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CG POLITICS : चुनाव में बचे सिर्फ 8 दिन…..घोषणा पत्र से पहले ही कांग्रेस ने कर दिये बड़ी घोषणांए, उधर BJP के घोषणा पत्र पर संशय बरकरार !

रायपुर 29 अक्टूबर 2023। छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान में अब महज एक सप्ताह का वक्त बचा हुआ है। लेकिन सूबे की सत्ताधारी कांग्रेस और बीजेपी के घोषणा पत्र पर संशय बरकरार है। उधर कांग्रेस ने इस बार नया प्रयोग करते हुए घोषणा पत्र जारी करने से पहले ही अपनी बड़ी सभाओं और रैलियोें में लगातार आम जनता के बीच पहुंचकर घोषणाए कर रही है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी का घोषणा पत्र सुझाव पेटी के माध्यम से प्रदेश के 90 विधानसभाओं से आम लोगों के सुझाव लेने के बाद भी अब तक घोषणा पत्र तैयार नही हो सका है।जबकि सूबे की 20 विधानसभा सीटों पर पहले चरण के चुनाव में अब महज सप्ताह भर का ही वक्त बचा हुआ है..।

छत्तीसगढ़ में चुनावी बिगुल बजते ही प्रदेश की दोनों शीर्ष पार्टी कांग्रेस और बीजेपी घोषणा पत्र तैयार करने में जुट गयी थी। दरअसल साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिस तरह से रणनीति के तहत आम लोगों के बीच पहुंचकर उनकी नब्ज टटोलने के बाद जन घोषणा पत्र तैयार किया था, उससे पार्टी को बड़ी जीत मिली थी। लिहाजा साल 2018 के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद सत्ता में आई कांग्रेस और करारी हार का सामना करने वाली बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने महीनों पहले से ही जन भावना और जनहितकारी घोषणा पत्र तैयार करने की रणनीति तैयार की थी। बीजेपी ने बकायदा इसके लिए प्रदेश के 90 विधानसभा सीटों में घोषणा पत्र सुझाव पेटी रखवाया गया, और जनता से सुझाव मांगे गये।

घोषणा पत्र तैयार करने के लिए मैदान पर बीजेपी नेता भी उतरकर लोगों का नब्ज टटोटले का भी प्रयास किया गया। लेकिन चुनावी साल में बीजेपी की ये सारी मशक्कत और मेहनत अब तक सिफर ही नजर आ रही है। प्रदेश की 20 विधानसभा सीटों पर होेने वाले पहले चरण के चुनाव में अब महज सप्ताह भर का दिन शेष बच गया है। लेकिन बीजेपी में घोषणा पत्र को लेकर मंथन अभी भी जारी है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की रणनीति पर गौर करे तो साल 2018 में घोषणा पत्र समिति की कमान डिप्टी सीएम टी.एस.सिंहदेव ने संभाली थी। लेकिन मौजूदा चुनाव में सिंहदेव ने घोषणा पत्र समिति में ही रहने से इंकार कर दिया था। सिंहदेव के पीछे हटने के बाद कई तरह की अटकले लगनी शुरू हो गयी थी।

लेकिन कांग्रेस ने इस स्थिति से निपटते हुए मो.अकबर को घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष बनाकर जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू की गयी। लिहाजा पहले चरण के चुनाव से 8 दिन पहले तक कांग्रेस का भी घोषणा पत्र जारी नही हो सका है, लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने केंद्रीय नेतृत्व की मौजूदगी में एक-एक कर बड़ी घोषणांए कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब नजर आ रहे है। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफी, धान का बोनस,बिजली बिल हाॅफ का मुद्दा रखकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। ऐसे में एक बार फिर सीएम बघेल रणनीति के तहत घोषणापत्र जारी करने से पहले ही अपनी प्रमुख घोषणांए सीधे जनता के बीच पहुंचकर कर रहे है।

कांग्रेस की घोषणाओं पर गौर करे तो पार्टी ने एक बार फिर किसानों का कर्ज माफी, किसानों से 20 क्वींटन धान की खरीदी, 3600 रूपये प्रति क्वींटन की दर पर धान की खरीदी,17.5 लाख गरीब परिवार को आवास का वादा, तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को प्रतिवर्ष 4000 रु बोनस, लघु वनोपजों की एमएसपी पर मिलेंगे अतिरिक्त 10 रुपए, सभी सरकारी स्कूल-कॉलेजों में केजी से लेकर कालेज तक मुफ्त शिक्षा, राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मज़दूर न्याय योजना में मिलने वाली राशि को 7000 रुपए प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 10 हजार रुपए प्रतिवर्ष, डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत गरीब वर्ग को अब 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख तक का मुफ्त इलाज,इसके साथ ही अन्य लोगों को 50 हजार से बढ़ाकर अब 5 लाख तक का मुफ्त इलाज की बड़ी घोषणा कांग्रेस कर चुकी है।

छत्तीसगढ़ के चुनावी रण में भले ही कांग्रेस अपने प्रत्याशियों के टिकट जारी करने में बीजेपी से पीछे रही हो। लेकिन आम लोगों के बीच पहुंचकर प्रदेश की जनता के लिए बड़ी घोषणा करने के मामले में कांग्रेस काफी आगे निकलती नजर आ रही है। ऐसे में उम्मींद जतायी जा रही है कि अब बीजेपी भी जल्द ही अपना घोषणा पत्र जारी कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने का भरसक प्रयास करेगी। घोषणा पत्र जारी करने में यदि बीजेपी अब और देरी करती है, तो इसका सीधा असर चुनावी फैसले पर काफी हद तक पड़ने की उम्मींद रहेगी। क्योंकि छत्तीसगढ़ की राजनीति में ये माना जाता है कि सूबे की सत्ता का रास्ता बस्तर से निकलता है। ऐसे में पहले चरण के चुनाव में यदि बीजेपी की पकड़ बस्तर पर कमजोर साबित हुई, तो फिर सत्ता वापसी की डगर काफी चुनौतीपूर्ण साबित होगा।

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