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भू स्खलन : दोमंजिला मकान पलक झपकते हुआ धराशायी ,भू स्खलन से अन्य मकानों को भी खतरा…

उत्तराखंड 25 सितंबर 2023| नैनीताल के मल्लीताल स्थित चार्टन लॉज इलाके में दो मंजिला मकान भूस्खलन की चपेट में आकर भरभराकर गिर गया। गनीमत रही कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। समय रहते मकान को खाली करवा लिया गया था। भूस्खलन से मकान गिरने के बाद आसपास बने मकानों में भी दरारें आ गई हैं और मकान टेढ़े हो गए हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई है।

इस भूस्खलन का एक कारण क्षेत्र में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान को भी माना जा रहा है, जिसमें जेसीबी समेत भारी भरकम ड्रिलर मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है। प्रशासन और पुलिस खतरे की जद में आए मकानों को खाली कराने के लिए मुनादी भी कर रहा है। प्रशासन प्रभावित परिवारों के रहने की व्यवस्था के साथ भूस्खलन क्षेत्र में पानी रिसाव रोकने के लिए तिरपाल डाल रहा है।

पूर्व में प्राधिकरण ने सील किया था मकान

नैनीताल। चार्टन लॉज क्षेत्र में भूस्खलन के बाद जो मकान ध्वस्त हुआ था उसे प्राधिकरण की टीम पूर्व में सील कर चुकी थी। इसके बाद भी भवन निर्माण होता रहा और मकान बन गया। लोग यहां रहने लगे। जिला विकास प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय ने बताया कि पूर्व में भवन स्वामी जब दूसरी मंजिल बनवा रहा था तो उसे नोटिस भेजकर भवन सील किया गया था। इसके बावजूद निर्माण कार्य कर दिया गया था।

दीवार के गिरते ही भूस्खलन तेज होने लगा। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन को सूचना दी। कुछ देर बाद क्षेत्र में स्थित रास्ते व घरों में दरारें उभरने लगी तो लोग दहशत में आ गए। पुलिस ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में बने मकानों को खाली कराना शुरू कर दिया। इस दौरान मौके पर भारी भीड़ जमा रही और लोगों ने इसका वीडियो भी बनाकर वायरल कर दिया। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में बारिश का क्रम जारी है। रविवार को भी प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग की ओर से ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य सभी जिलों के लिए बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है।

मौसम कार्यालय के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश और पड़ोसी उत्तराखंड में प्रति दशक बहुत भारी से अत्यधिक भारी वर्षा वाले दिनों की संख्या पिछले दशक के 74 से बढ़कर 2011 और 2020 के बीच 118 हो गई है.

मानसून दक्षिण एशिया में लगभग 80 प्रतिशत वार्षिक वर्षा लाता है और यह कृषि और लाखों लोगों की आजीविका दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन यह हर साल भूस्खलन और बाढ़ के रूप में विनाश भी लाता है.

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