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NW न्यूज 24 स्पेशल:CM की सोच से बियाबान हुआ रोशन… नक्सली खौफ से सन्नाटे में डूबे बस्तर के 196 गांव हुये रोशन … अब हजारों घरों में डिबिया नहीं, बल्ब जगमगाते हैं

रायपुर, 25 जनवरी 2023।  मुख्यमंत्री की सोच ने बस्तर को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। भूपेश बघेल की विकासवादी सोच ने एक तरफ जहां बस्तर के बीहड़ों में विकास की राह तैयार की, तो दूसरी तरफ नक्सलियों की ताकत को भी तबाह कर दिया। मुख्यमंत्री की सोच का ही नतीजा है कि दशकों से अंधेरे में डूबे गांवों में अब रोशनी बिखर रही है। पिछले चार सालों में भूपेश सरकार ने उन 196 गांवों को रोशन किया है, जहां कभी बिजली पहुंची ही नहीं थी। बीते चार साल में बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में 103 गांव, सुकमा जिले के 61 गांव, बस्तर जिले के 12, दंतेवाड़ा जिले के 11, कांकेर के 5, कोंडागांव के 3 और नारायणपुर के 1 गांव समेत कुल 196 गांव में बिजली पहुंचा दी गयी है ।

अहम बात ये है कि जिन इलाकों में बिजली पहुंची है, वो इलाका पूरी तरह से नक्सलियों के कब्जे में था। फिर चाहे बात सिलगेर, कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा या गुफड़ी की बात हो। भूपेश सरकार के कार्यकाल में बीते चार सालों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को खदेड़कर संवेदनशील और दुर्गम इलाकों में बिजली पहुंचाने का रास्ता साफ किया है। बिजली आने से इलाके की रौनक बढ़ गयी है। वीरानियां रंगीनियों में बदल गयी है। अब घरों में टीवी, म्यूजिक सिस्टम तक आ गये हैं। शाम होते ही अंधेरे में डूबे गांव में अब बल्ब की रोशनी में रात तक बच्चे पढ़ाई करते दिखते हैं।

पहले मोबाइल चार्ज कराने जाना पड़ता था 7 किलोमीटर

हर्रा मड़कम कमारगुड़ा का रहने वाला है। तेलंगाना में मजदूरी करने के दौरान उसने एक एड्रायड फोन खरीदा था, कोरोना में घर लौटने के बाद से वो यही रह रहा है। हर्रा बताते हैं कि उसे हर दूसरे-तीसरे दिन मोबाइल चार्ज कराने 7 किलोमीटर जाना पड़ता था। अब घर में लाइट आने से सब बढ़िया हो गया है। मोबाइल से वो गाना भी सुनता है और वीडियो भी देखता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस पहल के बाद पूरे इलाके में अब रोशनी दिखती है। हर्रा बताते हैं आज से साल भर पहले इलाके में शाम 5 बजे के बाद कोई बाहर नहीं निकलता था, पूरा इलाका अंधेरे में डूब जाता था। अब रोशनी आ जाने की वजह से जंगली जानवरों का भी डर कम हो गया है।

करीगुण्डम से लेकर सिलगेर तक बिजली की चमक दिखायी दे रही है। मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना के तहत कोलईगुड़ा के 82 परिवारों, करीगुण्डम के 160, कमारगुड़ा के 120, नागलगुण्डा के 81 तथा सिलगेर के 210 घरों में विद्युत लाईन कनेक्शन किया गया है जिससे ग्रामीणों में उत्साह है। इन गांवों में पूर्व में नक्सल अवरोध के कारण विद्युत व्यवस्था किया जाना संभव हो नहीं पा रहा था, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में ग्रामीणों की सहभागिता से इन गांवों मंें विद्युत सुविधा पहुंचाना संभव हुआ है।

चार सालों में 196 गांवों में पहुंची रोशनी

 बीते चार सालों में नक्सल घटनाओं में 56 फीसदी तक कमी आयी है। इसका असर ये हुआ कि बस्तर संभाग के 196 गांवों में बिजली पहुंचा दी गयी ।मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना से बिजली पहुंचने से ग्रामीण काफी खुश हैं। हुर्रा बताते हैं कि सालों से यहां लोग बिजली का इंतजार कर रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी इस मांग को पूरा किया है। बिजली ना होने से शाम के बाद पढ़ाई नहीं हो पाती थी । लेकिन अब बच्चे देर रात तक पढ़ पा रहे हैं ।

