VIDEO : छत्तीसगढ़ में बिजली मंहगी….कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने… कांग्रेस बोली- केंद्र कीमत बढ़ाने को कर रहा मजबूर… बीजेपी बोली….
रायपुर 14 सितंबर 2022। छत्तीसगढ़ में बिजली 23 पैसे प्रति यूनिट महंगी हुई है। छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी ने उत्पादन लागत में बढ़ोतरी के चलते निर्णय लिया है। नयी कीमत के मुताबिक वीसीए अब 19 पैसे के स्थान पर 42 पैसे प्रति यूनिट लगेगा। 400यूनिट पर अब 11 पैसे का भार आयेगा। अभी यह वृद्धि विदेशों से आयातित कोयले से बनी महंगी बिजली खरीदने के कारण की गई है। अफसरों के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य बिजली कंपनी एनटीपीसी से जो बिजली खरीद रही है, उसके एवज में हर महीने 120 करोड़ रुपए अधिक देने पड़ रहे हैं, इसलिए बढ़ी राशि वीसीए चार्ज बढ़ाकर एडजस्ट की गई है। कांग्रेस ने कीमत में इस बढ़ोत्तरी के लिए केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार बताया है। कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने आयातित कोयले की बाध्यता रखी है, इसकी वजह से लागत मूल्य ज्यादा आ रहा है। बिजली की कीमत बढ़ाने केलिए केंद्र ने मजबूर किया है।
इधर, कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा ने पलटवार किया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि पिछली बार भी इन्होंने बिजली की कीमत बढ़ायी थी, इस बार भी इन्होंने बढ़ाया है। बिजली बिल हाफ करने की बात सरकार करती है, दूसरी तरफ लोगों के जेब में डाका डालने का काम कांग्रेस करती है। उन्होंने तत्काल राज्य सरकार ने बिजली की बढ़ी कीमत को वापस लेने की मांग की है।
दरअसल थर्मल पावर प्लांट्स को पर्याप्त मात्रा में घरेलू कोयला उपलब्ध नहीं होने के कारण केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने 15% तक आयातित कोयला उपयोग करने की अनुमति दी है। बिजली कंपनियों को कहा गया है कि वे आवश्यकता का कम से कम 9% कोयला आयात करें। जून 2022 से एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन) के कुछ पावर प्लान्टों में 10 से 15% तक आयातित कोयले का उपयोग किया जा रहा है। आयातित कोयले की दर घरेलू कोयले की दर के मुकाबले 4 से 6 गुना अधिक है।
इस कारण आयातित कोयले से बन रही बिजली की दर भी 4 से 6 गुना अधिक है। जनवरी से मार्च तक एनटीपीसी के संयंत्रों से छत्तीसगढ़ में खरीदी जा रही बिजली में केवल उर्जा प्रभार की औसत दर 1.97 रुपये प्रति यूनिट थी। जून से अगस्त के मध्य इसका औसत 2.78 रुपए प्रति यूनिट हो गई है, 40% से अधिक की वृद्धि हुई। बिजली महंगी होने से राज्य को प्रतिमाह एनटीपीसी को लगभग 120 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ रहा है।