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सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ी राहत, नोटबंदी पर केंद्र सरकार का फैसला सही, कोर्ट ने लगाई मुहर

नई दिल्ली 02 जनवरी 2022: केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। पांच जजों की संविधान बेंच ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि 500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता। संविधान पीठ ने यह फैसला चार एक के बहुमत से सुनाया।

मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में की गई नोटबंदी को लेकर उठे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को अमान्य करने के सरकार के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने इसी के साथ नोटबंदी के खिलाफ दायर 58 याचिकाओं को खारिज कर दिया।

नोटबंदी के खिलाफ 3 दर्जन से ज्यादा याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इसकी प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं पाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरबीआई के पास विमुद्रीकरण लाने की कोई स्वतंत्र शक्ति नहीं है और केंद्र और आरबीआई के बीच परामर्श के बाद ही निर्णय लिया गया।

न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाया।शीर्ष अदालत का यह फैसला न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना द्वारा सुनाया गया। फैसला सर्वसम्मति से हुआ है। पीठ में जस्टिस गवई और नागरत्न के अलावा जस्टिस नजीर, ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन थे।

केंद्र सरकार ने SC को दिया जवाब
केंद्र ने याचिकाओं के जवाब में सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जाली नोटों, बेहिसाब धन और आतंकवाद जैसी गतिविधियों से लड़ने के लिए नोटबंदी का कदम उठाना पड़ा। नोटबंदी को अन्य सभी संबंधित आर्थिक नीतिगत उपायों से अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए या इसकी जांच नहीं की जानी चाहिए। आर्थिक व्यवस्था को पहुंचे बहुत बड़े लाभ और लोगों को एक बार हुई तकलीफ की तुलना नहीं की जा सकती। नोटबंदी ने नकली करंसी को सिस्टम से काफी हद तक बाहर कर दिया। नोटबंदी से डिजिटल अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा है।

4-1 के बहुमत से हुआ फैसला
न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले पर फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति नजीर, न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति नागरत्ना के अलावा, पांच न्यायाधीशों की पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन हैं। इस फैसले को 4 जजों का बहुमत हासिल हुआ जबकि न्यायमूर्ति नागरत्ना फैसले के खिलाफ थीं। आपको बता दें कि उन्होंने नोटबंदी पर सरकार के फैसले को गलत बताया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को सात दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें।

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