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VIDEO: रिक्शेवाले के टेलर बेटे ने रचा इतिहास…..PSC की परीक्षा में हासिल की 21वीं रैंक…..पिता को नहीं मालूम क्या होता PSC पास कर अफसर बनने वाले का काम…..बोले- सोचा था ज्यादा क्या होगा चपरासी या बाबू बनेगा

बिलासपुर 30 अक्टूबर 2021। …वो कहते हैं ना हिम्मत की लौ से लोहा भी पिघल सकता है….हौसले की ताकत से पत्थर भी रेत बन उड़ सकता है….तभी तो विजय ने वो कर दिखाया, जिसकी तारीफ में हिंदी की सारी उपमाएं बौनी सी  लगती है। रिक्शे वाले का बेटा….जिसका बचपन तंगहाली में और जवानी टेलरिंग की दुकान पर गुजरी, वो अब प्रदेश में “बड़ा साहब” बनने जा रहा है। PSC के मुश्किल इम्तिहान में विजय कैवर्त ने 21वीं रैंक हासिल की है। ख्वाहिश तो उसकी डिप्टी कलेक्टर की थी, लेकिन लेकिन फिलहाल रैंक के मुताबिक उसे टैक्स कमिश्नर की पोस्ट मिली है।

 

बिलासपुर के तखतपुर के इस बेटे की जिंदगी चुनौतियों की आग में तपकर गुजरी है। पिता कुलदीप कैवर्त रिक्शा चलाते हैं और बमुश्किल दो जून की रोटी का बंदोबस्त कर पाते है। घर की माली हालत देख विजय ने पढ़ाई की बड़ी कुर्बानी दी और वो भी पिता की मदद के लिए टेलरिंग का काम करने लगा। लेकिन विजय की चाहत उस टेलरिंग की दुकान से आगे निकलकर अपनी अलग मुकाम बनाने की थी, सो उसने टेलरिंग के साथ-साथ पढ़ाई भी जारी रखी। और लगन का परिणाम उसने पीएससी की परीक्षा पास कर हासिल भी कर ली।  विजय कैवर्त की प्राथमिक शिक्षा गायत्री ज्ञान मंदिर में कक्षा आठवीं तक हुई वहीं 12वीं तक की पढ़ाई बालक हाई स्कूल में करने के बाद सीवी रमन यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिग्री हासिल किया!

चौथी बार में पास की पीएससी की परीक्षा

विजय का लक्ष्य शुरू से ही सिविल सर्विस में जाने की रही, लेकिन घर की माली हालत और पढ़ाई के लिए वक्त नहीं मिल पाने की वजह से उसके लक्ष्य में अड़चने आने लगी, लेकिन विजय ने हार नहीं मानी। घर के लिए पैसे का जुगाड़ करने के लिए वो टेलरिंग का काम करता और फिर जो भी वक्त मिलता उससे PSC की तैयारी करता। इसी बीच उसने तीन बार पीएससी की परीक्षा दी, तीनों बार वो मेंस की परीक्षा में भी बैठा, लेकिन इंटरव्यू तक नहीं जा सका, लेकिन 2020 पीएससी में उसने ना सिर्फ मेंस पास कर इंटरव्यू तक का सफर तय किया, बल्कि 21वीं रैंक भी हासिल की।

पिता ने कभी नहीं सोचा था, बेटा इतना बड़ा साहब बनेगा

विजय कैवर्त के रिक्शा चालक कुलदीप कैवर्त ने कहा कि बेटे को चपरासी और बाबू बनाने का सपना देखा था, लेकिन बेटे ने उनके सपने से भी आगे बढ़कर राज्य प्रशासनिक सेवा में अपनी नौकरी सुनिश्चित की है! उन्होंने आगे कहा कि जीवनभर विजय के संघर्ष के पीछे रिक्शा चलाते रहा हूँ और आगे भी अपने रिक्शा चलाते रहूँगा! बहन स्वाति ने कहा कि माँ को विजय ने ना देखा है और ना ही जान पाया है, उसकी पुरी परवरिश मैंने मां बनकर की है, उन्होंने आगे कहा कि विजय को कामयाबी मिलने पर उनकी तपस्या आज पूरी हुई है!

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