5 हजार से ज्यादा लोगों के घरों में जल रहे हैं बल्ब

सुकमा जिले के 5 हजार से अधिक परिवारों को शासन प्रशासन की मदद से नई रोशनी का सवेरा मिला है। कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा, नागलगुण्डा, और करीगुण्डम एक समय नक्सल गतिविधियों के लिए कुख्यात गांव रहे। जहां प्रशासन की पहुंच मुश्किल थी, नतीजतन गांव विकास से कोसो दूर रहा। आज शासन के विकास, विश्वास और सुरक्षा के सूत्र को सफल बनाते हुए पुलिस एवं सुरक्षा बलों ने नक्सल गुट को खदेड़ दिया है। गांव और गांव के समीप कैम्प की स्थापना से सीधे तौर पर गांव वालों को सुरक्षा के साथ ही विकास की राह मजबूत हुई है और आज गांव में बिजली भी पहुंच गई है।पिछले चार साल में सुकमा जिले के 61 गांवों के 173 मजरा-टोला में विद्युतीकरण का काम पूरा कर लिया गया है । जिसमें 299 किलोमीटर 11 केवी लाइन, 252 किलोमीटर एलटी लाइन और 122 ट्रांसफार्मर लगाये गये हैं । बिजली पहुंचाने के लिये 2277 लाख रूपये व्यय किये गये हैं । इन 61 गांवों में बिजली पहुंचने से करीब 5 हजार 158 परिवारों के घरों का अंधेरा दूर हुआ है ।

नक्सलगढ के रूप में चर्चित सिलगेर भी हुआ रोशन

मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना के तहत कोलईगुड़ा के 82 परिवारों के साथ ही करीगुण्डम के 160, कमारगुड़ा के 120, नागलगुण्डा के 81 तथा सिलगेर के 210 घरों में विद्युत लाईन कनेक्शन किया गया है जिससे ग्रामीणों में उत्साह है। इन क्षेत्रों में पूर्व में नक्सल अवरोध के कारण विद्युत व्यवस्था किया जाना संभव हो नहीं पा रहा था। लेकिन सुरक्षा कैम्प स्थापित होने के बाद पहले कैम्प और अब गांव तक बिजली पहुंचा दी गई है। 


सड़कविहीन क्षेत्रों को अब गुणवत्ता पूर्ण सडकों के निर्माण से उन्हें मुख्य मार्ग से जोड़ा जा रहा है। सड़क बनने से जहां विकास की गति तेज हुई है तो वहीं सुरक्षा कैम्प की स्थापना से ग्रामीणों को सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। सड़क बनने से अब अधोसंरचना निर्माण के साथ ही मूलभूत सुविधाओं की पहुंच भी आसान हुई है।

सोलर सिस्टम से हो रहा बिजली उत्पादन

ऐसे 219 गांव के पारा, मोहल्ला में पानी पहुँच सके, इसलिए क्रेडा विभाग की मदद ली जा रही है और सोलर सिस्टम से बिजली उतपन्न कर इन इलाकों में पेयजल (Jal Jeevan Mission)पहुचाने की व्यवस्था की जा रही है। क्रेडा विभाग के मुताबिक 169 गांव में काम पूर्ण हो चुका है, शेष 50 गांव में काम चालू है। जिन ग्रामों में पूर्व से नल जल योजना लागू नहीं है, वहां पर उपलब्ध भू-गर्भ जल के लिए बोर, पाइप, पम्प, टंकी, वितरण लाइन, बिजली कनेक्शन, संचालन व्यवस्था बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिल कर काम करेगी।जहां भू-गर्भ जल प्रदूषित है। आर्सेनिक आयरन, फ्लोराइड जैसी अशुद्धि की समस्या है। वहां फिल्टर प्लांट इत्यादि के लिए पेयजल को शुद्ध किया जाएगा। हर गांव के घर में स्थानीय निकाय पंचायतों के सहयोग से पाइप लाइन के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए कार्य जारी है। इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से गांवों में रह रहे लोगों तक पेयजल(Jal Jeevan Mission) सुनिश्चित की गई है।

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