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VIDEO : बारिश की चंद बूंदें क्या पड़ी ? स्कूल बन गया दरिया, घंटों फंसे रहे बच्चे….स्कूल की दुर्दशा पर आंखें मूंदे बैठे हैं शिक्षा विभाग के आला अधिकारी

धमतरी 21 जून 2022। ” ये पढ़ाई नहीं आसां, इतना ही समझ लीजे….इक पानी का दरिया है और डूबकर जाना है”.…जिगर मुरादाबादी की शायरी को मजाकिया अंदाज में कहने पर, हमें माफ कीजियेगा….लेकिन इन हुक्मरानों को कभी माफ मत कीजियेगा, जिन्होंने नौनिहालों की जिंदगी को मजाक बना दिया है। पानी की चंद बूंदे क्या पड़ी स्कूल लबालब हो गया…घुटनों तक पानी भर आया।

समंदर बने स्कूल में घंटों मासूम स्कूली बच्चे फंसे रहे। बाद में परिजनों ने किसी तरह से बच्चों को स्कूल परिसर से निकाला, तो घर जा सके। शिक्षा के मंदिर की दुर्दशा बयां करती ये तस्वीर नगरी के इंग्लिश मीडियम स्कूल की है। कहते हैं सरकार ने बच्चों की पढ़ाई के लिए खजाने खोल दिये हैं। लाखों के गणवेश व किताबें और करोड़ों की बिल्डिंग और क्लासरूम बना दिये हैं, लेकिन असल जिंदगी में बच्चों के स्कूल का क्या हाल है ?…इन तस्वीर को देखकर अहसास कीजिये।

हैरानी इस बात की नहीं है कि स्कूल में पानी भरा है, ताज्जुब तो इस बात की है कि इस पूरे मामले पर DEO-BEO जैसे अधिकारी चुप्पी साध बैठे हैं। धमतरी में सोमवार को हुई एक घंटे की बारिश में ही स्कूल का हाल बदहाल हो गया।प्रायोगिक शाला नगरी अंग्रेजी माध्यम स्कूल पानी में डूब गया। नजारा देखकर तो लग रहा था ,मानो तालाब के बीच में बच्चों का स्कूल तैर रहा हो।

माना, बारिश पर किसी का जोर नहीं है, लेकिन बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर व स्कूलों में जलभराव को दूर करने के लिए जो कदम उठाने चाहिये थे, वो नहीं उठाये गये, जिसका खामियाजा बच्चों को उठाना पड़ रहा है। स्कूलों में पानी भर रहा है और हादसों को आमंत्रण दे रहा है।

पानी भर जाने की वजह से स्कूल में फिसलन हो गया, जो हादसे को आमंत्रित कर रहा था। यही बरसाती पानी से जहरीले जीव के भी आने का खतरा है। लेकिन इस मामले पर अधिकारियों ने अब तक किसी तरह का संज्ञान नहीं लिया है। इधर बारिश में फंसे बच्चों की सूचना परिजनों को हुई तो किसी तरह से परिजनों ने बच्चों को गोद में भर-भरकर बाहर निकाला।

नगरी विकासखंड का एक मात्र शासकीय अंग्रेजी माध्यम CBSE स्कूल में क्लास 1 से क्लास 5 तक 150 सौ से भी ज्यादा बच्चे पढ़ाई करने आते है। क्लास सिक्स से आठवी तक क्लास दूसरी जगह संचालित होती है। पानी इतना ज्यादा था कि बच्चों का निकलना मुश्किल हो गया। लिहाजा परिजन अपने बच्चों को लेने पहुंचे और फिर किसी तरह से बच्चे को उठाकर स्कूल परिसर से बाहर निकाला गया।

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