…आखिर बैठक में ऐसा क्या हो गया कि जाकेश साहू हो गये नाराज, सीधे प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री को लिख डाला पत्र

रायपुर 29 अगस्त 2024। युक्ति युक्तिकरण में भारी विसंगति के विरोध में प्रदेश के विभिन्न शैक्षिक संगठनों की बैठक डीपीआई और शिक्षा सचिव ने बुलायी थी। लेकिन कई शिक्षक संगठन अपनी बात ही नहीं रख सके। शासन की तरफ से 10 शिक्षक संगठनों को ही बात रखने दिया गया, जबकि दो दर्जन संगठन बैठक में पहुंचकर भी अपनी बात नहीं रख सके। इसे लेकर शिक्षकों ने तीखी नाराजगी जतायी है। कल 28 सितंबर को डीपीआई और मंत्रालय में दो बैठक बुलाई थी। बैठक में प्रधान पाठक मंच के प्रदेश अध्यक्ष जाकेश साहू भी पहुंचे थे। लेकिन अधिकारियों ने बैठक प्रारंभ होने से पहले ही अनेक शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को बैठक कक्ष से बाहर चले जाने का आदेश दिया।

बैठक में सिर्फ चुनिंदा दस प्रांताध्यक को ही बैठने के लिए कहा गया। जिनका नाम पहले से लिख कर रखा गया गया था। अधिकारियों के आदेश के बाद अनेक शिक्षक प्रतिनिधि बैठक से बाहर आ गए। डीपीआई में बैठक खत्म होने के बाद मंत्रालय में शिक्षा सचिव के साथ और बैठक होनी थी। जहा विभिन्न शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि एक साथ जा रहे थे जिसे मंत्रालय के गेट पर रोक दिया गया और सिर्फ चुनिंदा कुछ खास लोगो को ही अंदर जाने दिया गया। शालेय शिक्षक संघ के कुछ अन्य लोग अलग से पास बनवाकर पहले से रख लिए थे जो मंत्रालय के अंदर घुस गए और वहां जाकर बैठक में सम्मिलित हो गए।

जाकेश साहू ने सवाल उठाया है कि प्रदेश के विभिन्न शैक्षिक संगठनों के प्रतिनिधियों को बैठक में शामिल किए जाने और नहीं शामिल किए जाने के लिए मंत्रालय और संचालनालय के अधिकारियों के पास क्या मापदंड थे…? इस बात पर शिक्षक प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बिच जमकर बहस भी हुई तथा इसकी शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित सत्ता सरकार के आला नेताओं तक किए जाने की बात की गई।सवाल यह भी उठता है कि बैठक में जब कुछ पंजीकृत संगठनों को बुलाया गया था तो फिर बाकी पंजीकृत संगठनों को क्यों बैठक से बाहर कर उनका अपमान किया गया..? आखिर मंत्रालय और संचालनालय के अधिकारी चाहते ही क्या है….?

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होना तो यही चाहिए था कि डीपीआई और मंत्रालय में उपस्थित सभी शैक्षिक संगठनों को बैठक में बुलाना था किसी को भी बैठक से बाहर नहीं किया जाना था।उपरोक्त पूरे मामले में छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक मंच के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने देश के  नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित राज्य में सत्ता सरकार के आला नेताओ को खुला पत्र लिखकर अपनी पीड़ा जाहिर की है। जाकेश साहू ने कहा है कि राज्य में दो लाख से अधिक शिक्षक है जो प्रदेश के गांव गांव और शहर शहर अपनी सेवाए दे रहे है। जिनकी अनेक समस्याओं और मांगो को लेकर राज्य में विभिन्न शिक्षक संगठन बने और पंजीकृत हुए है जो शिक्षको की मांगो और समस्याओं को उठाते रहते है।

ऐसे में जब राज्य शासन इनकी समस्याएं जानने और उनका समाधान निकालने प्रदेश के शीर्ष प्रशासनिक कार्यालय में बैठके रखती है तो संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा प्रदेश के लाखो शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों जो दूर दराज से आए रहते है उन्हे बैठक से अपमानित कर क्यों निकाला जाता है…?जब बैठक होती है तो सभी संगठनों को बुलाया जाए या फिर किसी को भी न बुलाया जाए। लेकिन कुछ चुनिंदा लोगो के साथ बैठक कर और बाकी प्रतिनिधियों को बैठक से बाहर कर आखिर अधिकारी क्या साबित करना चाहते है…? सत्ता सरकार और उनके सम्माननीय प्रतिनिधियों से निवेदन एवं प्रार्थना है कि प्रदेश के शीर्ष कार्यालयों में होने वाले बैठकों में राज्य के समस्त शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाना चाहिए।

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