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CG POLITICS : कोरबा लोकसभा में काम से ज्यादा हुई नाम की राजनीति, मेडिकल कालेज तो खुला लेकिन सांसद मैडम ने स्वास्थ्य सुविधाओं की सुध तक नही ली, 2 करोड़ मिलने के बाद भी आज तक नही लग सका CT-SCAN मशीन

कोरबा 4 अप्रैल 2024। लोकसभा चुनाव को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी पारा चढ़ा हुआ है।  चुनावी रण में किस्मत आजमा रहे राजनेता एक बार फिर भाग्यविधाता मतदाता के सामने वादों का पिटारा लेकर पहुंच रहे है। आज बात छत्तीसगढ़ की हाई प्रोफाइल सीटों में शामिल कोरबा लोकसभा की करेंगे। यहां से सांसद ज्योत्सना महंत को कांग्रेस ने दोबारा मौका दिया है। लेकिन ज्योत्सना महंत के पिछले 5 साल के कार्यकाल के पन्नो को उलटे, तो पता चलता है कि सांसद मैडम काम से ज्यादा नाम की राजनीति करने में व्यस्त रही। जीं हां स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोरबा जिला को मेडिकल कालेज की सौगात तो मिली,लेकिन जिले के सबसे बड़े मेडिकल कालेज अस्पताल में आज भी समस्याओं का अंबार और सुविधाओं का टोटा है। मसलन एनटीपीसी से सीटी स्कैन मशीन के लिए 2 करोड़ रूपये का फंड तो जारी किया गया, लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल में यह मशीन नही लग पायी है।

देशभर में आम चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां एक्शन मोड पर है। बात छत्तीसगढ़ की करे तो यहां कांग्रेस और बीजेपी के राजनेता और कैंडिडेट अपने-अपने दावों से लोगों का विश्वास जीतने की जुगत में लगे हुए है। बात कोरबा लोकसभा क्षेत्र में की करे, तो यहां से मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत को कांग्रेस ने दोबारा मौका दिया है। वहीं बीजेपी ने ज्योत्सना महंत को टक्कर देने के लिए सरोज पांडये को मैदान में उतारा है। चुनावी दावों और वादों की बात करे इस लोकसभा सीट से सांसद ज्योत्सना महंत सूबे में कांग्रेस के शासन काल में कोरबा में खुले मेडिकल कालेज को खुलवाने का श्रेय ले रही है। 2 मार्च 2021 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरबा में 100 सीटर मेडिकल कालेज का भूमि पूजन किया था। भूमि पूजन के साथ ही तत्कालीन राजस्व मंत्री की मांग पर मेडिकल कालेज का नाम सांसद ज्योत्सना महंत के ससुर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व.बिसाहू दास महंत के नाम पर रखने की भी घोषण कर दी गयी।

325 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाले इस मेडिकल कालेज के लिए जिले के सबसे बड़े जिला चिकित्सालय को मेडिकल कालेज अस्पताल का दर्जा दिया गया। लेकिन इस सरकारी अस्पताल में आज भी समस्यांए मुंह बाये खड़ी है। ऐसा नही है कि सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा मदद नही की जाती। एनटीपीसी द्वारा 2 अप्रैल 2022 को मेडिकल काॅलेज अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन के लिए 2 करोड़ रूपये का अनुदान CSR मद से दिया गया। लेकिन पैसा मिलने के बाद भी मेडिकल काॅलेज अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए सीटी स्कैन मशीन नही लग सका। कोरबा जिला के लिए ये विडंबना ही है कि कांग्रेस के शासन काल में जिले से कांगेस के मंत्री और सांसद होने के बाद भी जिला अस्पताल में आज तलक सीटी स्कैन मशीन का इंस्टालेशन नही हो सका। सरकारी तंत्र की लचर व्यवस्था और राजनेताओं की उदासीनता का खामियाजा आज भी गरीब और जरूरतमंद मरीज निजी संस्थान में पैसा चुका कर जांच कराने के लिए मजबूर है। लेकिन कभी भी स्वास्थ्य सुविधाओं को अपडेट करने की दिशा में न तो मौजूदा सांसद ने और ना ही पूर्व मंत्री ने संज्ञान लेने की जहमत उठायी।

यहीं हाल जिले के सबसे बड़े अस्पताल में स्थापित सोनोग्राफी सुविधा की है। मेडिकल काॅलेज अस्पताल में सोनाग्राफी मशीन के खराब होेने के कारण मरीजों को महीनों तक काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन इस समस्या पर कभी भी किसी राजनेता की नजर नही पड़ी। लिहाजा जुगाड़ व्यवस्था के तहत स्वास्थ्य विभाग ने दो महीने पहले पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड में लगे सोनाग्राफी मशीन को मेडिकल काॅलेज अस्पताल में इंस्टाल कराकर मरीजों का परीक्षण शुरू किया है। कुल मिलाकर देखा जाये, तो क्षेत्रीय सांसद ज्योत्सना महंत भले ही मेडिकल काॅलेज खुलवाने का राजनीतिक श्रेय ले रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत जो सच्चाई बयां कर रही है….उससे तो यहीं लगता है कि सांसद मैडम ने पिछले 5 सालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विशेष प्रयास नही किया। अब एक बार फिर चुनाव का वक्त है, तो सांसद ज्योत्सना महंत के साथ ही बीजेपी कैंडिडेट सरोज पांडेय मेडिकल काॅलेज का क्रेडिट लेने के लिए एक दूसरे पर वार-पलटवार कर रही है। ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि क्षेत्र की जनता इन सारे वादों-इरादों के बाद किसके सर पर जीत का ताज पहनाती है, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

 

 

 

 

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