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क्या सच में संविलियन पाए शिक्षकों को 2012 से पुरानी पेंशन मिलना है तय ? क्या केवल इससे पहले की नियुक्ति वालों को ही पुरानी पेंशन बहाली में है संकट ?क्या है असली हकीकत, जाने पूरी खबर ।

रायपुर 7 अप्रैल 2022। प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा हो चुकी है और इसके लिए विभाग स्तर पर जोर शोर से तैयारी भी चल रही है लेकिन जो सबसे बड़ा कर्मचारी वर्ग इससे लाभान्वित होगा वह है संविलियन प्राप्त शिक्षक जिसकी नियुक्ति 1998 से लेकर 2018 तक हुई है , क्योंकि शिक्षकों का संविलियन पहली बार जुलाई 2018 में हुआ इसलिए शिक्षकों ने अपने तरीके से अभिनंदन करके मुख्यमंत्री तक यह बात पहुंचाई कि यदि उनकी पूर्व सेवा अवधि की गणना नहीं होती है तो उन्हें पुरानी पेंशन बहाली का कोई खास लाभ नहीं होगा खास तौर पर जिन की सेवा अधिक हो चुकी है वह बहुत अधिक नुकसान में रहेंगे , ऐसे में यह तय है कि यदि शासकीयकरण तिथि से पुरानी पेंशन बहाल की जाती है जो कि सामान्य नियम के अनुसार होनी है तो डेढ़ लाख शिक्षक परिवार को सीधे तौर पर नुकसान है ।

आखिर 2012 से पुरानी पेंशन बहाली का शिगूफा आया कहां से ?

दरअसल सोशल मीडिया में एक पोस्ट वायरल किया गया कि चूंकि एनपीएस की शुरुआत शिक्षाकर्मियों के लिए 2012 से हुई थी और उनके वेतन से कटौती 2012 में प्रारंभ हुआ है इसलिए उन्हें बिना किसी दिक्कत के 2012 से पुरानी पेंशन मिलना तय है हालांकि उनका यह दावा हकीकत से कोसों दूर है और यदि शासन प्रशासन ने शिक्षकों की मांग पर ध्यान नहीं दिया तो पुरानी पेंशन बहाली शिक्षाकर्मियों के शासकीयकरण तिथि से होगी न कि NPS की कटौती से, यही शाश्वत सत्य है। यही वजह है कि पंचायत कर्मचारियों ने भी शिक्षकों के मोर्चे में शामिल होकर अपने शासकीयकरण की मांग रखी क्योंकि उन्हें यह बात बेहतर तरीके से पता है की जब तक उनका शासकीयकरण नहीं होगा तब तक उन्हें पुराने पेंशन का लाभ नहीं हो सकता। इस विषय में मंच पर भी जब चर्चा हुई तो मोर्चा के तुलसी साहू ने मुख्यमंत्री को यह स्पष्ट किया की उनकी NPS की कटौती तो हो रही है पर उनका शासकीयकरण नहीं हुआ है जिसके कारण उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिल पाएगा। मुख्यमंत्री ने मंच से कहा कि उनके परिवार में कोई नौकरी वाला नहीं है इसलिए उन्हें यह सारी बातें समझ नहीं आती हैं और वह विभाग के अधिकारियों से चर्चा करके इस पर निर्णय लेंगे साथ ही पंचायत कर्मचारियों के लिए उन्होंने कमेटी बनाने की बात भी कही, क्योंकि एनपीएस की कटौती पंचायत कर्मचारियों की हो रही है, लेकिन उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा। यह जानकर मुख्यमंत्री भी अचरज में पड़ गए थे । दरअसल इन सारे मामलों में शासकीय नियम बड़े पेचीदगी भरे होते हैं। लेकिन यदि नेतृत्व करने वाले कर्मचारी नेताओं की तरफ से इस तरह से शासकीय नियमों की व्याख्या करने लगे तो भ्रम की स्थिति बन जाती है। ।

NW न्यूज 24 की है पूरे मामले पर पैनी नजर

दरअसल ज्ञापन के बाद बहुत से शिक्षकों ने हमें मैसेज करके यह पूछा कि आखिर सामान्य तौर पर पुरानी पेंशन कब से लागू होगी साथ ही संगठन विशेष की तरफ से फिर से मैसेज वायरल करने के बाद और यह दावा करने के बाद कि 2012 से तो पुरानी पेंशन मिलना एकदम तय है और इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है। NW न्यूज 24 के रिपोर्टर के मोबाइल पर मैसेज के ढेर लग गए कि वास्तव में सच्चाई क्या है। इसीलिए हमने सरल शब्दों में आपको यह समझाने की कोशिश की है कि वास्तव में शासकीय नियम क्या कहता है और क्या प्रावधान है। दरअसल यह एकदम स्पष्ट है की शासन की ओर से पुरानी पेंशन बहाली केवल और केवल शासकीयकरण तिथि से ही हो सकती है इसके अलावा यदि कोई भी परिवर्तन लाना है तो उसके लिए नियमों में संशोधन करना होगा जिसकी शिक्षक संगठनों ने मांग की है और यह दलील पूरी तरह से गलत है कि क्योंकि 2012 से राशि की कटौती हुई है इसलिए इस तारीख से पुरानी पेंशन बहाली होगी ही ।

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