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CG- आदिवासी मुख्यमंत्री: कहीं पर्यवेक्षकों के नामों में तो छुपा नहीं है सीएम व डिप्टी सीएम का राज, छत्तीसगढ़ से लेकर MP व राजस्थान का समीकरण देखिये

रायपुर 8 दिसंबर 2023। छत्तीसगढ़ में क्या आदिवासी मुख्यमंत्री बनेगा ? यूं तो पहले से ही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के लिए आदिवासी नामों को लेकर चर्चाएं चल रही थी, लेकिन पर्यवेक्षकों के नामों के ऐलान के साथ ही ये चर्चाएं और भी गरमा गयी है। दरअसल छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों के नामों का ऐलान कर दिया गया है। नामों पर अगर गौर करें तो केंद्रीय नेतृत्व की सोच साफ हो जाती है। तीन-तीन पर्यवेक्षकों के नामों में छत्तीसगढ़ के लिए जहां दो-दो आदिवासी पर्यवेक्षक हैं, तो वहीं राजस्थान के लिए तीन पर्यवेक्षकों में दो-दो सामान्य वर्ग से हैं। वहीं मध्यप्रदेश में देखें तो एक सामान्य, एक ओबीसी और एक आदिवासी वर्ग से पर्यवेक्षक हैं।

पहले बात करते हैं छत्तीसगढ़ की, तो प्रदेश में पहले पर्यवेक्षक अर्जुन मुंडा है, जो झारखंड से आते हैं और आदिवासी वर्ग से आते हैं। वहीं दूसरे आब्जर्बर सर्वानंद सोनोवाल भी ट्राइबल हैं, आदिवासी वर्ग से आते हैं। जबकि तीसरे आब्जर्बर दुष्यंत कुमार गौतम अनुसूचित जाति से आते हैं। छत्तीसगढ़ से दो-दो आदिवासी आब्जर्बर भेजकर केंद्रीय केंद्रीय नेतृत्व का संदेशा साफ नजर आ रही है कि कहीं मोदी-शाह के मन में आदिवासी मुख्यमंत्री का मंसूबा तो नहीं है। अगर आदिवासी मुख्यमंत्री की बात करें तो छत्तीसगढ़ में फिलहाल पार्टी के पास कई आप्शन हैं। रामविचार नेताम, रेणुका सिंह, विष्णुदेव साय, विक्रम उसेंडी, गोमती साय, लता उसेंडी, केदार कश्यप जैसे चेहरे पार्टी में मौजूद हैं, जिनमें से किसी एक पर पार्टी दांव खेल सकती है। खबर तो ये भी है कि पार्टी में एक डिप्टी सीएम तो बनेगा ही, अब उसमें ओबीसी का नंबर लगता है या फिर अनुसूचित जाति का, इस पर थोड़ सस्पेंस है। वैसे आब्जर्बर के नजरिये से देखें तो पार्टी में तीन अनुसूचित जाति से दावेदार हैं। पुन्नूलाल मोहले, गुरु खुशवंत साहेब के अलावे दयालदास बघेल डिप्टी सीएम की होड़ में शामिल हो सकते हैं। जबकि ओबीसी से अरूण साव, ओपी चौधरी, धरमलाल कौशिक, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के नाम हैं।

राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी आब्जर्बर के नाम से स्थिति स्पष्ट है कि वहां कोई सामान्य ही मुख्यमंत्री बनेगा। राजस्थान के लिए राजनाथ सिंह और सरोज पांडेय सामान्य वर्ग से हैं। जाहिर है मुख्यमंत्री कोई सामान्य वर्ग से होगा, जबकि डिप्टी सीएम के लिए कोई ओबीसी का नाम पार्टी आगे रखेगी। मध्यप्रदेश में एक मुख्यमंत्री और दो डिप्टी सीएम का फार्मूला पार्टी अपनायेगी। जहां सामान्य वर्ग से कोई मुख्यमंत्री बन सकता है, जबकि डिप्टी सीएम एक ओबीसी और एक अनुसूचित जनजाति वर्ग से होगा।

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