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पति का जबरन शारीरिक संबंध बनाना भी रेप….हाईकोर्ट का बड़ा फैसला… शादी कर पति को क्रूरता का लाइसेंस नहीं मिल जाता है…रेप का केस चलाने ….

बैंग्लुरू 23 मार्च 2022। पति का जबरन शारीरिक संबंध बनाना रेप है। शादी का मतलब क्रूरता का लाइसेंस नहीं हो सकता। देश भर में मेरिटल रेप पर छिड़ी बहस के बीच कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। पत्नी का पति पर लगाये गये रेप के केस पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। हाइकोर्ट ने कहा है कि  शादी के बाद पुरूष को विशेषाधिकार नहीं मिल जाता है कि वो एक महिला के साथ क्रूर व्यवहार करे। ये एक आदमी के लिए दंडनीय है तो दंडनीय ही होना चाहिये।

दरअसल पत्नी ने 21 मार्च 2017 को शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने छानबीन के बाद चार्जशीट पेश की. स्पेशल कोर्ट ने उसे आधार मानते हुए पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 498A और 506 के तहत आरोप तय करने का आदेश दे दिया. पोक्सो एक्ट के कुछ प्रावधान भी लगाए गए. पति ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. उसकी तरफ से दलील दी गई कि पत्नी की शिकायत पर पति के खिलाफ रेप का केस नहीं चलाया जा सकता क्योंकि ये मेरिटल रेप माना जाएगा, जिसे आईपीसी की धारा 375 के अपवाद-2 के तहत छूट मिली हुई है. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि कानून में मिली ये छूट संपूर्ण नहीं है.

कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने फैसले में कहा कि हमारा संविधान सबको बराबरी का अधिकार देता है. लेकिन पति को कानून में दी गई ये छूट भेदभावपूर्ण है. कानून कहता है कि अगर कोई पुरुष किसी महिला के खिलाफ अपराध करेगा तो उसे सजा मिलेगी. लेकिन अगर वो पुरुष उस महिला का पति होगा, तो उसे सजा नहीं मिलेगी. 

गौरतलब है कि पत्‍नी की सहमति के बिना जबरन यौन संबध बनाने को मैरिटल रेप कहा जाता है. मैरिटल रेप को पत्‍नी के खिलाफ एक तरह की घरेलू हिंसा और यौन उत्‍पीड़न की श्रेणी में माना जाता है.वर्षों के अभियान के बावजूद भारत में मैरिटल रेप, क्रिमिनल अफेंस नहीं है.  

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