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“वेतन विसंगति दूर कराकर ही अब मैं रूकूंगा”…. फिर बुलंद हुई वेतन विसंगति को लेकर सहायक शिक्षकों की आवाज….मनीष मिश्रा ने पोस्ट की वेतन विसंगति की आस जगाती जोश से भरी कविता….. पढ़िये

रायपुर 16 जून 2022। आज से स्कूलों के ताले खुल गये हैं। बच्चों से शाला गुलजार हो गया है । …एक तरफ क्लास रूम में पढ़ाई की आवाज फिर से सुनाई पड़ने लगी है, तो वहीं दूसरी तरफ से शिक्षकों की मांगें फिर से बुलंद होने लगी है। सहायक शिक्षकों ने एक बार फिर से वेतन विसंगति की आवाज को बुलंद किया है। सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने एक कविता अपने फेडरेशन के साथियों के लिए पोस्ट की है, जिसमें उन्होंने वेतन विसंगति की मांग को जिंदा करते हुए लिखा है- वेतन विसंगति दूर कराकर ही अब मैं रूकुंगा।

आपको बता दें कि वेतन विसंगति की मांग छत्तीसगढ़ के सहायक शिक्षकों की वर्षों पुरानी है। पिछले साल दिसंबर में सहायक शिक्षकों ने वेतन विसंगति की ही मांग को लेकर 18 दिनों की हड़ताल भी की थी। सरकार ने इसे लेकर एक कमेटी भी बनायी है, बावजूद अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। लिहाजा एक बार फिर से आंदोलन की आग प्रदेश के सहायक शिक्षकों के बीच सुलगने लगी है।

सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने बताया कि सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की मांग को पूरा कराने केलिए उन्हें इस लड़ाई को जिस भी स्तर पर ले जाना होगा, वो ले जायेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के आश्वासन के बाद फेडरेशन ने अपना आंदोलन स्धगित जरूर किया है, लेकिन खत्म नहीं किया है। हम सिर्फ सरकार की मंशा को भांप रहे हैं, अगर सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम उठता नहीं दिखेगा, तो आने वाले दिनों एक और उग्र प्रदर्शन के लिए हम फिर से मजबूर होंगे।

मनीष मिश्रा ने जो कविता अपने सहायक शिक्षक साथियों के लिए पोस्ट की है, उसका शीर्षक ही है, बढ़ो मेरे साथियों, यह हमारे धैर्य की परीक्षा है, दैखते हैं, आगे क्या नियति की इच्छा है। उन्होंने अपने साथियों का उत्साह बढ़ाते हुए लिखा है कि संगठन के लिए मेरा सब कुछ समर्पित है, मेरा सबकुछ अर्पित है। मनीष मिश्रा की तरफ से पोस्ट ये कविता सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है।

मनीष मिश्रा की पोस्ट की गयी पूरी कविता पढ़िये

बढ़ो मेरे साथियों,यह हमारे धैर्य की परीक्षा है
देखते हैं, आगे क्या नियति की इच्छा है
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आप साथ दो मेरा, मैं सामने डटा रहूंगा
सेनापति की तरह, हरदम आगे ही रहूँगा
जो ठान लिया है मन में, उसके लिए लडूंगा
वेतन विसंगति दूर कराकर ही, अब मैं रुकूंगा
नेतृत्व दिया है आपने मुझे, यह नेतृत्व की समीक्षा है
देखते हैंआगे, क्या नियति की इच्छा है
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संगठन के लिए मेरा, सब कुछ समर्पित है
जोश जुनून दिल में है, मेरा सब कुछ अर्पित है
आपके भरोसे मैं टीका हूं, मेरा रोम रोम रोमांचित है
साथ में रहेंगे, साथ में चलेंगे, यह मेरी प्रतिज्ञा है
देखते हैंआगे, क्या नियति की इच्छा है
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सामने कोई अफसर हो, या बाधा हो कोई
चाहे शासन-प्रशासन हो, चाहे मुश्किल हो कोई
बस आप सबका साथ हो, आप सबका विश्वास हो
हर शिक्षक मेरा विघ्नहर्ता, शक्ति मेरी हर शिक्षिका है
देखते हैं आगे क्या नियति की इच्छा है
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मुझ पर विश्वास जो यह विश्वास है
यह विश्वासनहीं तोडूंगा
वेतन विसंगति दूर करने का, कोई प्रयास न छोड़ूंगा
खुद से बढ़कर मेरे लिए, अब आपकी सुरक्षा है
देखते हैं आगे क्या नीयति की इच्छा है
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मनीष मिश्रा
प्रदेश अध्यक्ष
छग सहायक शिक्षक फेडरेशन

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