DFO ने बच्चों के भविष्य पर लगाया ग्रहण ? विद्यालय की जमीन के लिए नियम बताकर लटकाया परमिशन, विधायक बोले ऐसी मनमानी रही तो CM से करेंगे DFO की शिकायत …..
कोरबा 13 फरवरी 2022 । बच्चों की बेहतर शिक्षा और उनके उज्जवल भविष्य के लिए प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार जमीनी स्तर पर काम कर रही है। लेकिन कोरबा जिले में सूबे के मुखिया की मंशा पर महिला DFO की मनमानी पानी फेरती नजर आ रही है। यहां पाली विधानसभा के लाफा में बच्चों के लिए एकलव्य आवासीय विद्यालय का निर्माण होना है, इसके लिए बकायदा केंद्र सरकार से जिले का करोड़ो रूपये का फंड भी जारी कर दिया गया है। लेकिन इस नये विद्यायल की नींव रखने से पहले ही इस विद्यालय को DFO की मनमानी ने ग्रहण लगा दिया है।
दरअसल पूरा मामला कटघोरा वन मंडल के पाली क्षेत्रांतर्गत लाफा का है। स्थानीय विधायक और ग्रामीण जन प्रतिनिधियों द्वारा लाफा में खाली वन भूमि को एकलव्य विद्यालय भवन के लिए चयनित किया गया था। एकलव्य विद्यालय निर्माण के लिए बकायदा केंद्र सरकार से 19 करोड़ रूपये का फंड भी जारी कर दिया गया। पाली तानाखार विधायक मोहित राम केरकेटटा ने इस स्कूल भवन का निर्माण इसी वित्तीय वर्ष में शुरू करने को लेकर कलेक्टर सहित दूसरे अधिकारियों से मुलाकात की गयी। जिला प्रशासन की ओर से सारी दस्तावेजी कार्रवाई भी पूरी कर ली गयी। लेकिन एकलव्य विद्यालय भवन निर्माण में कटघोरा की DFO समा फारूखी ने नियमों का हवाला देकर वन भूमि में निर्माण की अनुमति देने में हील हवाला किया जाने लगा। डीएफओं की इस मनमानी को लेकर स्थानीय विधायक के साथ ही कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत ने भी जल्द से जल्द विद्यालय निर्माण की अनुमति जारी करने की बात डीएफओं से कही गयी।
0 जशपुर डीएफओं द्वारा एकलव्य विद्यालय के लिए जारी अनुमति….
लेकिन ग्राम सभा में चयनित स्थान पर स्कूल बनाये जाने की स्वीकृति होने के बाद भी DFO शमा फारूखी ने ना तो विधायक की बातों को सुना और ना ही सांसद की बात का मान रखा। लिहाजा इस पूरे प्रकरण की जानकारी कलेक्टर रानू साहू को दी गयी, जिसके बाद कलेक्टर ने भी डीएफओं से चर्चा कर विद्यालय भवन की अनुमति जारी करने की बात कही गयी। लेकिन कटघोरा DFO ने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए बनने वालेे विद्यालय के बनने से पहले ही उस पर नियम कानून की लकीर खींचकर ग्रहण लगा दिया है। आपको बता दे कि छत्तीसगढ़ के जशपुर, गौरेला-पेंड्रा में भी वन भूमि में एकलव्य विद्यालय के निर्माण के लिए डीएफओं ने अनापत्ति दिये है। लेकिन शायद कोरबा जिला में वन विभाग को दूसरा ही कानून लागू है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि इस वित्तीय वर्ष में स्कूल के लिए भूमि आबंटित नही हुई तो केंद्र सरकार से मिला 19 करोड़ का फंड लेब्स हो जायेगा, और भविष्य में दोबारा एकलव्य विद्यायल के लिए फंड मिलने की गुंजाईश भी नही रहेगी। मतलब साफ है एक अफसर की तानाशाही के कारण क्षेत्र के हजारों बच्चों के सुनहरे भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।