साकार होता नल से जल का सपना……छत्तीसगढ़ में 39 लाख 35 हजार 597 घरों में पाइपलाइन के जरिए पहुंच रहा पेयजल

 

रायपुर 29 अगस्त 2024 छोटे से गांव कोरई में रहने वाले 65 साल की गणेशो बाई की पूरी जिंदगी शुद्ध और साफ पानी देखने के इंतजार में गुजर गई। अब जाकर बरसात के दिनों में उसे साफ पानी नसीब हुई है। वो कहती है कि कीचड़, पत्थर की फिसलन के बीच जोखिम लेकर उसे बरसात के दिनों में पानी लेने जाना पड़ता था। लेकिन अब गांव में सोलर ड्यूल पंप स्थापित किया गया और घरों तक पाइपलाइन बिछाई गई। इस पहल से अब गणेशों बाई और अन्य ग्रामीणों को साफ और सुरक्षित पानी घर पर ही उपलब्ध हो रहा है। गणेशो बाई की जिंदगी में ये स्लोगन उतर गया है कि जल है तो कल है। अकेली गणेशो बाई ही नहीं, छत्तीसगढ़ के ऐसे लाखों परिवार हैं, जिनकी शुद्ध पेयजल की समस्या विष्णु देव साय की सरकार ने सुलझा दी है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन की सरकार की संवेदनशील पहल से ग्रामीण विकास की दिशा में ये महत्वपूर्ण कदम उठाया गया, जिससे ग्रामवासियों को पानी की समस्या से निजात मिल सकी है और उनके जीवन में खुशियों की बरसात होने लगी है। हर घर नल से जल के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुरू किए गए जल जीवन मिशन के तहत राज्य में अब तक 79 प्रतिशत काम पूर्ण हो चुका है। प्रदेश में 50 लाख पांच हजार 111 घरों में नल से जल पहुंचाने के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 39 लाख 35 हजार 597 घरों में पाइपलाइन के जरिए पेयजल पहुंच रहा है। राज्य के 16 जिलों में मिशन का 80 प्रतिशत से अधिक काम पूर्ण कर लिया गया है। वहीं 3600 गांवों के हर घर में नल से जल की आपूर्ति हो रही है। प्रदेश के 33 जिलों के 2,186 गांवों में हर घर जल को शत-प्रतशित पूरा कर लिया गया है। 665 गांव सरकार की ओर से प्रमाणित भी हो चुके हैं। 17 जिलों में 76 प्रतिशत से अधिक घरों में नल से जल पहुंच रहा है। धमतरी जिले में 97.89 और रायपुर जिले में 92.97 प्रतिशत घरों में नल से जल पहुंच रहा है। शेष घरों में नल से जल पहुंचाने के लिए तेजी से काम हो रहा है। घर-घर जल पहुंचने से गांवों की तस्वीर बदल रही है। महिलाओं की समस्याएं भी कम हो रही हैं। अब महिलाओं को पेयजल के लिए कोसों दूर से नदी, कुंआ और झिरिया से पानी लाने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ रही है।

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हैंडपंप, कुआं जाने की जरुरत नहीं

दंतेवाड़ा जिले के कोसई गांव में 80 परिवार हैं। जल जीवन मिशन कार्यक्रम शुरू होने पूर्व गांव में 11 हैंडपंप और चार बोरवेल लगे थे जिनमें से ज्यादातर गर्मियों में सूख जाते थे। अब जल जीवन मिशन योजना के तहत सोलर आधारित पेयजल योजना के माघ्यम से पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। महिलाओं का कहना है कि खेत में कृषि कार्य करने के पश्चात घर आने पर पानी के लिए दूर हैंडपंप और कुंआ जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। घर के द्वार पर ही दैनिक उपयोग के लिए पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पानी मिल रहा है। बस्तर जिले के ग्राम बकावंड की वर्तमान जनसंख्या 697 है। जल जीवन मिशन के पूर्व पेयजल व्यवस्था के लिए 18 हैंडपंप थे, जिनसे लौहयुक्त पानी आता था। निस्तारी के लिए एकमात्र तालाब गर्मी में सूख जाता था। जल जीवन मिशन के अंतर्गत सभी परिवारों को हर घर नल के माध्यम से 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिवस शुद्ध पेयजल मिल रहा है। गांव शत-प्रतिशत हर घर जल प्रमाणीकृत बन गया है। गांव में शुद्ध पेयजल की जांच के लिए फील्ड टेस्टिंग किट का प्रशिक्षण देकर जल वाहिनी का गठन किया गया है। बस्तर और सरगुजा अंचल के कई गांवों में शुद्ध पेयजल मिलने से ग्रामीण खुश हैं। ग्रामीणों को घर-घर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। जशपुर निवासी मनोहर टोप्पो ने बताया कि पहले इस गांव में पानी की बहुत बड़ी समस्या थी। यहां के लोगों को पानी लाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था अपने घर से दूर लगे हैंडपंप कुएं से पानी लाना पड़ता था। कई बार हैंडपंप के खराब होने पर व कुएं में पानी नहीं होने पर तो कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर पीने के पानी की व्यवस्था करनी पड़ती थी। लेकिन आज जल जीवन मिशन योजना के तहत शुध्द पेयजल लोगों के घरों तक पहुंचने लगा है।

