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हिंदी-संस्कृत विषय को लेकर दायर अवमानना याचिका समाप्त… याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में प्रमोशन प्रक्रिया रद्द करने की दी थी जानकारी

रायपुर 12 मई 2023। छत्तीसगढ़ शिक्षक प्रमोशन की प्रक्रिया चल रही है। संस्कृत विषय पर प्रमोशन पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा रखा है। बावजूद बिलासपुर और दुर्ग संभाग में हिंदी और संस्कृत विषय को मिलाकर रिक्त पद जारी किये गये और प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू की गयी। इन संभागों में काउंसिलिंग डेट भी जारी कर दी गयी। इस मामले में वरीष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार श्रीवास्तव के जरिये कुछ प्रभावित शिक्षकों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। वहीं अधिवक्ता अजय कुमार श्रीवास्व ने इस मामले को लेकर दुर्ग जेडी गिरधर मरकाम को लीगल नोटिस भी जारी किया था।

नोटिस जारी होने के बाद पिछले महीने 21 अप्रैल को ही आनन-फानन में दुर्ग जेडी ने संस्कृत विषय पर प्रमोशन पर रोक लगायी, वहीं काउंसिलिंग को भी स्थगित कर दिया। इधर इस मामले में हाईकोर्ट में अवमानना याचिका पर सुनवाई शुरू हुई, तब तक प्रमोशन प्रक्रिया स्थगित की जा चुकी थी। ऐसे में याचिकाकर्ता गिरवर साहू, कुंदनलाल पटेल, चंदनलाल साहू, ढाल सिंह बेलचंदन, तेजराम साहू नेतो याचिकाकर्ताओं ने लिखित में जानकारी दी कि लीगल नोटिस जारी होने के बाद संभाग के संयुक्त संचालक ने प्रमोशन की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। याचिककर्ताओं ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि चूंकि प्रमोशन को स्थगित कर दिया गया है, इसलिए वो इस प्रकरण को आगे नहीं चलाना चाहते। याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर कोर्ट ने दुर्ग जेडी के खिलाफ दायर अवमानना प्रकरण को समाप्त कर दिया गया है।

प्रमोशन रद्द होने को लेकर ये है पूरा मामला

दरअसल दुर्ग में हिंदी और संस्कृत विषय के दोनों पदों को जोड़कर पदोन्नति का आदेश जारी किया गया था। जिसके लिए 20 अप्रैल को काउंसिलिंग भी होनी थी। कोर्ट के स्टे के बावजूद दुर्ग संयुक्त संचालक ने हिंदी-संस्कृत विषय में संयुक्त रूप से 372 पदों पर प्रमोशन का आदेश जारी कर दिया। मामला पूर्व से ही हाईकोर्ट में हैं और कोर्ट ने इस पर स्टे दे रखा है, लिहाजा याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव ने दुर्ग संयुक्त संचालक को अवमानना का नोटिस भेजा है। नोटिस में याचिकाकर्ता का हवाला देते हुए कहा गया है कि पूर्व में हिंदी और संस्कृत संयुक्त रुप से जोड़कर पूर्व में 286 पद (ई संवर्ग के लिए 231 एवं टी संवर्ग के लिए 55 पदों) के लिए जारी किया गया था, जिसे बाद में संशोधित कर 372 कर दिया गया है। कोर्ट में पूर्व में ही याचिका दायर कर कहा गया था कि हिंदी और संस्कृत दो अलग-अलग विषय हैं, इसलिए उनमें एक साथ पदोन्नति नहीं दी जा सकती। दोनों विषय के लिए अलग-अलग सेटअप जारी करना जरूरी है। इसके बाद ही प्रमोशन की प्रक्रिया की जा सकती थी। इस मामले में दायर याचिका पर 22 फरवरी को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए स्टे लगा दिया था। जब तक हिंदी और संस्कृत के अलग-अलग पद जारी नहीं किये जाते तब तक प्रमोशन नहीं दिया जा सकता था। अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव ने नोटिस में लिखा था कि काउंसिलिंग पर रोक लगाये अन्यथा मेरा पक्षकारगण आपके विरूद्ध धारा 12 न्यायालय अवमानना अधिनियम के तहत् अवमानना की कार्यवाही करेंगे जिस पर संपूर्ण जवाब आप लोग स्वयं होंगे।

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