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CG: शहीद बेटे की आरती उतारती मां हुई बेसुध, अंतिम विदाई में रूंधे गले से लोग लगाते रहे नारा…जब तक सूरज चांद….देखिये शहीद बेटे के अंतिम सफर का VIDEO

धमतरी 31 दिसंबर 2022। बिलख रही थी मां! सुबक रही थी बहन! बेसुध था बाप! कौन था जिसकी आंखें नम नहीं थी? .. कौन था जो रो नहीं रहा था? । दो दिन के इंतजार के बाद तिरंगे में चिरनिंद्रा में लिपटा धमतरी का लाल मनीष जन्मभूमि पर लौटा, तो पूरा धमतरी अपने इस जांबाज की एक झलक को तड़प उठा। सब यही कह रहे थे, कहां अब खरेंगा को मिलेगा मनीष जैसा बहादूर जवान…छत्तीसगढ़ को कहां मिलेगा अब मनीष जैसा लाल ? जब से मनीष की शहादत की खबर धमतरी के खरेंगा पहुंची थी, पूरा इलाका मानों सन्न रह गया।


खमोश फिजां की चुप्पी तभी टूटती, जब मां का करूण कंद्रण शुरू होता या बहन विलाप करने लगी। मनीष की मौत ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया। पिता के बुढ़ापे की लाठी टूट गयी, मां का उम्मीदों का सहारा छिन गया, बहन की राखी का भरोसा खत्म हो गया।


लद्दाख में मातृभूमि की सेवा में तैनात मनीष की दो दिन पहले ड्यूटी के दौरान तबीयत बिगड़ी और फिर वो चिरनिंद्रा में चला गया। सेना के मराठा रेजीमेंट में तैनात देश का ये वीर सपूत चार साल ही देश सेवा कर सका। सिर्फ 24 साल की उम्र थी मनीष की, मां-पिता मनीष का सेहरा सजाने का ख्वाब देख रहे थे, लेकिन क्या मालूम था कि जिस बेटे की वो सेहरा सजते देखना चाह रहे थे, उस बेटे की आज उन्हें अर्थी सजानी होगी। घर से अपने सपूत की आखिरी विदाई के पहले मां ने बेटे की आरती उतारी और फिर वहीं गिरकर फूट-फूटकर रो पड़ी।


कोई मां कैसे से मान ले, अब उसका औलाद कभी नहीं लौटेगा, कैसे दिल को दिलासा दे दे कि उसकी कोख अब खाली हो गयी है। दोपहर बाद मनीष अपने अंतिम सफर पर रवाना हुआ तो साथ पूरा धमतरी चल पड़ा। जहां तक नजर जाती सिर्फ लोगों की भीड़ ही भीड़ दिखती। कांपती जुबान से नारा लगता रहा “जब तक सूरज चांद रहेगा मनीष तेरा नाम रहेगा”…”मनीष ध्रुव अमर रहे”….मनीष अब इस दुनिया में नहीं रहा, वो सितारों से पार चला गया है…ऐसी दुनिया जहां से कभी कोई वापस नहीं लौटता…जिस भी दुनिया में मनीष रहेगा, जमाना उसे जरूर याद करेगा। उसकी बहादूरी के किस्से का जरूर बखान करेगा। अलविदा मनीष….

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