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जल जीवन मिशन ने पकड़ी रफ्तार

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हर घर नल से जल पहुंचाने की गारंटी दी है। इस पर तेजी से काम हो रहा है। इसके लिए राज्य सरकार के बजट में चार हजार पांच सौ करोड़ रूपये का प्रविधान किया गया है। प्रधानमंत्री के योजना अनुसार सभी घरों में दैनिक जरूरत के लिए प्रति व्यक्ति 55 लीटर जल नल से उपलब्ध कराया जाना है। हर घर नल से जल पहुंचाने के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष-2019 में जल जीवन मिशन शुरू किया गया था। इसके बाद घरों में नल से जल पहुंचने की गति ने तेजी पकड़ी। 15 अगस्त 2019 तक राज्य के 3,19,741 घरों में नल कनेक्शन था, जो वर्तमान में 39 लाख 35 हजार 597 तक पहुंच गया है। अधिकारियों का कहना है कि जल जीवन मिशन लागू होने के बाद से घरों तक नल से जल पहुंचाने में तेजी आई है।

 

19 हजार 657 गांवों में हर घर पहुंचा पेयजल

केंद्र और राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन के तहत छत्तीसगढ़ की 11 हजार 658 ग्राम पंचायतों के 19 हजार 657 गांवों में हर घर स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का काम किया जा रहा है। राज्य के सभी गांवों के प्रत्येक घर में नल के माध्यम से शुद्ध जल प्रदान करना एक अति विस्तारित कार्य है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में कोरोना महामारी की वजह से और उसके बाद विभागीय निविदा प्रक्रिया असफल होने के कारण छत्तीसगढ़ में इस मिशन की शुरूआत वर्ष 2019 के स्थान पर 2021 में हुई। मिशन के लिए पांच वर्षों के स्थान पर छत्तीसगढ़ को तीन वर्ष का ही समय उपलब्ध हो पा रहा है। इसके कार्यों को सीमित समय में पूर्ण किया जाना है। मिशन के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्यों को दिसम्बर-2024 तक पूर्ण किया जाना है।

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मिशन मोड के काम में देरी हुई तो अफसर सस्पेंड

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा प्रदेश में जल जीवन मिशन का काम समय-सीमा में पूर्ण करने सभी उपाय किए जा रहे हैं। मिशन के कार्यों में गति लाने लापरवाह अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही प्रगतिरत कार्यों को तेजी से पूर्ण किया जा रहा है। कार्य के प्रति उदासीन और गलत रिपोर्टिंग करने वाले छह जिलों के कार्यपालन अभियंताओं के विरूद्ध निलंबन और चार जिलों के कार्यपालन अभियंताओं के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने की कार्रवाई पिछले महीने की गई है। जल जीवन मिशन के कार्यों को समय पर पूर्ण करने निलंबित अधिकारियों के बदले उस क्षेत्र में पहले से ही मिशन का काम कर रहे अधिकारियों को प्रभार सौंपा गया है। जल जीवन मिशन के कार्यों में कसावट और तेजी लाने निलंबित कार्यपालन अभियंताओं के स्थान पर नवीन कार्यपालन अभियंताओं की पदस्थापना की गई है। चार जिलों में सहायक अभियंताओं को प्रभारी कार्यपालन अभियंता के पद पर पदस्थ किया गया है। इन चारों सहायक अभियंताओं के पहले से ही उन क्षेत्रों में कार्यरत रहने से उन्हें मिशन के कार्यों और क्षेत्र की बेहतर जानकारी है।

 

क्रांतिकारी अभियान से स्वास्थ्य भी सुरक्षित: साय

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का कहना है कि जल जीवन मिशन विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए क्रांतिकारी अभियान है। इस मिशन के जरिए बच्चों के स्वास्थ्य को भी सुरक्षा मिलेगी। बच्चों और बड़ों में होने वाली जलजनित बीमारियों से निजात मिलेगी। वहीं, महिलाओं को भी उनके घरेलू कामकाज के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा। इस वक्त का उपयोग महिलाएं, अपने आर्थिक गतिविधियों के लिए कर सकेगी।

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