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बजट में इस बार क्या है ख़ास : कर्मचारियों की सैलरी में हो जाएगा बंपर इजाफा…अगर हुए ये 3 ऐलान… आम लोगो के लिए भी बजट में ये स्कीम…

रायपुर 31 जनवरी 2023 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को आम बजट (Budget 2023) पेश करेंगी. हर बार की तरह इस बार भी सरकारी कर्मचारियों (Government Employees) को बजट से कई उम्मीदें हैं. अगर सरकार बजट में कर्मचारियों की तीन मांगों को मान लेती है, तो उनकी सैलरी में जोरदार बढ़ोतरी होगी. इसमें केंद्रीय कर्मचारियों के डीए में बढ़ोतरी, बकाया डीए का भुगतान और फिटमेंट फैक्टर में इजाफा शामिल है. कर्मचारियों को उम्मीद है कि सरकार इन तीन चीजों को आने वाले बजट (Budget 2023) में शामिल करेगी.

7th Pay Commission खत्म होगा?
केंद्रीय कर्मचारियों के लिहाज से ये साल या अगला साल दोनों ही खास हैं. इस साल बजट से उनके लिए कुछ खास निकल सकता है. वहीं, अगले साल देश के आम चुनाव होने हैं. ऐसे में उन्हें लुभाने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी. एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार 2024 के चुनाव से पहले के पूर्ण बजट में केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने वाला कोई ऐलान करेगी. 7वें वेतन आयोग (7th pay Commission) को लागू हुए करीब 8 साल हो चुके हैं और साल 2024 में नए वेतन आयोग (8th pay Commission) का गठन होने का समय है. लेकिन, सरकार ऐसा नहीं चाहती. वो कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग को खत्म कर नई व्यवस्था बनाना चाहती है. इससे कर्मचारियों की बेसिक पे स्ट्रक्चर को हर साल रिवाइज किया जा सके. ऐसे में बजट में सैलरी बढ़ाने के लिए किसी नए फॉर्मूले का ऐलान हो सकता है.

2024 में और कम होगी महंगाई
IMF में रिसर्च विभाग के खंड प्रमुख डेनियल लेह ने बताया है कि दूसरे देशों की तरह ही भारत में भी इंफ्लेशन के 2022 के लेवल 6.8 फीसदी से घटकर 2023 में 5 फीसदी पर आने का अनुमान है. 2024 में यह और घटकर 4 फीसदी पर आ सकती है. उन्होंने कहा है कि यह आंशिक तौर पर केंद्रीय बैंक के कदमों को दिखाता है.

2022 की तुलना में घटेगी महंगाई
IMF ने जानकारी देते हुए बताया है कि ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’ को लेकर रिपोर्ट जारी की गई है. इसके मुताबिक, करीब 84 फीसदी देशों में 2022 की तुलना में 2023 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price Index) आधारित मुद्रास्फीति घटेगी.

कितनी घटेगी मुद्रास्फीति
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल मुद्रास्फीति 2022 के 8.8 फीसदी से घटकर 2023 में 6.6 फीसदी पर और 2024 में 4.3 फीसदी पर आ जाएगी. महामारी से पहले के दौर (2017-19) में यह करीब 3.5 फीसदी थी.

ग्लोबल मांग की वजह से दिखेगा असर
मुद्रास्फीति में गिरावट का जो अनुमान जताया गया है वह आंशिक तौर पर कमजोर ग्लोबल मांग की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन के दामों और गैर-ईंधन जिसों की कीमतों में कमी पर आधारित है. इससे यह भी पता चलता है कि मौद्रिक सख्ती का असर हो रहा है. आईएमएफ ने कहा कि बुनियादी मुद्रास्फीति 2022 की चौथी तिमाही में 6.9 फीसदी के स्तर से सालाना आधार पर गिरकर 2023 की चौथी तिमाही तक 4.5 फीसदी तक आ जाएगी.

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