से अब तक वो कानूनी झमेले में पड़े रहे। इस वजह से उनका प्रमोशन रूक गया। जबकि उनके बैचमैट सचिव हो चुके हैं।

उन पर आईटी और ईडी की रेड भी पड़ी।इन सबके बावजूद विपरीत परिस्थितियों में बेहतर काम करने की मिसाल कायम की है। प्रशासनिक क्षमता के साथ साथ अनिल टुटेजा शतरंज के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे, सिविल सेवा राष्ट्रीय शतरंज में भारत में द्वितीय स्थान पर रहे। अविभाजित मध्यप्रदेश में प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर रहे। वो स्टेट बैंक आफ इंडिया के प्रोबेशरी अफसर के तौर पर भी सेलेक्ट हुए थे, लेकिन 1989 में एसबीआई मैनेजर के तौर पर वो 3 महीने ही काम किये थे, जिसके बाद वो सिविल सर्विस में सेलेक्ट हो गये। 1989 में MPSC के टॉपर रहे। वो 1989 में डिप्टी कलेक्टर बने। उन्होंने एसडीएम गरियाबंद, भाटापारा, धमतरी, अंबिकापुर, एडीएम कांकेर के तौर पर पदस्थ रहे। वो राजनांदगांव और भिलाई निगम कमिश्नर रहे। वहीं आरडीए के सीईओ और क्रेडा के एडिश्नल सीईओ रहे। अनिल टुटेजा सीएम सेक्रेटिएट के डिप्टी सिकरेट्री भी रहे। इसके अलावे एमडी स्टेट वेयरहाउस, नागरिक आपूर्ति विभाग के साथ उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव सह डायरेक्टर रहे।

 

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