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चंद्रयान-3 की सफलता को देख कर चीन के वैज्ञानिक को हुआ टेंशन ,दक्षिणी ध्रुव पर उतरने को बताया झूठा

बीजिंग 28 सितम्बर 2023| भारत के चांद पर कदम रखने को चीन पचा नहीं पा रहा है। चीन की कोशिश है कि वह जल्‍द से जल्‍द चांद पर अपनी बस्‍ती बसाकर वहां की बर्फ और हीलियम के खजाने को लूट ले। चीन का यह दांव फेल होता नजर आ रहा है और अमेरिका के बाद अब उसे भारत से भी कड़ी चुनौती मिलने लगी है। भारत के चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास उतरने को चीन के वैज्ञानिक ने अब झूठा बता दिया है। चीन के वैज्ञानिक ने यह दावा ऐसे समय पर किया है जब भारत विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को फिर से सक्रिय करने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहा है।

23 अगस्त को चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और प्रतिभा से भारत चंद्रमा के दक्षिणी पर पहुंच गया है, जहां दुनिया का कोई भी देश कभी नहीं पहुंच सका है.’

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने भी लैंडिंग के बाद कहा था कि उनका मून मिशन सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा है.लेकिन चीनी वैज्ञानिक ने इस बात को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि भारत का मून मिशन चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्द्ध में लैंड हुआ था न कि दक्षिण ध्रुव क्षेत्र में. चाइनीज ऑफ साइंसेज के सदस्य ओयांग ने एकेडमी के आधिकारिक साइंस टाइम्स अखबार को बताया, ‘चंद्रयान -3 की लैंडिंग साइट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं थी, न ही यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरा और न ही आकर्टिक ध्रुवीय क्षेत्र के पास.’

उन्होंने अखबार को बताया कि भारत का रोवर लगभग 69 डिग्री दक्षिण के अक्षांश पर उतरा. यह चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्द्ध में उतरा था न कि दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में जो कि 88.5 और 90 डिग्री के अक्षांशों के बीच है.

जियूआन कहते हैं कि यह चंद्रमा के 1.5 डिग्री झुकाव की वजह से है। चीनी वैज्ञानिक के इस दावे से जलन की बू आ रही है। अब तक दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक ने भारत के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने के दावे का खंडन नहीं किया है। यही नहीं नासा और यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी ने तो इसरो के वैज्ञानिकों की जमकर तारीफ की है। भारत ने पहले ही दिन से साफ कर दिया था कि विक्रम लैंडर 70 डिग्री अक्षांस पर उतरेगा। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थित है। वहीं चीन के ही हांगकांग यूनिवर्सिटी के स्‍पेस रीसर्य लेब्रोटरी ने चीनी वैज्ञानिक जियूआन के दावे को खारिज कर दिया है। लेब्रोटरी के चीनी वैज्ञानिक क्‍वेंटिन पार्कर कहते हैं कि जिस क्षण आप दक्षिणी ध्रुव के नजदीक अपना रोवर उतारते हैं, जिसे दक्षिणी ध्रुव माना गया है, वह अपने आप में ही बड़ी उपलब्धि है।

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