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VIDEO : …ये चमत्कार है – मंदिर में प्रवेश से पहले यहां भालू इंसानों की तरह बजाता है घंटा, फिर करता है मंदिर की परिक्रमा…हर दिन आरती में पहुंचकर करता है पूजा… देखिये ये हैरान करने वाला वीडियो

अभिषेक साहू@s1l.e35.myftpupload.com

धमतरी 7 अप्रैल 2022। ….कौन कहता है आस्था पर इंसान का एकाधिकार है ?…..कौन कहता है धर्म और अध्यात्म की परख सिर्फ इंसान कर सकता है?….कौन कहता है पूजा-अनुष्ठान की समझ सिर्फ इंसानों को होती है?….अगर ऐसा ही होता…तो फिर ये नजारा हम आपको नहीं दिखा रहे होते, जो हम आपको इस वीडियो में दिखा रहे हैं।…खबर पढ़ने से पहले इस वीडियो को देखिये। एक बार से दिल ना भरा हो तो बार-बार देखिये…..

यकीनन इस वीडियो को देख आपकी नजरों में धर्म और आस्था की परिभाषा बदल गयी होगी। मंदिर में भगवान के दर्शन से पहले घंटा बजाकर जागरण….और फिर मंदिर की परिक्रमा। ..इस बेजुबान का ये अंदाज ना सिर्फ हैरत से भरा है, बल्कि किसी चमत्कार से कम नहीं। हैरानी और रहस्य भरा ये नजारा धमतरी के गढ़डोंगरी का है, जहां बेहद ही प्राचीन गणेश मंदिर हैं।

कहते हैं आस्था के इस अद्वितीय स्थल से आज तक कोई खाली हाथ नहीं लौटता । सच्चे मन से मांगी गयी हर मुराद यहां पूरी होती है। आस्था की वजह से इस प्रांचीन मंदिर पर भक्तों की अटूट आस्था तो है ही, इस मंदिर में नवरात्र के मौके पर हर शाम भालू का पूजा अर्चना के लिए आना भी बेहद चमत्कारिक है। सिर्फ भालू का आना ही नहीं, बल्कि पूरे विधि-विधान से भालू का मंदिर प्रांगण में पूजा करना और फिर प्रसाद ग्रहण कर मंदिर लौट जाना भी काफी अचंभित करता है।

2 पैर पर खड़े होकर भालू बजाता है पहले घंटा, फिर प्रवेश करता है मंदिर में

नगरी-सिहावा वनांचल क्षेत्र में बसे ग्राम गढ्डोंगरी में स्वयंभू प्राचीन मंदिर है। जानकारों की माने तो गणेश प्रतिमा 16वी सदी का है। ग्रामीणों ने 1991 में मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर पर ना सिर्फ धमतरीवासियों का, बल्कि पूरे प्रदेश के लोगों की आस्था है। नवरात्र पर यहां मां भगवती के नाम की ज्योत जलती है। इस नवरात्र में हर शाम एक भालू भी माता की अराधना करने आता है। इस मंदिर के गेट पर ही एक घंटा लगा है। मंदिर में प्रवेश से पहले भालू सबसे पहले इंसानों की तरफ दो पैरों पर खड़ा होता है और फिर घंटा बजाकर देवी-देवताओं को जागृत करता है। उसके बाद फिर मंदिर की परिक्रमता करता है। हैरत की बात ये है कि मंदिर से निकलकर वो उन देवस्थलों पर भी जाता है, जहां शिवलिंग या अन्य छोटे-छोटे मूर्ति को स्थापित किया गया है। पूरे इत्मिनान से पूजा अर्चना के बाद भालू मंदिर का प्रसाद गहण करता है और फिर कुछ देर विश्राम के बाद वापस जंगल की तरफ लौट जाता है।

हर दिन आरती के वक्त आता है भालू

भालू हर दिन मंदिर में होने वाले आरती में शामिल होने आता है। दो पैर पर खड़े होकर घंटी बजाकर वो मंदिर में प्रवेश करता है। भालू को बेहद ही आक्रामक जानवर माना जाता है, बावजूद आजतक इस भालू ने किसी भी भक्त को इस देवस्थल पर चोट नहीं पहुंची है। लोग भालू को गणेश जी का भक्त और देवीय चमत्कार बताते हैं।

इसलिए इस गाँव का नाम पड़ा गढ्डोंगरी…

इस मंदिर के आसपास बड़ी – बड़ी पहाड़ियां है और जिसके नीचे स्वयं गणेश जी विराजमान है..पर्वतों को गणेश जी का पर्वत ( डोंगरी )कहा जाता है और गाँव का नाम गणडोंगरी पड़ गया…

देवी देवताओं का गढ़ है गढ़डोंगरी…

गणेश मंदिर के पीछे पहाड़ी में चारो तरफ देवी – देवताओं का गढ़ है, और अनेक विशाल गुफा है जिसे पूर्व में ऋषि -मुनियों का गढ़ माना जाता था…जहाँ कई देवी देवताओं का स्थान हैं…

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